फाइटोलेक्का होम्योपैथी के फायदे | Phytolacca Homeopathy Uses in Hindi

Phytolacca ke fayde in hindi |फाइटोलेक्का के क्या फायदे हैं | Phytolacca Benifit in hindi
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फाइटोलेक्का के फायदे | Phytolacca ke fayde in hindi |फाइटोलेक्का के क्या फायदे हैं | Phytolacca Benifit in hindi

फाइटोलेक्का (Phytolacca) क्या है?

फाइटोलेक्का जिसे आमतौर पर कांटेन के नाम से भी जाना जाता है, एक पौधों की जाति है जिसमें कई प्रकार के पौधे शामिल होते हैं। इस जाति के पौधों में बेरी की तरह के फल होते हैं, जिन्हें कुछ स्थानों पर खाद्य के रूप में भी उपयोग किया जाता है, और कुछ प्रजातियों के बीज और पौधों के अन्य हिस्से भी चिकित्सा उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त होते हैं।

Phytolacca का एक प्रमुख प्रजाति Phytolacca americana होती है, जिसे पोकरूट (Pokeweed) के नाम से भी जाना जाता है। पोकरूट के पौधों के फल लाल होते हैं और इन्हें कई देशों में खाद्य के रूप में तैयार करके खाया जाता है, लेकिन ध्यानपूर्वक खाद्य प्रक्रिया के बारे में जानकारी रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका अधिक सेवन हानिकारक हो सकता है।

इसके अलावा, Phytolacca के कुछ प्रजातियाँ चिकित्सा में उपयोग हो सकती हैं, जैसे कि Phytolacca decandra, जिसका तिनकुरिया (Pokeberry) के नाम से उपयोग होता है, जो होम्योपैथिक चिकित्सा में कई रोगों के इलाज के लिए प्रयुक्त होता है।

Benifits of Phytolacca
Benifits of Phytolacca

फाइटोलेक्का होम्पयोपैथी औषधि का परिचय

रोगी के पूरे शरीर में हल्का-हल्का दर्द हो तथा इसके साथ ही बेचैनी हो तो ऐसे लक्षणों को दूर करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का प्रयोग लाभदायक होता है जिसके फलस्वरूप इस प्रकार के लक्षण ठीक हो जाते हैं। इस औषधि का प्रभाव अधिकतर ग्रन्थियों पर पड़ता है। ग्रन्थियों में सूजन होने तथा इसके साथ ही गर्माहट महसूस होने कि स्थिति में इसका प्रभाव लाभदायक होता है। हडि्डयों के ऊतकों, प्रावरणियों तथा पेशी आवरणों पर इस औषधि की शक्तिशाली क्रिया होती है।

शरीर के कई हडि्डयों में दर्द होना, हडि्डयों के जोड़ों पर दर्द होना, गले में जलन होना, पूयजनक, तालुओं में जलन और डिफ्थीरिया, शरीर का धनुष के आकार में अकड़न जाना, शरीर का वजन कम होना, बच्चों को दांत निकलने के समय परेशानी होना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप इस प्रकार के लक्षण ठीक हो जाते हैं।

शरीर के विभिन्न अंगों में उत्पन्न होने वाले लक्षणों के आधार पर  Phytolacca Homeopathy Medicine का उपयोग

मन से सम्बन्धित लक्षण में फाइटोलेक्का औषधि का प्रयोग

चारों ओर की चीजों के प्रति त्यागने की भावना होती है और व्यक्तिगत स्पर्धाओं में हिस्सा लेने का मन नहीं करता है। जीवन में उदासीपन हो जाता है और जीने की इच्छा नहीं होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का प्रयोग करना चाहिए।

सिर से सम्बन्धित लक्षण में फाइटोलेक्का औषधि का प्रयोग

रोगी को चक्कर  आने लगता है और सिर पर घाव हो जाता है और इसके साथ ही दर्द होता है। माथे के पीछे के भाग में दर्द होता है। कनपटियों में व आंखों के ऊपर दर्द होता है, खोपड़ी के हडि्डयों के जोड़ों में दर्द होता है व हर बार वर्षा होने पर दर्द होने लगता है। खोपड़ी पर पपड़ीदार घाव हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग लक्षणों को ठीक करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।

