हमारे शरीर को जब थकान सी महसूस होने लगती है दिल दिमाग ठीक से काम नहीं करता चक्कर से आने लगते हैं तो हमें समझ लेना चाहिए कि शरीर में कहीं ना कहीं हमारे रक्त में कमी का प्रभाव पड़ने लगा है
दोस्तों हमारा शरीर भी एक गाड़ी की भांति काम करता है जिस प्रकार गाड़ी को ऊर्जा देने के लिए अच्छी क्वालिटी के डीजल पेट्रोल की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार शरीर को रक्त की आवश्यकता होती है एक स्वस्थ इंसान के शरीर में लगभग 4 से 5 लीटर खून होता है शरीर को ऊर्जा देने के लिए रक्त का सामान्य स्तर में होना बहुत जरूरी है खून की कमी को एनीमिया कहा जाता है शरीर में खून की कमी मतलब एनीमिया
Electro Homeopathic Treatment of Anemia |
शरीर में खून की कमी की पहचान हीमोग्लोबिन की मात्रा की जांच करके आसानी से की जाती है एक स्वस्थ पुरुष के खून में 12% से 16% की मात्रा में हीमोग्लोबिन पाया जाता है
वही एक स्वस्थ महिला के खून 11% से 14% की मात्रा में हीमोग्लोबिन होता है
अतः इस प्रकार से खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा में कमी का पाया जाना एनीमिया का सूचक है और इस कमी को दूर करने के लिए उपचार की आवश्यकता होगी खून या रक्त को दूसरे शब्दों में (बायो लॉजिकल भाषा में) प्लाज्मा कहा जाता है खून, प्लाज्मा, लाल रक्त कणिकाओं, सफेद रक्त कणिकाओं और प्लेटलेट्स से मिलकर बना है
प्लाज्मा हल्के पीले रंग का तरल योगिक होता है जिसमें पानी, कार्बन डाइऑक्साइड, यूरिक एसिड, प्रोटीन, मैग्नीशियम,ऑक्सीजन होता है जिसमें पानी की मात्रा सबसे ज्यादा होती है
जब किसी कारण लाल रक्त कणिकाएं नष्ट होने लगती है तो शरीर में ऑक्सीजन ठीक प्रकार से नहीं पहुंच पाता है इस प्रकार से खून के निर्माण में कमी होने लगती है इस स्थिति को एनीमिया कहते हैं
एनीमिया का वर्गीकरण
खून की कमी कई प्रकार की होती है नीचे इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी जा रही है
- सिकल सेल एनीमिया
- थैलेसीमिया
- अप्लास्टिक एनीमिया
- हिमॉलिटिक एनीमिया
- फैंकोनी एनीमिया
- आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया
आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया
आयरन की कमी के कारण होने वाला एनीमिया एक समान प्रकार का एनीमिया है इस प्रकार का एनीमिया महिलाओं में बहुतायत देखा जाता है अक्सर महिलाओं में मासिक धर्म के कारण खून की कमी हो जाती है जिसमें आयरन का स्तर कम हो जाता है गर्भावस्था के दौरान भी आयरन की बहुत कमी होती है क्योंकि माता के शरीर से उत्पादित खून का एक बड़ा हिस्सा गर्भाशय में पल रहे शिशु के विकास में खर्च होता है बच्चों में और किशोरावस्था में शारीरिक विकास तेजी से होता है ऐसे में अधिक आयरन की आवश्यकता होती है अतः इसकी पूर्ति ना होने में आयरन की कमी से एनीमिया हो सकता है
सिकल सेल एनीमिया
इस प्रकार का एनीमिया एक अनुवांशिक समस्या है और बचपन मैं इसका प्रभाव नहीं पड़ा तो फिर कभी इसका प्रभाव नहीं होता है सिकल सेल एनीमिया में लाल रक्त कणिकाएं अपने आकार को प्रभावित परिवर्तित करके हास्य के रूप में हो जाती हैं हाशिया को अंग्रेजी में शक्ल कहा जाता है
हिमॉलिटिक एनीमिया
हिमॉलिटिक एनीमिया में लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है जिसके कारण लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं और लाल रक्त कणिकाओं कोशिकाओं की शरीर में कमी होने लगती है जिससे शरीर ऑक्सीजन पहुंचाने की क्रिया बाधित होती है
