नेजल पॉलिप्स (नाक का मांस बढ़ना) क्या है: कारण, लक्षण व उपचार कैसे करें Electro homeopathy treatment of Nasal Polyps,
नाक के भीतरी भाग में होने वाली एक समस्या जिसमें बिना दर्द के नेजल पैलेस में एक कोमल सी गांठ या मांस बढ़ जाता है जिसे चिकित्सीय भाषा में नेजल पॉलिप्स Nasal polyps कहा जाता है। इस प्रकार से नाक के भीतर मांस का बढ़ना दो प्रकार से होता है। पहले प्रकार में यह गांठे छोटी होती हैं जिनमें कोई भी लक्षण नजर नहीं आते हैं। लेकिन जब यह गांठ दूसरी स्टेज या दूसरे प्रकार की होती हैं तो इस अवस्था में नेजल पॉलिप्स Nasal polyps की बड़ी गांठ या बड़ा मांस का टुकड़ा हो जाता है जिसके कारण से सूंघने तथा सांस लेने में भी परेशानी होने लगती है और बार-बार इन्फेक्शन भी हो सकता है।आमतौर पर नेजल पॉलिप्स Nasal polyps एक सामान्य समस्या है और अधिकांश तौर पर या समस्या पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है इसके अलावा किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को प्रभावित कर सकते हैं इसका अधिकतर प्रभाव युवाओं को और मध्यम वर्ग के वयस्को को अधिक होता है विभिन्न चिकित्सा पद्दति में इस समस्या का समाधान उपलब्ध है।
आज की उस पोस्ट के माध्यम से हम यह जानेंगे कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी के माध्यम से नेजल पॉलिप्स का उपचार कैसे किया जाए। इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति पूर्णता वनस्पति जगत से प्राप्त की गई जड़ी बूटियों से तैयार किए गए एक विशेष प्रकार की तरल औषधि के द्वारा चिकित्सा की जाती है इस पैथी को इलेक्ट्रो होम्योपैथी के नाम से जाना जाता है। कई Electro homeopathic medcine board, कॉलेज अलग अलग प्रदेशों में खुल गए है और शिक्षण का कार्य प्रगति पर है भारत के अलावा और भी कई देशों में इसका प्रचार प्रसार जोरों पर है। भारत इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा का एक बहुत बड़ा केंद्र बन कर उभरा है आज भारत में हजारों चिकित्सक इलेक्ट्रो होम्योपैथी की सेवाएं दे रहे हैं अतः सभी को इस हानि रहित हर्बल चिकित्सा पद्धति का सभी वर्ग के लोगों को लाभ लेना चाहिए क्योंकि इस चिकित्सा पद्धति की दवाओं के कभी भी कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं देखे गए हैं।
नजर पॉलिप्स का कारण Causes of Nasal polyps
नेजल पॉलिप का क्या कारण है इस रोग में हमारे नाक के भीतरी हिस्से में मांस क्यों बढ़ जाता है इस संबंध में अभी तक वैज्ञानिकों ने कोई भी सटीक कारण प्राप्त नहीं किया है अभी तक इस बात का पता नहीं चला है कि आखिर क्यों लंबे समय तक नाक में सूजन और लालिमा भुजा हो जाती है और क्यों इस प्रकार की समस्या होने के बाद नाक का मांस बढ़ जाता है ऐसा कुछ लोगों में होता है सभी लोगों में नहीं होता है।
किसी भी मनुष्य में नाक में मांस बढ़ने या नेजल नेजल पॉलिप्स Nasal polyps होने की कोई विशेष उम्र नहीं है यह किसी भी उम्र के लोगों में हो सकता है लेकिन इसके अधिकांश मामले वयस्कों में देखे जाते हैं।
सांस लेने की समस्या फेफड़ों के स्वस्थ होने के बावजूद भी अगर हमें सांस लेने में समस्या आ रही है तो हमें एक बार चिकित्सकीय सलाह अवश्य लेनी चाहिए क्योंकि यह समस्या नेजल पॉलिप्स Nasal polyps हो सकती है
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नेजल पॉलिप्स के लक्षण Symptoms of Nasal polyps
