अनिद्रा (नींद न आना) क्या है कारण लक्षण और उपचार Electro homeopathy treatment of Insomnia
किसी भी व्यक्ति के रोजाना के उम्दा कार्य प्रदर्शन के लिए सोना बहुत ही आवश्यक है दिनभर की भागदौड़, परिश्रम के बाद रात में एक लंबी नींद अगले दिन की सुबह के लिए व्यक्ति को फिर से कार्य करने के लिए नई ऊर्जा प्राप्त प्रदान करती है। और जब स्थितियां इसके विपरीत हो जाती हैं मतलब जब किसी कारण से सोने में समस्या होती है या नींद नहीं आती है तो हम अनिद्रा (नींद न आना) Insomnia के शिकार हो जाते हैं। सोच विचार में ही रात निकल जाती है या एक बार नींद टूटने के बाद दोबारा से नींद नहीं आती है जिसे अनिद्रा कहा जाता है इस समस्या के चलते शारीरिक स्फूर्ति, कार्य प्रदर्शन और जीवन शैली की गुणवत्ता में कमी आने लगती है।आज की इस पोस्ट के माध्यम से Electro homeopathic treatment of insomnia के बारे में चर्चा की जाएगी और Electrohomeopathy medicine के बारे में बताया जाएगा।
अनिद्रा का वर्गीकरण
अनिद्रा की स्थिति को देखते हुए अनिद्रा को विभिन्न भागों में वर्गीकृत किया गया है।
एक्यूट अनिद्रा , क्रॉनिक अनिद्रा ऑनसेट अनिद्रा मेंटेनेंस अनिद्रा
अनिद्रा या नींद ना आने के कारण
नींद ना आना एक ऐसी समस्या जिसके चलते व्यक्ति की नींद उड़ जाती है सोने के इंतजार में पूरी रात चली जाती है लेकिन नींद नहीं आती ऐसा हर व्यक्ति में अलग-अलग वजह से हो सकता है।
व्यक्ति के कई प्रकार के अच्छे व बुरे पल इसके कारण हो सकते हैं नीचे कुछ कारणों का विवरण दिया गया है।
खानपान की गलत आदत हमारी नींद में दखल डाल सकती है कई बार रात को बहुत अधिक खाने के कारण सीने में जलन होती है ऐसा तब होता है जब पेट से भोजन निकलकर एसोफैगस मैं निकल जाता है। जोकि अनिद्रा का प्रमुख कारण है।
कई प्रकार की आज आकस्मिक घटनाओं के कारण
फाइनेंशियल प्रॉब्लम के कारण
परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य के चिंताओं के चलते नींद न आने की समस्या हो जाती है।
लंबे समय तक यह क्रिया होने पर अनिद्रा की समस्या हो सकती है
अनियमित रूप से सोना भी कई बार अनिद्रा की समस्या का कारक होता है
ऐसा उस समय भी कई बार देखा गया है जब लोगों के काम करने की शिफ्ट में बदलाव होते हैं जिसका सीधा असर नींद पर पड़ता है।
महिलाओं में मासिक धर्म के चलते गर्भावस्था के दौरान हारमोंस में बदलाव के चलते अनिद्रा की समस्या हो सकती है।
कई प्रकार के रोगों के इलाज के चलते दवाओं के सेवन के कारण भी नींद में कमी आने की संभावना रहती है अतः दवाएं भी अनिद्रा का कारक है।
अस्थमा, ब्लड प्रेशर, थायराइड, हृदय रोग, अल्जाइमर रोग, कैंसर संबंधी दवाओं के सेवन नींद न आने के कारण अनिद्रा के कारण हो सकते हैं।
अलग-अलग समय मे कार्यों के चलते अलग-अलग समय पर यात्राएं करना नींद ना आने की समस्या का कारण हो सकती हैं।
नींद आने के लक्षण
शारीरिक ऊर्जा का कम होना
एकाग्रता में कमी
थकान महसूस करना
आंखों में दर्द
सिर दर्द
रात में जागना दिन के समय झपकी लेना
तनाव
गर्भधारण के दौरान अनिद्रा या नींद ना आना
महिलाओं में गर्भावस्था के समय हारमोंस में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव होते रहते हैं गर्भधारण के प्रथम माह से तीसरे माह में ऐसा होना आम आम बात है गर्भावस्था के दौरान होने वाले शारीरिक बदलाव के चलते महिला में नींद की कमी आने लगती है। पेशाब की बारंबारता बढ़ जाती है और मितली महसूस होती है। शरीर में होने वाले शारीरिक बदलाव के चलते पेट दर्द, पीठ दर्द, ऐंठन जैसे दर्द, चिंता, तनाव नींद के बाधक होते हैं। ऐसे में महिला को खास ख्याल रखने की आवश्यकता होती है।