आंखों से सम्बन्धित लक्षण में फाइटोलेक्का औषधि का प्रयोग

आंखों के आस-पास की त्वचा पर चिड़चिड़ापन महसूस होता है तथा पलकों के नीचे रेत होने जैसी अनुभूति होती है और पलकों के किनारे गर्म महसूस होते हैं, अश्रुग्रन्थि का नालव्रण हो जाता है तथा अधिक मात्रा में आंसू बहने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का प्रयोग करना लाभदायक होता है।

नाक से सम्बन्धित लक्षण में फाइटोलेक्का औषधि का प्रयोग

नाक के अन्दर से अधिक मात्रा में पानी जैसा पदार्थ बहता रहता है और सर्दी तथा जुकाम हो जाता है और एक नथुने और पश्चनासारन्ध्रों से श्लैष्मिक स्राव होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का प्रयोग करना उचित होता है।

मुंह से सम्बन्धित लक्षण में फाइटोलेक्का औषधि का प्रयोग

बच्चों के दांत निकलते समय दांत पीसने की इच्छा होती है, दांत अपने आप में भिंच जाते हैं, निचला होंठ नीचे की ओर खिंचा हुआ रहता है तथा होंठ बाहर की ओर मुड़े हुए रहते हैं, जबड़ें आपस में जोरों से सटे हुए रहते हैं, ठोढ़ी नीचे की ओर उरोस्थि तक खिंची हुई रहती है। जीभ की नोक लाल, खुरदरी और झुलसी हुई प्रतीत होती है, मुंह से खून बहने लगता है और मुंह के किनारों पर फफोलें पड़ जाते हैं। जीभ पर नक्शे जैसी आकृति तथा दांत के चिंह पड़ जाते हैं तथा जीभ पर दरारयुक्त निशान भी होते हैं तथा इसके साथ ही बीच में नीचे की ओर पीला धब्बा पड़ा रहता हैं और लार अत्यन्त चिपचिपी होती है। इस प्रकार के मुंह से सम्बन्धित लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का प्रयोग करना चाहिए।

गले से सम्बन्धित लक्षण में फाइटोलेक्का औषधि का प्रयोग

गले पर गहरे लाल या नीले-लाल धब्बे पड़ जाते हैं तथा जीभ की जड़ में तेज दर्द होता है और उसकी तालु और तालुमूल ग्रन्थियां सूजी हुई रहती हैं। गले में गोला होने जैसी चीजों की अनुभूति होती है। गले में खराश महसूस होता है। तालुमूल ग्रन्थियां सूजी हुई रहती है, विशेषकर दाईं ओर की ग्रन्थि, इस पर काली-लाल आकृतियां भी बन जाती है। निगलने पर कानों में गोली लगने जैसा दर्द होता है। 

गले की झिल्लियों में सफेद भूरा, गाढ़ा, लसीला, पीला कफ जमा रहता है जिसे छुड़ाना मुश्किल होता है। कोई भी गरम-गरम चीज निगलने में कठिनाई होती है। कर्णमूल ग्रन्थि में तनाव होता है तथा इसके साथ ही दबाव महसूस होता है। रोहिणी रोग हो जाता है तथा गले में जलन भी होती है और उसमें पीब बनने लगता है। डिफ्थीरिया रोग हो जाता है तथा इसके साथ ही गले में जलन होती है, जीभ की जड़ में दर्द होता है जिसका असर कान तक होता है। 

रोगी के गले की टांसिल सूज जाती है और इन पर सफेद दाग पड़ जाते हैं जो कभी-कभी आपस में मिलकर घाव बन जाते हैं और उनकी पीड़ा कानों तक होती है, रोगी को ऐसा महसूस होता है कि गले में कफ का ढेला अटका हुआ है जिसे हटाने के लिए रोगी को बार-बार निगलने की क्रिया करनी पड़ती है। 

गले की टांसिल बढ़ जाती है तथा उस स्थान पर सूजन भी आ जाती है, तालुमूलग्रन्थियों में जलन होती है, तालुमूल ग्रन्थियां व गलतोरणिका में सूजन आ जाती है तथा इसके साथ ही गले में जलन होती है और दर्द होता है। रोगी को इतना तेज दर्द होता है कि वह पानी को भी नहीं निगल पाता है। इस प्रकार के गले से सम्बन्धित लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।

