कोहोबेशन द्वारा तैयार औषधियों के परिणाम
कोहोबेशन द्वारा तैयार इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधियां अपना विशेष महत्व रखती हैं । यह औषधियां शीघ्र प्रभाव कारी व हानि रहित होती हैं। इन औषधियों का कार्य क्षेत्र अन्य प्रकार से बनी औषधियों की अपेक्षा अधिक विस्तृत होता है इसलिए कम औषधियों से ही रोगों को ठीक किया जा सकता है।
हमने प्रैक्टिकल में अनुभव में देखा है कि विभिन्न प्रकार के दर्द , एलर्जी, ज्वर , केवल JN और KK से ही ठीक हो जाते हैं।
यहां एक बात को समझने की है कोई यह न समझ बैठे कि कोहोबेशन द्वारा तैयार औषधि केवल दो खुराक खाने से बीमारी ठीक हो जाएगी। ऐसा नहीं है ट्रीटमेंट लंबा चलता है लेकिन फायदा हो जाता है शुरू शुरू में पेशेंट को छोटा डायलूशन देना पड़ता है धीरे धीरे डायलूशन को बढ़ाते जाते हैं।
आज इलेक्ट्रो होम्योपैथी के जगत में ज्यादा तर लोग भ्रम की स्थिति में पड़े हुए है। हमारे पास अक्सर फोन आया करते हैं। जिनमें लोग यही शिकायत करते हैं कि इस में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। सही रास्ता क्या है? वास्तव में इलेक्ट्रो होम्योपैथी में जितने औषधि निर्माता है उतने तरीके की औषधियां बनाने और प्रयोग करने के मैथड है यही सबसे बड़ी भ्रम की स्थिति है । यदि इस समस्या से लोग निजात पा लें तो सब आसान होता है लेकिन इस समस्या से निजात पाना बहुत कठिन होता है । ऐसी स्थिति में हमें क्या करना चाहिए ?
इस बात को हम एक उदाहरण द्वारा आप को समझाने का प्रयास करेंगे। मान लो एक प्लेट में आपने अच्छे लगने वाले अनाज गेहूं, चना, मटर ,दाल ,चावल आटा सब कुछ डाल रखा है। अब उसे निकालने का प्रयास करो तो काफी समय लगेगा और फिर भी अच्छी तरीके से नहीं निकाल पाओगे ।
इसका सबसे अच्छा तरीका है कि उस प्लेट में जो कुछ पडा है उसे निकालकर फेक दो और फिर से जो चीज आपको अच्छी लगे वह डाल दो।
अर्थात आपने बहुत सारे लेख पढ़ें वीडियो देखें और समझने का प्रयास किया जो चीज आपको अच्छी लगी वह अपने दिमाग में सेट करने का प्रयास किया । अब वह सारी चीजें दिमाग में सेट हो गई हैं। इसमें कुछ चीजें आपको अच्छी लगती हैं कुछ में कंफ्यूजन है तो आप समझ ही नहीं पाते कि इसमें सही क्या है और इसी चक्कर में आप कंफ्यूज रहते हैं।
इसके लिए आपको करना यह है कि जिस किसी की भी दवाएं या मेथड अच्छा लगता है आप उसी की बात को सुने समझे अन्य सभी बातों को छोड़ दें । ज्यादा ज्ञानी बनने से अच्छा है कम ज्ञानी बने , ज्यादा ज्ञानी बनने के चक्कर में आदमी कंफ्यूज रहता है। जब आप एक ही आदमी की बात सुनोगे उसकी बनाई हुई दवाएं प्रयोग करोगे तो आपको कन्फ्यूजन कभी नहीं रहेगा आप सही रास्ते पर चलते जाएंगे और आप की प्रैक्टिस चमकती जाएगी ।
"सारी दुनिया में चमडा नहीं बिछाया जा सकता है लेकिन अपने पैरों में चमड़े के जूते पहनकर धूल से बचा जा सकता है " यही आपको करना है ।