फैंकोनी एनीमिया
फैंकोनी एनीमिया एक रक्त संबंधी अनुवांशिक विकार है फैंकोनी एनीमिया के प्रभाव से बोन मैरो कमजोर पड़ने लगती है बैंकों में एनीमिया में अस्थि मज्जा में उचित मात्रा लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण करने की क्षमता में कमी आ जाती है अस्थि मज्जा से शरीर में तीन प्रकार की रक्त कोशिकाओं का निर्माण होता है
थैलेसीमिया
थैलेसीमिया एक रक्त संबंधी अनुवांशिक रोग है जो पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ता रहता है थैलेसीमिया में लाल रक्त कण के बनने की प्रक्रिया में गिरावट होने लगती है जिसका प्रभाव रोगी के शरीर पर गंभीर रूप से होता है रोगी के शरीर में खून की कमी हो जाती है शरीर बहुत जल्दी थकान का अहसास होने लगता है रोगी के जीवन की रक्षा के लिए हर 2 से 3 सप्ताह में खून को बदलना पड़ता है
अप्लास्टिक एनीमिया
आप्लास्टिक एनीमिया को मायलोडीप्लास्टिक सिंड्रोम भी कहा जाता है एप्लास्टिक निमोनिया में नई कोशिकाएं नहीं बन पाती हैं रोगी बहुत अधिक थकान महसूस करता है यह एक गंभीर और दुर्लभ समस्या है
परनीसीयस एनीमिया
विटामिन B12 लाल रक्त कोशिकाओं को हेल्दी बनाने में मदद करता है वहीं अगर किसी कारण से लाल रक्त कोशिकाओं की मात्रा खून में कम बनती है तो ऐसी स्थिति में विटामिन B12 लाल रक्त कोशिकाओं में अवशोषित नहीं हो पाता है इस समस्या का जल्दी समाधान ना किया जाए तो स्थिति गंभीर बन जाती है
एनीमिया में कौन-कौन से लक्षण दिखाई पड़ते हैं
एनीमिया के लक्षण
एनीमिया के वर्गीकरण के आधार पर एनीमिया के अलग-अलग लक्षण होते हैं लेकिन कुछ सामान्य लक्षण होते हैं सभी प्रकार के एनीमिया में जो कि निम्न निम्नलिखित है
- रोगी को कमजोरी महसूस होना
- हल्के से ही काम में थकान सा महसूस होना
- शरीर का रंग सामान्य अवस्था से परिवर्तित होकर त्वचा का पीला पड़ जाना
- सर दर्द होना
- ज्यादा रोशनी में आंख के सामने अंधेरा छा जाना
- हृदय की गति असामान्य होना
- सीने में दर्द होना
- पैरों और हाथों का ठंडा पड़ जाना
- नाखूनों में सफेद धब्बे से दिखाई देना
- पलकों के अंदर सफेदी
- जीभ पर सफेद रंग की परत दिखाई देना
- सांस फूलना
एनीमिया होने के क्या कारण है
एनीमिया होने का प्रमुख कारण शरीर में रक्त की कमी होती है और शरीर में रक्त की कमी किन किन कारणों से हो सकती है निम्नलिखित है
- मलेरिया, डेंगू, टाइफाइड बुखार के कारण
- माहवरी के समय अधिक खून का निकलना
- नकसीर, सोच, उल्टी, खांसी के साथ खून का जाना
- गर्भावस्था के दौरान खानपान का ख्याल न रखने के कारण
- आकस्मिक दुर्घटना चोट या अन्य किसी भी प्रकार से शारीरिक क्षति के दौरान अत्यधिक खून के जाने के कारण विटामिन और अन्य पोषक तत्वों की कमी के कारण
- उम्र में वृद्धि
एनीमिया का परीक्षण डायग्नोसिस आफ एनीमिया
एनीमिया या खून की कमी की पहचान के लिए रोगी के शारीरिक टेस्ट के अलावा निम्नलिखित पैथोलॉजिकल टेस्ट के मदद से एनीमिया की पहचान की जाती है
कंप्लीट ब्लड टेस्ट (सीबीसी)
एनीमिया की इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा Electro Homeopathic treatment in Anemia
A3+S1+L1...2nd dilution दिन में तीन बार
F2+C5+BE बाहरी प्रयोग हेतु
इस योग को बाह्य प्रयोग लीवर पर करना है।