सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस में इलेक्ट्रो होम्योपैथी उपचार Electro Homeopathic treatment of Cervical Spondylosis in Hindi
स्पोंडिलोसिस क्या है?
रीढ़ की हड्डी में में किसी भी क्षति या टूट-फूट के कारण हुए बदलाव को स्पोंडिलोसिस कहा जाता है। ऐसा अक्सर बढ़ती उम्र के लोगों में देखा जाता है। यह कहा नही जा सकता कि रीढ़ की हड्डी में होने वाली ये समस्या सभी को होगी।क्योकि सभी लोगो की जीवन शैली, खानपान, में समानता तो होती नही है। ये उम्र-संबंधी अंतर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं और आम तौर पर कोई समस्या पैदा नहीं करते।स्पोंडिलोसिस परिवर्तन रीढ़ की हड्डी के अन्य क्षेत्रों (खंडों) या पीठ के निचले हिस्से में भी देखे जा सकते हैं। स्पोंडिलोसिस को रीढ़ की हड्डी में ऑस्टियोआर्थराइटिस के नाम से भी जाना जाता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस एक प्रकार का गठिया है,
स्पोंडिलोसिस के शुरुआती दिनों में कभी कभी हल्का दर्द महसूस होता है जो स्वतः ही खत्म भी हो जाता है ऐसा दर्द सरीर के मूवमेंट से होता है ।
रीढ़ की हड्डी के ऊपरी भाग गर्दन के पीछे के भाग में में होने वाले हड्डी के दर्द को सर्विकल स्पोंडिलोसिस (cervical spondylosis) कहा जाता है।
स्पोंडिलोसिस के क्या क्या लक्षण है - Spondylosis Symptoms Hindi me
स्पोंडिलोसिस के लक्षण क्या हो सकते हैं?
सर्विकल स्पोंडिलोसिस की समस्या होने पर कई लक्षण दिखाई देते हैं।
- गर्दन में दर्द होना
- गर्दन के पास से सिर में दर्द होना
- गर्दन घुमाने पर कड़कड़ाहट सी, खिसकने सा महसूस होना
- गर्दन को पूरी तरह से घुमाने या मोड़ने में असमर्थता
- बाजू और कंधों में दर्द
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शुरुआत में कुछ समय के लिए आराम करने पर इन लक्षणों में सुधार हो जाता है। ऐसे लक्षण अक्सर सुबह और शाम के समय आधी रहते हैं।
रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ने के कारण होने वाले सर्विकल स्पोंडिलोसिस को सर्विकल मायलोपैथी (cervical myelopathy) कहा जाता है। कई बार ऐसा देखा जाता है हड्डियों के उभार के कारण रीढ़ के अंदर से निकलने वाली नसों पर दबाव के चलते दोनो बाजूओं में नीचे की तरफ पीड़ा होने लगती है।
मायलोपैथी में सर्विकल स्पोंडिलोसिस के निम्न लक्षण हो सकते हैं:
- टांग, बाजू, पैर और हाथ में सुन्नता, झुनझुनी और कमजोरी महसूस होना, मूत्राशय और आंत्र पर से नियंत्रण खोना । चलने फिरने में कठिनाई,
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स्पोंडिलोसिस के क्या कारण है - Spondylosis Causes Hindi me
स्पोंडिलोसिस के कारण क्या हो सकते हैं?
स्पोंडलाइटिस, रीढ़ की हड्डी में हो रही क्षति या टूट-फूट कारण होता है। रीढ़ की हड्डी के लिगामेंट्स के लचीलेपन में कमी हो जाने के कारण हड्डियों में उभर आ जाता है ऐसा तब होता है जब वर्टिबल डिस्क (रीढ़ की हड्डी) में शुष्कता हो जाती है जैसे और उसका आकार घटने लगता है, तो इनमें आपस की दूरी कम होने लग जाती है, जिस कारण से रीढ़ की हड्डी के अंदर से निकलने वाली नसों के रास्ते कम होने लग जाते हैं। हमारा शरीर हड्डियों में उभार लाकर वर्टिब्रल के घटे हुए आकार को पूरा करने की कोशिश करता है।
ऐसे कई कारण है जो स्पोंडिलोसिस की स्थिति को जन्म दे सकते हैं जो निम्नलिखित हैं:
- मोटापा,
- मानसिक समस्याओं के कारण जैसे चिंता व अवसाद
- वजन का बढ़ना
- अधिक परिश्रम के कारण इस प्रकार के काम करना जिनमे गर्दन पर अधिक दबाव या खिंचाव होता है।
- गर्दन को लंबे समय तक एक ही हिस्से में स्थिर रखने या अधिक एक्टिव रखने के कारण
- ऐसे खेलों में भाग लेना जिनमे अधिक जोरदार परिश्रम की आवश्यकता हो
- खराब मुद्रा में खड़े या बैठे होना
- आनुवंशिक कारण
- धूम्रपान करना भी गर्दन के दर्द में जम्मेदार हो सकता है है।
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स्पोंडिलोसिस से बचाव के उपाय - Prevention of Spondylosis Hindi me
स्पोंडिलोसिस की रोकथाम कैसे की जा सकती है?
किसी भी व्यक्ति में उम्र का बढ़ना रोक नही जा सकता इसलये इस समय को पूरी तरह से खत्म तो नही किया जा सकता लेकिन रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य में सुधार के लिए नोमन लिखित उपाय अपनाकर इस्के जोखिम को कम किया जा सकता है ।
- रोजाना व्यायाम करें (एरोबिक व्यायाम इसके लिए अतिउत्तम है।)
- शराब का अत्यधिक सेवन से परहेज
- शरीर का वजन मेंटेन रखें
- बैठने और खड़े होने के तरीकों को सही रखे
- परिश्रम के समय अंगों को नियंत्रित रखे
- खानपान का ध्यान दें (संतुलित, कम वसा वाले तथा भरपूर फल व सब्जियों का सेवन करें)
- धूम्रपान पूरी तरह से बंद करें
- खूब आराम करें
स्पोंडिलोसिस का परीक्षण कैसे करें - Diagnosis of Spondylosis in Hindi
स्पोंडिलोसिस का निदान कैसे किया जाता है?
स्पॉन्डिलाइटिस का के निदान के लये पहले रोगी के द्वार बताये गए लक्षणों के आधार पर पहचान की जाती है। उसके बाद शारीरिक जांच में पीठ, कंधे, गर्दन, बाजुओं आदि की जांच की जाती है।
शारीरिक परिक्षण में निम्न प्रकार से परीक्षण को शामिल किया जा सकता है:
- रीढ़ की हड्डी या रीढ़ की नसों पर दबाव के परीक्षण के लिए है , रिफ्लेक्सिस और मांसपेशियों की ताकत की जांच करना
- हाथों और बाजुओं की श्रमिक क्षमता का परीक्षण करना
- रोगी को चलाकर उसकी रीढ़ के हड्डियों की मूवमेंट का पता करना
- हाथों से भार उठा कर ताकत की जांच करना
- गर्दन, की कमी की जांच करना
- गर्दन को घुमा फिरा कर उसकी सिमा का पता लगाना की अभी गर्दन में कहा तक मूवमेंट है
- नसों के कार्यों का टेस्ट करना
अन्य पैथोलॉजिकल परीक्षण:
रीढ़ की हड्डी का साधारण X-Ray
CT Scan
M.R.I (Magnetic resonance imaging)
एमआरआई में गहनता से जांच करने में मदद मिलती है क्योंकि यह रीढ़ की हड्डी और उसकी जड़ों को दर्शाती है।