पेट से सम्बन्धित लक्षण में फाइटोलेक्का औषधि का प्रयोग

दायें अध:पर्शुक प्रदेश में दर्द होता है तथा उस स्थान पर धब्बा पड़ जाता है, पेट के पेशियों के जोड़ों में दर्द होता है, नाभि के पास दर्द होता है, नाभि पर जलन होने के साथ ही ऐंठन भी होती है। पाचनतन्त्र व पेट में कुचलने जैसा दर्द महसूस होता है। वृद्ध व्यक्तियों का हृदय कमजोर हो जाता है तथा इसके साथ ही उन्हें कब्ज की शिकायत भी होती है। मलांत्र से खून बहने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का प्रयोग करना लाभदायक होता है।

मूत्र से सम्बन्धित लक्षण में फाइटोलेक्का औषधि का प्रयोग

पेशाब बहुत ही कम मात्रा में होता है तथा इसके साथ ही पेशाब करने में रुकावट होती है। इसके साथ ही गुर्दे के भाग में दर्द होता है। गुर्दे में जलन होती है। पेशाब में खड़िया जैसा चूना आता है तथा अण्डे की सफेदी जैसा पदार्थ आता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का प्रयोग करना उचित होता है। 

स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण में फाइटोलेक्का औषधि का प्रयोग

स्तन में जलन होती है तथा स्तन कठोर हो जाता है और इसमें अहसहनीय दर्द होता है। स्तन में घाव हो जाता है तथा इसके साथ ही कक्षा ग्रन्थियां बढ़ जाती हैं। स्तन में कैंसर हो जाता है। स्तन कठोर, दर्दयुक्त तथा बैंगनी रंग की हो जाती है। स्तन में फोड़ा होना। दायें डिम्बाशय के नाड़ियों में दर्द होना। मासिकस्राव अधिक मात्रा में होना और बार-बार होना। 

चूचक के आस-पास दरारें पड़ जाती है और छोटे-छोटे घाव हो जाते हैं। स्तन में जलन होती है तथा मासिकधर्म के समय में और उसके पहले के समय में दर्द होता है। स्तन से अधिक मात्रा में दूध का स्राव होता है तथा स्तन में दर्द भी होता रहता है। जब बच्चा दूध पीता है तो चूचक में दर्द होता है और दर्द का असर सारे शरीर में फैल जाता है। इस प्रकार के स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का प्रयोग करना चाहिए।

पुरुष रोग से सम्बन्धित लक्षण में फाइटोलेक्का औषधि का प्रयोग

अण्डकोषों में दर्द होता है तथा इसके साथ ही अण्डकोष कठोर हो जाता है, मूलाधार से लेकर लिंग तक गोली लगने जैसा दर्द होता है। इस प्रकार के पुरुष रोग से सम्बन्धित लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।

हृदय से सम्बन्धित लक्षण में फाइटोलेक्का औषधि का प्रयोग

रोगी को ऐसा महसूस होता है कि जैसे हृत्पिंड गले में उछल आया हो। हृदय के भाग में दर्द होता है तथा इसके साथ ही दायें बाजू में भी दर्द होता है। इस प्रकार के हृदय से सम्बन्धित लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का प्रयोग करना लाभदायक होता है। 

श्वसन संस्थान से सम्बन्धित लक्षण में फाइटोलेक्का औषधि का प्रयोग

रोगी का गला बैठ जाता है तथा वह कुछ भी बोलने में असमर्थ हो जाता है। श्वास लेने में परेशानी होती है तथा सूखी और परेशान करने वाली, कुटकुटीदार खांसी हो जाती है, यह खांसी रात के समय में अधिक होती है। छाती के मध्य भाग अर्थात उरोस्थि भाग में हल्का-हल्का दर्द होता है और इसके साथ ही खांसी भी होती है। निचली मध्यपंजर पेशियों की हडि्डयों के जोड़ों में दर्द होता है। इस प्रकार के श्वास संस्थान सम्बन्धित लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का प्रयोग करना उचित होता है।

पीठ से सम्बन्धित लक्षण में फाइटोलेक्का औषधि का प्रयोग

रोगी के कमर पर हल्का-हल्का दर्द होता है, दर्द ऊपर की ओर उठता हुआ और नीचे की त्रिकास्थि प्रदेश तक चाला जाता है। गुर्दे के भाग में कमजोरी महसूस होती है और हल्का-हल्का दर्द होता है। पीठ अकड़ी हुई विशेषकर सुबह के समय में उठने पर और भीगी वातावरण में दर्द होता है। इस प्रकार के पीठ से सम्बन्धित लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का प्रयोग करना चाहिए।

शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण में फाइटोलेक्का औषधि का प्रयोग

दाएं कंधों में गोली लगने जैसा दर्द होता है तथा इसके साथ ही अकड़न और बांह को ऊपर उठाने में रोगी असमर्थ रहता है। जोड़ों पर दर्द होता है तथा सुबह के समय में अधिक दर्द होता है। दर्द बिजली के झटकों के समान उड़ान भरते हुए होता हैं। गोली लगने जैसा दर्द होता है। दर्द अपना स्थान बदलता है। जांघों के भीतरी अंशों की ओर दर्द होता है। एड़ियों में दर्द होता है, पैरों को जब ऊपर उठाते हैं तो रोगी को राहत मिलती है। 

झटके लगने जैसा दर्द होता है। टांगों में दर्द होता है, रोगी अपने पैरों को ऊपर उठाने से डरता है। पैर सूजे हुए, टखनों व पैरों में दर्द होता है। पैर की उंगलियों में दर्द होता है। रोगी के सारे शरीर में दर्द होता है और कुचलने जैसा दर्द होता है, रोगी कराहता रहता है और रोगी जब हाथ-पैरों को चलाता है तो उसके रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। इस प्रकार के शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।

चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षण में फाइटोलेक्का औषधि का प्रयोग

रोगी की त्वचा पर खुजली होती है जिसके कारण रोगी खुजलाता रहता है। रोगी की त्वचा सूख जाती है तथा सिकुड़ जाती है और फीका हो जाता है। त्वचा पर फुंसियां हो जाती है। फोड़ा हो जाता है तथा यह ठीक होकर पपड़ियों के रूप में उतरने लगती है। ग्रन्थियों की सूजन और कठोरता। आरक्त-ज्वर जैसा घाव होना। मस्सें और तिल होना। इस प्रकार के चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का प्रयोग करना चाहिए। चर्म रोग से सम्बन्धित रोग की प्रारम्भिक अवस्थाओं में यह औषधि सर्वाधिक उपयोगी है।

गठिया वाय से सम्बन्धित लक्षण में फाइटोलेक्का औषधि का प्रयोग

सूजाक दोष के कारण उत्पन्न गठिया वात रोग जिसमें गाठें सूजी हुई रहती है तथा दर्द भी होता रहता है, जोड़ों पर सुर्खी आ जाती है और सूजन हो जाती है, पारे के दुरुपयोग और आतशक से टांग की लम्बी हडि्डयों की झिल्ली में सूजन और दर्द होता है, नम मौसम में या रात के समय में रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का उपयोग करना चाहिए।

हैजा से सम्बन्धित लक्षण में फाइटोलेक्का औषधि का प्रयोग

बच्चों को हैजे की बीमारी होने पर बच्चा अपने मसूढ़े को काटता रहता है और सामने जो कुछ पाता है, पकड़कर मुंह में ले लेता है और काटता है। बच्चे के दांत निकलते समय यह लक्षण अक्सर पाया जाता है, दांत निकलते समय दस्त या और किसी रोग के साथ यह लक्षण होना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित बच्चें के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का प्रयोग करना चाहिए।

रोगी में रोग की वृद्धि

वैद्युतिक परिवर्तनों के प्रति असहिष्णु, भीगने से, जब वर्षा होती है तब, नमी वातावरण में रहने से, ठण्डी वातावरण में, रात के समय में, ठण्डी हवा लगने से, गति करने से और दाएं भाग में रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।

रोगी को रोग में राहत कब मिलती है

गर्मी, खुश्क मौसम, आराम करने से रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।

बेलाडोना के विकल्प के रूप में प्रयोग वाली औसधियाँ Alternative Medicine of Arsenicum Album

तुलनात्मक रूप में प्रयोग होने वाली औषधियां
Rhus tox 
Kali Hydro 
Mercurius 
Brayonia  
Araun Triphyllum

फाइटोलेक्का होम्योपैथी औषधि के प्रभाव को कैसे खत्म करें

दूध और नमक, Belladonna औषधि का उपयोग Phytolacca Homeopathy Medicine के दोषों को दूर करने के लिए किया जाता है।

फाइटोलेक्का होम्योपैथी औषधि के प्रयोग की मात्रा

Phytolacca Homeopathy Medicine की मूलार्क से 3 शक्ति का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए। स्तन में जलन होने पर इस औषधि का बाहरी प्रयोग करना चाहिए।