नेजल पॉलिप उसमें नाक में मांस बढ़ जाने के कारण भीतरी भाग में सूजन तथा लालिमा हो जाती है जो कि लंबे समय तक रह सकती है लंबे समय तक रहने वाली इस समस्या को क्रॉनिक राइनो साइनसाइइटिस कहते हैं यह अवस्था तब आती है जब लापरवाही के चलते हम इस पर ध्यान नहीं देते प्रथम अवस्था को एक्यूट सायनाइटिस कहां जाता है इसके साथ ही कुछ अन्य लक्षण भी दिखाई पड़ते हैं जो निम्नलिखित हैं-
- ऊपर के दांतो में दर्द होना
- खर्राटे लेना
- सुनने की शक्ति कम हो जाना या खत्म हो जाना
- खाद्य पदार्थों में स्वाद का अभाव होना
- नाक बहना, सर दर्द और चेहरे में दर्द होना
कुछ अन्य जोखिम के वजह से भी नेजल पॉलिपस होने की संभावना बनी रहती है जैसे अस्थमा, एलर्जी फंगल साइनसाइइटिस, एस्पिरिन सेंसिटिविटी, सिस्टिक फाइब्रोसिस एक अनवांशिक बीमारी है जिसमें साइनस से गाढ़ा द्रव निकलता है।
नेजल पॉलिप्स Nasal polyps में की जाने वाली जांचें
नेजल पॉलिप में नाक के भीतरी हिस्से में मांस की मुलायम परत उभर आती है जिसके कारण नाक के छिद्र छोटे हो जाते हैं और सांस लेने में तकलीफ होने लगती है इस संबंध में जांच के लिए चिकित्सक आपको कई प्रकार की जांच की सलाह दे सकता है।
जैसे- नेजल एंडोस्कोपी, इस प्रकार की जांच में नाक के भीतरी हिस्से में एक सॉफ्ट ट्यूब डाली जाती है जिसमें लाइट लगी होती है जिसकी सहायता से नेजल कैवटी देखने में मदद मिलती है।
- सीटी स्कैन,
- एम आर आई,
- एलर्जी टेस्ट
- बायोप्सी- कई बार कैंसर की आशंका की आशंका के चलते बायोप्सी टेस्ट की आवश्यकता होती है जिसमें डॉक्टर भीतरी हिस्से की त्वचा का सैंपल लेता है
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कई बार एलर्जी के चलते हैं नेजल पॉलिप्स Nasal polyps हो जाता है तो ऐसे में हमें एलर्जी के बचाव के लिए उसका उपचार अवश्य करना चाहिए और उसके लिए चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए।
शारीरिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए अभ्यास करना
शरीर को कई बीमारियों से स्वस्थ रखने के लिए स्वच्छता का विशेष योगदान होता है।
इसलिए आंखों की देखभाल के चलते हमें समय-समय पर हाथों को धोते रहना चाहिए यह अच्छी आदत है, जिसके कारण कई बीमारियों से बचा जा सकता है।
कई बार हम अनावश्यक ही अपने चेहरे पर हाथ लगाते रहते हैं ऐसे में अगर हमारे हाथ साफ नहीं है तो कई प्रकार के बैक्टीरियल इन्फेक्शन, वायरल इनफक्शन होने का खतरा हमेशा बना रहता है।
ऐसे इंफेक्शन से नाक व साइनस में लालिमा, सूजन, दर्द हो सकता है।
नाक को उत्तेजित करने वाले पदार्थों से दूरी बनाना कई प्रकार के केमिकल, धुआं आदि की खुशबू, तंबाकू का धुआं, सिगरेट का धुआं, कचरा, धूल आदि आपकी नाक में सूजन जलन व संक्रमण कर सकते ऐसे में इस प्रकार के उत्तेजक पदार्थों से दूर रहना चाहिए।
नेजल पॉलिप्स Nasal polyps से ग्रसित व्यक्ति को नमी वाले स्थान पर रहना चाहिए ऐसा करने से श्वशन मार्ग में नमी रहती है और नाक से बलगम आने में मदद मिलती है शुष्क वातावरण होने के कारण कई बार बलगम नाक के अंदर सूखकर पपड़ी सी बन जाती है जिसे साफ करते वक्त त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है इसलिए नम वातावरण में रहने से नाक में लालिमा जलन व सूजन से बचाव होता है।
नेजल पॉलिप्स Nasal polyps में सहायक प्राणायाम
प्राणायाम से नेजल पॉलिप्स में राहत दिलाने में प्रणायाम काफी मददगार हो सकता है अतः नेजल पॉलिप्स Nasal polyps के रोगी को नित्य प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिये।
कपालभाति― कपालभाति के अभ्यास से नाक से संबंधित अंग में लाभ देखा गया है। सुखासन की मुद्रा में बैठकर नाक के दोनों नथुनों से सांस को बाहर की ओर अपनी क्षमता के अनुसार एक हल्के स्ट्रोक के साथ छोड़ें। और हवा अन्दर की ओर सामान्य गति में जाने दें।
अनुलोम विलोम―