किन दवाओं का साइड इफेक्ट है? किन का नहीं होता है ?

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किन दवाओं का साइड इफेक्ट है? किन का नहीं होता है ?


हम काफी दिनों से इलेक्ट्रो होम्योपैथिक डॉक्टर के मुंह से, इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिसिन के लिए "साइड इफेक्ट" शब्द सुनते आ रहे हैं। यहां तक कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी के विद्वान कहे जाने वाले लोग भी अपने मुंह से इस शब्द का प्रयोग करते हैं।  यह सुनकर मुझे अचरज होता है कि उन्हें क्या यह भी नहीं पता कि "साइड इफेक्ट" क्या होता है ? और किन दवाओं का , किन परिस्थितियों में होता है? आज हम इसी विषय पर विचार करेंगे।
     

हम जो औषधि लेते हैं वह मुख्यता दो तरह की होती है: ----

(1) सूक्ष्म और किडनी से छनकर बाहर निकल जाने वाली औषधियां

ऐसी औषधियां सूक्ष्म होती हैं और किडनी से छन कर बाहर निकल जाती हैं। यह अपना शरीर पर प्रभाव डाल कर जो शेष बचती हैं वह मल मूत्र व पसीने के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाती है। शरीर में कहीं पर स्टोर नहीं होती है। ऐसी औषधियों में बायोकेमिक, होम्योपैथिक, बैच फ्लावर और इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिसिंस आती है।

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  किन दवाओं का साइड इफेक्ट है? किन का नहीं होता है ?

(2) स्थूल और किडनी से छन कर बाहर न निकलने वाली औषधियां

ऐसी औषधियां स्थूल होती हैं और किडनी से छन कर पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाती हैं उनके कुछ अंश या योगिक बॉडी में स्टोर होते रहते है। ऐसी औषधियों को लंबे समय तक खाने पर बॉडी में उनकी बहुत मात्रा एकत्र हो जाती है जिसके कारण उसका प्रभाव धीमे धीमे दूसरे अंगों पर पडने लगता है और वह प्रभावित अंग या तो कमजोर हो जाता है या खराब हो जाता है इसी को औषधि का "साइड इफेक्ट" कहते हैं।
ऐसी औषधियों में एलोपैथिक आयुर्वेदिक और यूनानी दवाएं आती हैं। यहां एक बात और समझ लेने की है कि कुछ दिन, महीने 2- 3 महीने डॉक्टर की सलाह पर औषधियां खाने से साइड इफेक्ट नहीं होते हैं या बहुत कम होते हैं। 

एलोपैथिक दवाओं पर ड्रग कंट्रोलर नजर रखता है जिन दवाओं का साइड इफेक्ट मिलता है उन दवाओं को बंद कर दिया जाता है। यदि बहुत आवश्यक होता है तो चिकित्सक की देखरेख में दवाएं चलाई जाती हैं । एलोपैथ में बहुत से सल्फा ग्रुप की मेडिसिन चलती थी अब बंद कर दी गई है कुछ पेंसिलिंग चलती थी जैसे स्टेप्टोमाइसीन आदि बंद कर दी गई हैं। इनके साइड इफेक्ट बहुत आ रहे थे । जो दवाएं एलोपैथिक में लंबे समय तक चलाई होती हैं उन्हें इस प्रकार से बनाया जाता है कि वह शरीर पर साइड इफेक्ट न डालें फिर भी संस्था उन पर नजर रखती हैं ।

आयुर्वेद और यूनानी में भी कुछ ऐसी दवाएं हैं जिनका साइड इफेक्ट होता है क्योंकि यह 100% किडनी से छनकर नहीं निकल पाती है । ऐसी दवाओं में मरकरी, सीसा,व भस्में  आदि हैं । जिन दवाओं का साइड इफेक्ट आयुर्वेद और यूनानी में होता है उन दवाओं पर निर्देश लिखा होता है कि इन्हें चिकित्सक की देखरेख में प्रयोग किया जाए । 

ऊपर हमने एक सामान्य स्थिति का वर्णन किया है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि औषधियां हम खा रहे हैं और वह किडनी से निकल भी रही है  लेकिन अन्य किसी कारण बस किडनी प्रॉब्लम होने से औषधियां शरीर में स्टोर होने लगी जिसके कारण भी उनके साइड इफेक्ट नजर आने लगते हैं क्योंकि किडनी फेल होने पर हमें जल्दी पता नहीं चलता है । जब पता चलता है तब तक काफी देर हो जाती है।

नोट:---- 

इलेक्ट्रो होम्योपैथिक, होम्योपैथिक, बायोकेमिक और बैच फ्लावर रेमेडी अत्यंत सूक्ष्म होने के कारण उनका साइड इफेक्ट नहीं होता है ।

1 comment

  1. सिवाय नमस्कार के और कुछ नहीं kar सकते ऐसे ज्ञानियों को
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