Electro homeopathy treatment of chicken pox in hindi इलेक्ट्रो होम्योपैथी में चिकन पॉक्स या चेचक रोग की चिकित्सा
सामान्यत 12 वर्षों से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करने वाली इस समस्या को चिकन पॉक्स के नाम से जानते हैं।
यह रोग वैरीसेल जोस्टर वायरस के कारण होता है। एक बहुत ही तेजी से फैलने वाला संक्रामक रोग है। यह वायरस एक बार शरीर में प्रवेश करने के बाद इलाज के बाद सुसुप्त अवस्था में जाकर कई वर्षों बाद भी उभरकर हर्पिस जोस्टर के रूप में वापस आ सकता है।
Electro Homeopathy Chiken Pox |
चिकन पॉक्स रोग होने के कारण एवं लक्षण–
यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित व्यक्ति के कपड़ो को इस्तेमाल करने से, खांसने से, हवा के प्रभाव से, फुंसियों के निकलने वाले द्रव से, संक्रमित व्यक्ति के बिस्तर के संपर्क में आने से फैलता है।
हार्पिज जोस्टर होने के शुरुआती अवस्था में मैं बुखार के साथ में त्वचा पर खुजली वाले चकत्ते जो पहले सपाट निशान और बाद में फफोलों के रूप में दिखाई देते हैं। यह फफोले तीन-चार दिनों तक रह सकते हैं फिर सूखकर स्कैब बनाते हैं।
चिकन पॉक्स से संक्रमित मरीज को यदि बुखार भी है। तो मरीज को अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए और फफोलो में खरोच लगने से बचाना चाहिए।
जिसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है। व गर्भवती महिलाओं को ऐसे किसी भी मरीज के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
मरीज को किसी के संपर्क में आने से तब तक बचाना चाहिए जब तक फफोले सुख नहीं जाते हैं आमतौर पर चकत्ते दिखने के 1 सप्ताह बाद तक । ताकि दूसरों तक बीमारी को फैलने से रोका जा सके।
इलेक्ट्रो होम्योपैथी में चिकन पॉक्स या चेचक रोग की चिकित्सा
Electro homeopathy treatment in chicken pox
S1+L1+BE ― 2nd Dillution alternate C5+Ver1+GE ―2nd Dillution Tds |
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