अपने जीवन के 28 - 29 सालों में हमनें कई लोगों पर इसका प्रयोग किया है। 1998 में अपनी दवा जब मैं किसी को देता था तो लोग मेरी हंसी उड़ाते थे और कहते थे हम तो फला आदमी की दवा उपयोग करते हैं तुम्हारी दवा में उतना फायदा हमें नहीं मिलेगा । मेरे सामने औषधि बेचने की एक विकट समस्या थी। मैंने कहा आप किसी की दवा का प्रयोग न करें केवल मेरी औषधि का प्रयोग करें। देखते हैं रिजल्ट कैसे नहीं आएगा ? यदि परिणाम नहीं आएगा तो मैं अपनी दवा वापस ले लूंगा । लोगों ने मेरा कहना माना और औषधि का प्रयोग करना शुरू किया कोई एक आदमी भी ऐसा नहीं मिला जिसने यह कहा हो कि आपकी औषधि काम नहीं करती है। उस समय भी हमारी औषधियां कोहोबेशन मेथड से तैयार होती थी लेकिन वह जमाना दूसरा था । आज जैसी एडवांस औषधियां नहीं थी। आज पहले की अपेक्षा अधिक एडवांस औषधियां हैं। लेकिन लोगों की समस्या यही है कि लोग कंफ्यूज है,
- कोई कहता है कि डाइल्यूशन का प्रयोग नहीं करना चाहिए,
- कोई कहता है कि D3 के आगे प्रयोग नहीं करना चाहिए ,
- कोई बूंदों में दवा देने की बात करता है,
- तो कोई झटके मारने की बात करता है
- कोई पोटेंसी कहता है
- कोई डायलूशन की बात कहता है
आदि अनेक भ्रम लोगों में फैले हुए है मेरा कहना है कि आप का काम प्रैक्टिस करना है औषधियों का बनाना आपका काम नहीं है। हर व्यक्ति अपने विषय का माहिर होता है। जितना आप प्रैक्टिस करने में माहिर हैं और शायद औषधि बनाने वाला प्रैक्टिस का ज्ञाता नहीं होता है । इसी तरीके से प्रैक्टिस करने वाला औषध बनाने का ज्ञाता नहीं हो सकता है।
यदि किसी को डायलूशन बनाना नहीं आता और कोहोबेशन करना नहीं आता तो समझ लीजिए उसकी औषधियों में दम नहीं है। कोई औषधि फायदा करती है इसका मतलब यह नहीं है कि वह इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधि है । इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधियों की अपनी विशेषता होती है । उन विशेषताओं पर औषधि को खरा उतरना चाहिए ।
हम पोस्टे डालते हैं ज्यादातर लोग यह जानने का प्रयास करते हैं कि JN और KK के घटक क्या है? हमें बता दे तो मैं भी तैयार कर लूं । मैं कहता हूँ । सब कुछ बता देंगे फिर भी नहीं तैयार कर पाओगे । जब तक हम स्वयं तैयार नहीं कराएंगे । इसका कारण क्या है? औषधि बनाना विज्ञान के साथ में आर्ट भी है। विज्ञान आप सीख सकते हैं लेकिन आर्ट जब तक साथ नहीं होगे तब तक नहीं सीख पाओगे ।
इस बात को आप ऐसे समझ सकते हैं कि पाक विज्ञान पुस्तक देखकर एक ही सब्जी यदि 10 लोग बनाएं तो सबकी सब्जी के टेस्ट अलग हो जाएंगे जबकि पाक विज्ञान की पुस्तक एक ही थी ।
हमने कितनी बार बताया कि JN और KK F1 और S10 के पार्ट है । केवल इसमें बनाने की कला अलग है
आज JN और KK औषधि के जो परिणाम आ रहे हैं वह कोहोबेशन कला का कारण है और कुछ नहीं है ।