फाइटोलेक्का होम्योपैथी औषधि की उपलब्धता

Phytolacca Homeopathy Medicine भारत व् अन्य देशों में 30CH, 200CH, 1000CH, की पोटेंसी में कहीं भी उपलब्ध है। अगर आपके क्षेत्र में यह दवा नही मिल पा रही तो आप इसे ऑनलाइन माध्यम से भी इसे आसानी के साथ में मंगवा सकते हैं आजकल बहुत साडी कम्पनियाँ दवाओं की बिक्री ऑनलाइन माध्यम से कर रही हैं। जो की सुरक्षित तरीके से दवाओं को घर तक पहुचाती हैं ।

स्वास्थ्य सलाह  डिस्क्लेमर

Phytolacca Homeopathy Medicine से सम्बंधित यह पोस्ट केवल सामान्य जानकारी और शिक्षण के उद्देश्यों के लिए है और यह आपके स्वास्थ्य पर प्रोफेशनल मेडिकल सलाह या निदान की जगह नहीं लेनी चाहिए। हमारे द्वारा प्रदान की जाने वाली किसी भी सामग्री या सलाह का उपयोग करने से पहले, आपको अपने चिकित्सक  सलाह लेनी चाहिए।

यदि आपको स्वास्थ्य से सम्बन्धी कोई  समस्या है, तो कृपया तुरंत अपने चिकित्सक से मिलें और उनकी सलाह और निदान का पालन करें। स्वास्थ्य से जुड़े किसी भी निर्णय को लेने से पहले आपके चिकित्सक की सलाह का पालन करें, क्योंकि हर व्यक्ति का स्वास्थ्य और मेडिकल इतिहास अलग होता है।

इस जानकारी का उपयोग केवल स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है।


लाइकोपोडियम के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Qus • Phytolacca क्या है?

Ans • फाइटोलेक्का जिसे आमतौर पर कांटेन के नाम से भी जाना जाता है, एक पौधों की जाति है जिसमें कई प्रकार के पौधे शामिल होते हैं। इस जाति के पौधों में बेरी की तरह के फल होते हैं, जिन्हें कुछ स्थानों पर खाद्य के रूप में भी उपयोग किया जाता है, और कुछ प्रजातियों के बीज और पौधों के अन्य हिस्से भी चिकित्सा उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त होते हैं।

Qus • Phytolacca Homeopathy Medicine का किसके लिए प्रयोग किया जाता है?

Ans • रोगी के पूरे शरीर में हल्का-हल्का दर्द हो तथा इसके साथ ही बेचैनी हो तो ऐसे लक्षणों को दूर करने के लिए Phytolacca Homeopathy Medicine का प्रयोग लाभदायक होता है जिसके फलस्वरूप इस प्रकार के लक्षण ठीक हो जाते हैं। इस औषधि का प्रभाव अधिकतर ग्रन्थियों पर पड़ता है। ग्रन्थियों में सूजन होने तथा इसके साथ ही गर्माहट महसूस होने कि स्थिति में इसका प्रभाव लाभदायक होता है। हडि्डयों के ऊतकों, प्रावरणियों तथा पेशी आवरणों पर इस औषधि की शक्तिशाली क्रिया होती है।

Qus • क्या मैं Phytolacca Homeopathy Medicine ले सकता हूं?

Ans • Phytolacca Homeopathy Medicine को कोई भी ले सकता है आमतौर पर इसके कोई भी दुष्परिणाम देखने को नही मिले हैं फिर भीर किसी भी दवा को लेने से पहले चिकित्सक से सलाह अवश्य लेना चाहिए

Qus • मुझे Phytolacca Homeopathy Medicine कब लेना चाहिए?

Ans • आपको Hydrastis Canadensis को सुबह शाम 2-10 बूंद एक चम्मच पानी के साथ अथवा डॉक्टर की सलाह से लेना चाहिए।

Qus • Phytolacca Homeopathy Medicine को हिंदी में क्या कहते हैं?

Ans • Phytolacca Homeopathy Medicine​ को हिंदी में फाइटोलेक्का कहते हैं।

Qus • Phytolacca Homeopathy Medicine के साथ दूसरी होम्योपैथिक दवा को ले सकते हैं

जी हां इस दवा के साथ अन्य होम्योपैथी दवा को ले सकते हैं लेकिन 1 दवा से दूसरे दवा को लेने में 20-30 मिनट का अंतराल रखना चाहिए।

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