स्वस्थ और पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए।
सोने के लिए एक नियम बनाना चाहिए रिलैक्स नेशन तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए।
शरीर में पानी की कमी को पूरा करते रहना चाहिए
बच्चों में अनिद्रा
बच्चे मन के सच्चे होते हैं। बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों की खास देखभाल के लिए अनेकों जतन करते हैं और बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए हमेशा चिंतित रहते हैं और उनकी सारी जरूरतों की पूर्ति के भरसक प्रयास करते हैं। अतः बच्चों में चिंता, तनाव आदि विषयों का कोई भी पहलू नहीं होता है लेकिन आजकल के बच्चों में भी अनिद्रा की शिकायत घर करने लगी हैं बच्चों में भी अनिद्रा की समस्याएं कई कारणों से उत्पन्न हो सकते हैं।
कभी-कभी बच्चों में देखा गया है कि वह स्कूल के काम-काज को लेकर चिंतित रहते हैं और स्कूल में डांट और मार के डर से भी तनावग्रस्त रहते हैं जिसके कारण वे सो नहीं पाते
मोबाइल या लैपटॉप पर गेम के साथ अधिक टाइम बिताने के कारण
अत्यधिक टीवी देखने के कारण
कई बार बच्चों में सर्दी जुखाम की वजह से सांस लेने की तकलीफ की वजह से भी उनकी निद्रा बाधित हो जाती
खर्राटे भरने के कारण
टॉन्सिल के कारण
नींद पूरी करना महत्वपूर्ण है बच्चों के लिए
सोते समय शरीर के कई महत्वपूर्ण अंग सक्रिय होते है। जो हमारे शरीर के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं इन सभी अंगों को सोते समय अपने कार्य को करने का सही समय मिल जाता है किडनी लीवर पाचन तंत्र आदि मुख्य अंग है जो शरीर में ऊर्जा को बढ़ाने के लिए दिन रात मेहनत करते हैं।
सोते समय मस्तिष्क को ऑक्सीजन मिलता है जिससे मस्तिष्क अगले दिन नई स्फूर्ति और ऊर्जा के साथ में काम करता है बच्चे मानसिक रूप से एवं शारीरिक रूप से एक वयस्क के मुकाबले अधिक सक्रिय रहते हैं अतः उनके शरीर को एवं उनके अंदरूनी अंग को अधिक कार्य करने के लिए अधिक आराम की आवश्यकता होती है और ये बच्चे की एक अच्छी नींद से ही संभव हो पाता है।
वही पर्याप्त नींद ना लेने के कारण बच्चों में ड्रीमिंग स्लिप की अवध कम हो जाती है जिसका असर उनके स्मरण शक्ति पर पड़ता है।
अतः इसका खास ख्याल बच्चों के माता-पिता को रखना चाहिए और अगर बच्चे में अनिद्रा की समस्या किन्हीं कारणों से हो गई है तो हर्बल चिकित्सा जैसे आयुर्वेद या इलेक्ट्रो होम्योपैथी को अपनाना चाहिए क्योंकि इन दवाओं में कोई साइड इफेक्ट नहीं है। क्योंकि क्योंकि मॉडर्न चिकित्सा पद्धति में उपचार के लिए अक्सर चिकित्सक नींद आने से संबंधित दवाएं देते हैं जिन दवाओं का असर उस समय तो होता है लेकिन जब इन दवाओं का सेवन बंद कर दिया जाता है तो अनिद्रा की समस्या हो सकती है ऐसे में बेहतर यही है कि हर्बल चिकित्सा पद्धति को अपनाया जाए।
इन औषधियों की आदत भी नहीं लगती और परिणाम भी अच्छे आते हैं और इन दवाओं को कभी भी बंद किया जा सकता है।
नींद आने के लिए क्या किया जाए
शारीरिक थकान के चलते अगर नींद का अभाव है तो बेहतर है नहा धोकर रात को सोने से पहले सरसों के तेल से बॉडी मसाज करें।
सोते समय तनाव मुक्त हो जाएं एकाग्र करके किसी भी बात को सोचना बंद कर दें।
पॉजिटिव विचार मन में लाएं
हेल्दी फूड्स का उपयोग करें
मेडिटेशन एवं योगा का अभ्यास करें
सोने से पहले अपनी मनपसंद पुस्तकों को पढ़ें या दिल को सुकून पहुंचाने वाले संगीत सुनें
अनिद्रा (नींद न आना) में इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा