ऐकोनाइटम नैपेल्लस होम्योपैथी औषधी के लाभकारी प्रयोग | Acontum Napellus Medicine,s Benefits in Hindi

ऐकोनाइटम नैपेल्लस होम्योपैथी औषधी के लाभकारी प्रयोग | Acontum Napellus Medicine,s Benefits in Hindi
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ऐकोनाइटम नैपेल्लस होम्योपैथी औषधी के लाभकारी प्रयोग | Acontum Napellus Medicine,s Benefits in Hindi

Aconite Napellus Benifit in Hindiसा
  Aconite Napellus Benifit in Hindi

ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का प्रयोग हमेशा नए रोगों पर किया जाता है इस दवा का पुराने रोगों से कोई सम्बंध नही है 

किसी भी रोगों को ठीक करने से पहले हमें यह समझना होगा कि नया रूप इसे कहते हैं और पुराना रोग किसे कहते हैं आपके आकलन में 2- 4 दिन में हुई किसी समस्या को हम नया रोग कहेंगे और कई महीनों से परेशान मरीज को पुराना रोगी कहेंगे।
यहां हम बताना चाहेंगे कि रोगी की प्रकृति और शारीरिक जांच पर के बाद अगर भैया लगता है कि या समस्या कुछ ही समय में ठीक हो जाएगी चाहे उसकी चिकित्सा की जाए अथवा नया या एक्यूट रोग कहते हैं।
और अगर किसी रोगी को देकहने के बाद लगता है कि यह रोग काफी दिनों से है, रोगी की शारीरिक शक्ति में बहुत कमी आ गई है और और रोगी बिना किसी उपचार या दवा के ठीक नही होने वाला है। तो यह समझ लेना चाहिए कि उसे पुराना रोग या क्रोनिक है। इस प्रकार के रोगी को प्राण रोगी कहते हैं।

यदि किसी रोगी किसी भी कारण से मारने का डर होता है, बेचैनी के साथ घबराहट होती है  रोग का आक्रमण एकदम तेज होने लगता है तो ऐसे रोगी में ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग करना चाहिए, इस औषधि के सेवन से रोगी ठीक हो जाता है। 
इस औषधि का असर लंबे समय के लिए नहीं होता है उस समय में ही यह सभी अपना काम करती है।
जिस रोगे में अचानक से किसी भी कारण से इस प्रकार की घबराहट बेचैनी या मृत्यु दर के लक्षण आते हैं तो उसी समय अगर हम एकोनाइट नैपेल्लस का प्रयोग करते हैं तो वह रोगी ठीक हो जाता है।

यदि रोगी अचानक से बेचैन हो उठता है डरने लगता है और उसे मृत्यु का डर लगने लगता है और डॉक्टर के पास जाते ही यह बार-बार कहता है कि मैं निश्चित ही मर जाऊंगा मुझे कोई नहीं बचा सकता ऐसे रोगियों में एकोनाइट नैपेल्लस की 200 नंबर की पोटेंसी की खुराक देने से रोगी मैं बना हुआ इस प्रकार का डर खत्म हो जाता है और रोगी ठीक हो जाता है

जब कोई छोटा बच्चा अपने बिस्तर पर रोने कराने लगता है और रोते रोते करोड़ों को इधर-उधर बदलता है बच्चा कुछ समय पहले तक खेल रहा होता है और जब अब रोता है तो उसे गोद में लेकर या घुमाने पर चुप कराने की कोशिश की जाती है तो वह बच्चा चुप नहीं होता है और उस बच्चे में बुखार के लक्षण भी नजर आते हैं तो ऐसे में एकोनाइट नैपेल्लस
औषधि का प्रयोग करना चाहिए। 

किसी रोगी का अंधेरे में रहने का मन करता हो और बाहर आने से डरता हो किसी मीटिंग या सभा में जाने से डरता हूं सड़क पार करने में घबरा गया हो रोगी का शरीर कहां पर हो ऐसे लक्षणों मेंएकोनाइट नैपेल्लस का प्रयोग करने से उस रोगी को लाभ मिलता है

यदि किसी स्त्री को गर्भावस्था के दौरान यह सोच कर डर बना रहता है कि वह जब उसे अपने बच्चे को जन्म देगी तो उस समय वह दर्द को सह नहीं सकेगी और बच्चे को जन्म देने से पहले ही वह मर जाएगी या डर उसके दिमाग में हमेशा बना रहता हूं तो ऐसी स्त्री में एकोनाइट की 200 नंबर की औषधि का सेवन करवाना चाहिए इस औषधि के सेवन से उसका इस प्रकार का डर दूर हो जाएगा इस अवसर के निरंतर प्रयोग से कुछ ही समय में स्त्री बिल्कुल ठीक हो जाएगी क्योंकि इस प्रकार की डर की वजह से वह स्त्री बीमार रहने लगती है बॉर्डर के खत्म होते ही वह ठीक होने लगती है।

उन बच्चों में एकोनाइट नैपेल्लस बहुत लाभकारी है जो बच्चे देखने में गोल मटोल, मोटे ताजे से दिखते हैं ऐसे बच्चों के शरीर में खून अधिक होता है जिसके कारण उनका चेहरा लाल पड़ गया होता है।

ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का विभिन्न लक्षणों पर रोगियों में उपयोग-

मुख (मुंह) से सम्बन्धित लक्षण :- 

ऐकोनाइटम नैपेल्लस के रोगी के मुंह के अंदर सूखापन होता है जीभ सूजी हुई होती है और जीप के अगले भाग में गुदगुदी सी महसूस होती है जबड़ा कंपन करता है जैसे वह कुछ जमा रहा हो दांत ठंडे हो जाते हैं रूबी के मसूड़े गर्म होते हैं और मसूड़ों में दर्द के साथ जलन होती है जीभ पर सफेद परत जम जाती है ऐसे लक्षणों में होम्योपैथी से उपचार करने के लिए एकोनाइट का प्रयोग करना चाहिए

आंखों से सम्बन्धित लक्षण :- 

यदि आंखों में अचानक से ठंडी हवा लगकर आंखों में लालिमा हो जाती है आंखें गड़ने लगती हैं  जलन और तेज दर्द होने लगता है आंखों में सूजन हो जाती है ऐसा लगता है आंखों में बालू का कण चला गया हो और उस वजह से आंखों में किरकिराहट हो रही हो तो ऐसे में एकोनाइट का प्रयोग करना चाहिए। वहीं अगर आंखों में किसी पदार्थ के चले जाने से इस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं तो ऐसे रोगी को अर्निका मोंटाना या सल्फर औषधि का प्रयोग करवाना चाहिए 
बाएं साइड की आंख की पुतलियों में तेज दर्द में स्पाइजेलिया एन्थेलमिया औषधि का उपयोग करना चाहिए


कान से सम्बन्धित लक्षण :- 

यदि कोई बच्चा खुश्क और उत्तरी ओर से आने वाली हवा में घुमाने पर जोर जोर से चिल्लाने लगता है उसे बुखार हो जाता है और उसे चुप कराने की कोशिश पर भी चुप नहीं होता है वह बच्चा बार-बार कान की तरफ हाथ ले जाता है और गोद में घुमाने पर चुप हो जाता है ऐसे में उस बच्चे को एकोनाइट का प्रयोग करवाना चाहिए।
जबकि यदि बच्चे के कान में जलन हो रही हो तथा उसे कान कटता हुआ महसूस हो रहा हो, उसके कान में कीड़े का डंक लगने जैसा दर्द हो रहा हो तथा कान पर दर्द और जलन हो रहा हो, सुनने से परेशानी हो रही हो तो उसे नेट्रम-कार्व या सैब होम्योपैथी औषधि देना चाहिए।

चेहरे से सम्बन्धित लक्षण :- 

यदि किसी रोगी का एक गाल लाल रंग का व दूसरा फीका हो और चेहरे में सूजन हो, रोगी को चेहरे का वजन बढ़ा हुआ महसूस हो रहा हूं और चेहरा देखने में रुखा रुखा लग रहा हो तो ऐसे में ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग करना चाहिए। 

प्यास से सम्बन्धित लक्षण :-

यदि रोगी को बार-बार और अधिक मात्रा में पानी की प्यास लगती है और जब रोगी पानी पीता है तो उसकी प्यास नहीं बुझती है ऐसे लक्षण में होम्योपैथिक औषधि एकोनाइट का प्रयोग करना चाहिए
और जब रोगी को प्यास तो बहुत अधिक लग रही है लेकिन जब वह पानी पीता है तो उससे पानी पिया नहीं जाता और वह पानी को थोड़ा थोड़ा और धीरे-धीरे करके पीता है तो ऐसे में उसे आर्सेनिक एल्बम होम्योपैथी औषधि का प्रयोग करना चाहिए 
और जब कोई रोगी प्यास बहुत तेज लग रही हो लेकिन वह बहुत देर बाद पानी पीता है और वह बहुत अधिक मात्रा में पानी पीता है तो ऐसी स्थिति में उस रोगियों में ब्रायोनिया का प्रयोग करना चाहिये।

शुष्क वायु से रोग की उत्पत्ति (कोमप्लैंटस बाई एक्सपोस्युर टू ड्राई कोल्ड एअर) से सम्बन्धित लक्षण :- 

जब सूखे वातावरण में चलने वाली ठंडी हवा के कारण दर्द कब जलन व बुखार की समस्या हो गई हो यानी कोई रोग हो गया हो तो ऐसे लक्षणों में उस रोगी के रोग को ठीक करने के लिए एकोनाइट का प्रयोग करना लाभकारी है।
और जब नमी युक्त ठंडी हवा रोगी को दर्द जलन बुखार की समस्या होती है तो उस समस्या को ठीक करने के लिए डलकैमेरा, रस-टाक्स, नक्स-मस्केटा और नेट्रम-सल्फ औषधि का उपयोग करना चाहिए।
लेकिन जब गर्म वातावरण या गर्म वायु के संपर्क में रहने पर रोगी को ठंड का एहसास होता है तो ऐसे में उसे ब्रायोनिया कास्टिकम और नक्स वोमिका औषधि का सेवन करवा कर लाभ दिया जाता है।


सूजन, प्रदाह (इनफ्लेमेशन) से सम्बन्धित लक्षण :- 

यदि रोगी के शरीर के किसी भाग में खून की अधिकता या जलन होती है तो उस रोगी के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग लाभदायक है। 
ज्वलनकारी ज्वर, आंख, कान, तालू, फेफड़ा, दिल, आंतड़ियां तथा शरीर के किसी भी भाग में तेज जलन या रक्त का संचय होने पर, खून या रस के वहां पर जमने से पहले इस औषधि का उपयोग करना चाहिए। जबकि खून अच्छी तरह से जम जाए तो बेलाडोना औषधि का उपयोग करना चाहिए, खून जमकर फैल जाने पर ब्रायोनिया और एपिस औषधि का उपयोग करना चाहिए, मवाद जम जाने पर हिपर तथा साइलिशिया औषधि का उपयोग करना चाहिए।

जुकाम से सम्बन्धित लक्षण :- 

यदि सुखी ठंडी हवा हवा शरीर में लगने पर एकाएक पसीना रुक जाता है और पसीना रुक जाने के कारण जुकाम हो जाता है बार-बार चीटियां आने लगती हैं नाक से पतला गर्म पानी निकलने लगता है शरीर में हल्का दर्द और बुखार हो जाता है तो ऐसे में ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग लाभकारी है।
वही जाड़े के मौसम में होने वाली ठंड से जब जुखाम बुखार होता है तो वहां पर नक्स-वोमिका, ऐमोन-कार्ब और सैम्बयूकस औषधि का उपयोग लाभदायक होता है।
कफ सूख जाने पर ब्रायोनिया, चायना औषधि का उपयोग करने से लाभ मिलता है।

स्नायुशूल से सम्बन्धित लक्षण :- 

 ट्रेन बस टैक्सी आदि खुले वाहनों में सफर करते समय जब ठंडी हवा लगती है तो चेहरे में लालिमा आ जाती है जलन होती है नसों में तेज दर्द होता है कैसा महसूस होता है कि चेहरे से भाप निकल रही है ऐसा महसूस होता है जैसे चेहरे पर चीटियां रेंग रही है और कभी कभी ऐसा महसूस होता है कि नसों के भीतर ठंडा पानी दौड़ रहा है ऐसे लक्षणों को दूर करने के लिए पीड़ित रोगी को ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग करना चाहिए।
जबकि यदि चेहरे के बांई तरफ के स्नायु में दर्द के साथ जलन भी हो रही हो तो स्पाइलीजिया औषधि का उपयोग करना चाहिए, 
और यदि चेहरे के बांई तरफ का स्नायु तेज दर्द के साथ सुन्न पड़ गया हो तो कालचिकम औषधि का उपयोग करना चाहिए, यदि चेहरा पर सुखापन आ गया हो तो एमिल नाइट्रोसम औषधि का उपयोग करना चाहिए।



मूत्र-संस्थान (युरिनरी ओरगेंस) से सम्बन्धित लक्षण :-

गुर्दे तथा मूत्राशय (किडनी एंड ब्लेडर) पर ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का लाभदायक प्रभाव होता है। बार-बार पेशाब करने की इच्छा के साथ दर्द और बेचैनी हो रही हो, पेशाब थोड़ा, गर्म, लाल या काला हो रहा हो, पेशाब करने में दर्द महसूस हो रहा हो तथा पेशाब बूंद-बूंद करके आ रहा हो और मूत्र-नली में जलन हो रही हो। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है।

ठण्ड लगने पर बच्चों को पेशाब कराने पर वे रोते हैं और उन्हें बेचैनी हो रही हो तो इस प्रकार के लक्षणो में रोगी को ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि देना चाहिए। जबकि यदि रोगी में खाली पेशाब थोड़ा, गर्म और लाल या काला हो रहा हो तो उसे एपिस, आर्स, बेल, कैन्थ औषधि देना चाहिए, यदि पेशाब रुक-रुककर आ रहा हो तो एपिस, हायोस या स्ट्रैमो औषधि का उपयोग करना चाहिए।

स्त्री जननेन्द्रिय से सम्बन्धित लक्षण :-

रक्त प्रधान स्त्री (शरीर में रक्त की अधिकता वाली स्त्री) का मासिकधर्म ठण्ड लगने तथा डरने या क्रोधित होने से रुक गया हो तो ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग लाभकारी है। ऐसे स्त्री के योनि खुश्क, गर्म हो गया हो और स्पर्श सहन न हो रहा हो तथा जिस प्रकार प्रसव (बच्चे को जन्म देने के समय योनि से खून बहता है उस प्रकार का स्राव) के समय में स्राव होता है उस प्रकार से स्राव हो रहा हो, शरीर गर्म और खुश्क हो गई हो तो इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित स्त्री को ठीक करने के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है।

अचानक मासिकधर्म रुक जाने पर डिम्भकोष में जलन हो रही हो, भय या क्रोध से गर्भपात हो जाने की आशंका हो तो ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग करना चाहिए जबकि यदि रोगी स्त्री में केवल योनि खुश्क, गर्म और स्पर्श सहन न होने का लक्षण हो तो उसे बेल औषधि देना चाहिए, बच्चेदानी से रक्त का स्राव हो रहा हो तो उसे हेमा, सिकेल या इपिकैक औषधि देना चाहिए।

पक्षाघात से सम्बन्धित लक्षण :- 

खुश्क, ठण्डी हवा लगने से शरीर पर पक्षाघत (लकवा) का प्रभाव, रोग ग्रस्त भाग पर ठण्ड अधिक लगना और झनझनाहट हो तो ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग लाभदायक है। यदि रोग ग्रस्त भाग पर झनझनाहट हो तो कैनाबिस इन्डिका और स्टैफिसैग्रिया औषधि देना चाहिए, ठण्ड से होने वाले पक्षाघात में रस-टाक्स, सल्फर और कास्टिकम औषधि देना चाहिए, इस प्रकार के लक्षण होने पर ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि के अलावा इन औषधियों को दे सकते हैं, अत: ऐसे लक्षण होने पर ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि की तुलना कैनाबिस इन्डिका, स्टैफिसैग्रिया, रस-टाक्स, सल्फर और कास्टिकम औषधि से कर सकते हैं।

प्रसव (बच्चे को जन्म देना) से सम्बन्धित लक्षण :- 

बच्चे को जन्म देते समय यदि बहुत अधिक परेशानी स्त्री को हो रही हो या किसी यंत्र के द्वारा उसका प्रसव कराया जा रहा हो और नवजात शिशु सांस न लेता हो, बेहोश पड़ा हो या दिल की तकलीफ़ के कारण सांस लेने में दम घुटता सा मालूम होता हो तो इस प्रकार के लक्षण में ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग करना चाहिए। यदि नवजात शिशु का पेशाब किसी कारण से रुक जाए और कई दिनों तक न हो तो उसे ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि देनी चाहिए इसके अलावा कोई भी दवा नहीं देना चाहिए। जबकि बच्चे को जन्म देने के बाद यदि माता को मूत्राभाव-(मूत्र की कमी या मूत्र का रुक जाना) हो तो एक खुराक कास्टिकम औषधि का सेवन कराना चाहिए इससे उसका यह रोग ठीक हो जाएगा।

सिर दर्द से सम्बन्धित लक्षण :- 

डर, क्रोध, और रजोधर्म (मासिकधर्म) के एकाएक रुक जाने के कारण सिर में खून की अधिकता से सिर में दर्द और चक्कर आना, सिर की चोटी पर तेज दर्द होना जिसके कारण सिर फटता हुआ मालूम पड़े और रात के समय दर्द में और तेजी होना तथा चलने-फिरने से और खुली हवा में रहने से कुछ आराम मिलता हो, लू, लपट लगने तथा खासकर के धूप में सोने से सिर में दर्द तेज हो जाना, जाड़े के मौसम में उत्तर की खुश्क ठण्डी हवा से रेल या घोड़े की सवारी से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। रक्त प्रधान (रक्त की अधिकता) व्यक्तियों का जुकाम रुक जाने पर और साथ ही सिर में दर्द होना। इस प्रकार के लक्षण यदि किसी व्यक्तियों में है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि बहुत उपयोगी है। रोगी के आंखों के भौं पर तेज दर्द हो रहा हो, सिर में दर्द होने के साथ ही बेचैनी हो रही हो, तेज प्यास लग रही हो और भय अधिक हो तो ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग लाभदायक है।

मन से सम्बन्धित लक्षण :- 

रोगी को अधिक भय हो, अधिक चिन्ता हो, भय के कारण कई चीजों को नष्ट करने का मन कर रहा हो, रोगी को प्रलाप की अवस्था (शोक की अवस्था) हो और वह अप्रसन्न हो, ऐसी अवस्था होने पर भी रोगी को बेहोशी कम आती हो। भविष्य के प्रति निराश तथा भयभीत हो, मौत से डरता हो, रोगी यह सोचता हो कि मृत्यु होने वाली है, रोगी अपनी मौत के दिन की भविष्यवाणी भी कर देता है। भीड़भाड़ तथा सड़क पार करते समय अधिक डर लगता हो, व्याकुलता अधिक हो, बार-बार करवटें बदल रहा हो, चौंकने की प्रवृति बढ़ जाती है, दर्द सहन नहीं हो रहा हो, दर्द के कारण रोगी पागल सा हो जाता है। किसी संगती में रहने का मन नहीं कर रहा हो, रोगी अधिक उदास रहता हो। कभी तो रोगी यह सोचता है कि उसके शरीर का अंग अस्वाभाविक रूप से मोटा हो गया है तथा जो कुछ अभी-अभी किया है वह एक सपना था। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में है तो उसका उपचार करने के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग करना चाहिए।

दांतों के दर्द से सम्बन्धित लक्षण :- 

दांत के दर्द में ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग बहुत राहत देने वाला है लेकिन यह ध्यान देना चाहिए कि दांत का दर्द पुराना हो तथा इसके साथ रोगी को अधिक घबराहट हो रही हो तथा बेचैनी हो रही हो।


जलन से सम्बन्धित लक्षण :- 

रोगी को बुखार हो, सिर तथा रीढ़ और नसों में जलन हो रही हो, कभी-कभी रोगी को ऐसी जलन होती है कि उसके शरीर पर किसी ने मिर्च लगा दी हो। इस प्रकार के लक्षण को दूर करने के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग लाभकारी है।

गले से सम्बन्धित लक्षण :- 

गले में जलन, लाली, खुश्की, टॉन्सिल की वृद्धि, सूजन, गले में दर्द, निगलने में तकलीफ और गले में सूजन हो, लेकिन इन लक्षणों के साथ-साथ रोगी को अधिक घबराहट, बेचैनी तथा रोगी के शरीर में रक्त की अधिकता, खुश्की तथा ठण्डी हवा से रोग के लक्षणों में वृद्धि हो तो ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग करना चाहिए।

पेट से सम्बन्धित लक्षण :-

* खुश्क ठण्डी हवा लगने से खूनी पेचिश हो गया हो तो ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग लाभकारी है।
* शारीरिक परिश्रम करने के बाद बर्फ का पानी पीने से पेट में जलन हो रही हो, मुंह से पेट तक जलन हो रही हो, दर्द ऐसा महसूस हो रहा हो जैसे कि पेट का कोई भाग कट गया हो तो इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है।

* उल्टी तथा पेशाब करने में अधिक परेशानी हो रही हो तो रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है लेकिन रोगी को इन लक्षणों के साथ डर तथा बेचैनी भी होना चाहिए।
* बच्चे को पानी के समान पतला दस्त हो रहा हो तथा डर और बेचैनी हो रही हो तो ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग करना चाहिए।
* बुखार के साथ अचानक तेज ऐंठन हो रही हो, आंव, दस्त में खून आ रहा हो, घास के रंग का हरा दस्त आए तो इस प्रकार के लक्षण होने पर ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग बहुत लाभकारी है।

मलान्त्र से सम्बन्धित लक्षण :- 

मलद्वार में दर्द होने के साथ रात को खुजली और सुई चुभोने जैसा दर्द होना, बार-बार थोड़ा-थोड़ा मलत्याग होना तथा मल का रंग हरा, कूटी हुई वनस्पति जैसे टुकड़ों में होना, पेशाब का रंग लाल होना, हैजा जैसी अवस्था हो जाना तथा उसके साथ रोगी को बहुत अधिक बेचैनी, घबराहट तथा भय होना। खूनी बवासीर। बच्चों को पानी की तरह दस्त होना तथा इसके साथ बच्चों का अधिक रोना तथा चिल्लाना, नींद न आना और बेचैनी होना। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग करना चाहिए।

आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- 

उल्टी आना तथा इसके साथ-साथ भय होना, अधिक गर्मी लगना तथा अधिक पसीना निकलना, पेशाब बार-बार आना, ठण्डे पानी की प्यास लगना, पानी के अलावा हर चीज का स्वाद कड़वा लगना। अधिक प्यास लगना। पानी पीते ही उल्टी आना तथा रोगी यह कहता हो कि अब मैं मर जाऊंगा। पित्त का रंग हरा तथा श्लैष्मिक और रक्त युक्त हो जाना। आमाशय पर अधिक दबाव महसूस होने के साथ सांस लेने में कष्ट होना। खून की उल्टी होना। आमाशय से ग्रासनली (भोजननली) तक जलन होना। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग करना चाहिए।

पुरुष से सम्बन्धित लक्षण :-

* रक्त प्रधान (खून की अधिकता वाले पुरुष) पुरुषों को अचानक ठण्ड लगने से उनके अण्डकोष में वृद्धि तथा उसमें दर्द और सूजन हो तो ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग लाभकारी होता है।
* लिंगमुंड पर चींटियों के रेगनें जैसा अहसास हो रहा हो तथा डंक लगने जैसी अनुभूति हो रही हो अण्डकोष में कुचले जाने जैसा दर्द तथा कठोरपन महसूस हो रहा हो, कुछ समय के लिए लिंग में उत्तेजना होकर वीर्यपात हो जाना तथा लिंग में दर्द होना। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग लाभकारी होता है।

हृदय से सम्बन्धित लक्षण :- 

हृदय में रोग होने के साथ बायें कंधे में दर्द होना। छाती में सुई चुभने जैसा दर्द होना। धड़कन की गति तेज होने के साथ बेहोशी होने की समस्या होना, उंगलियों में सुरसुराहट तथा नाड़ी तेज चलना, नाड़ी तेज, कठोर, तनी और उछलती हुई महसूस होना। नाड़ी कभी-कभी रुक-रुककर चलती हुई महसूस होता हो। रोगी जब बैठता है तब उसकी कनपटियों और गले की नाड़ियों को महसूस किया जा सकता हो। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में है तो उसका उपचार करने के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग करना चाहिए।

पीठ से सम्बन्धित लक्षण :- 

रोगी के पीठ में सुन्नपन होना तथा पीठ में अकड़न तथा दर्द महसूस होना। पीठ में कुचलन (कुचलने जैसा दर्द) तथा रसकन (क्राउलिंग) और सरसराहट महसूस होना। गर्दन के पिछले भाग में अकड़न तथा स्कन्ध-फलकों के बीच दर्द होना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि लाभदायक है।

रक्तस्राव से सम्बन्धित लक्षण :- 

शरीर के किसी भी भाग से रक्त का स्राव (खून का बहना) हो रहा हो तो ऐसी स्थिति में ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग करना चाहिए क्योंकि इसके उपयोग से रक्त का स्राव होना बंद हो जाता है और इसलिए इस अवस्था में यह बहुत उपयोगी है।

श्वास-संस्थान से सम्बन्धित लक्षण :-

न्यूमोनिया की शुरुआती अवस्था में पसीने निकलने के साथ तेज बुखार हो, कष्टदायक सूखी खांसी में और तेज नब्ज और भरी हुई रहने पर ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि लाभकारी है।

न्यूमोनिया का असर रोगी के चेहरे से पता चलता हो, रोगी यह कहता हो कि मेरी मृत्यु हो जायेगी, मै कुछ ही समय में मर जाऊंगा और रोगी को मृत्यु का भय और बेचैनी रहती है। रोगी के छाती में सुई सी चुभन होती है और तेज दर्द होता है, रोगी को पीठ के बल लेटने के अलावा किसी और तरह से लेट न पा रहा हो। रोगी जरा ऊंचा होकर पीठ के बल लेटना पसन्द करता हो। जरा से खांसने से कफ के साथ खून निकलने लगता हो, क्षय (टी.बी.) रोग न होने पर भी अपने आप खून की उल्टी हो रही हो और खून का रंग बिल्कुल लाल हो तो इस प्रकार के लक्षण से पीड़ित रोगी के रोग का उपचार करने के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग करना चाहिए, इसके उपयोग से रोगी को बहुत लाभ मिलता है।

नाक से सम्बन्धित लक्षण :- 

गंध के प्रति भारी संवेदनशीलता (गंध का अधिक अनुभव होना), नासिकामूल पर दर्द। नजला होने के साथ अधिक छींके आती हों। नथुनों में जलन तथा दर्द हो। नाक से चमकदार लाल खून निकल रहा हो। श्लैष्मिक झिल्ली सूखी हुई, नाक बंद, सूखा या हल्का बह रहा हो। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग करना चाहिए।

ज्वर से सम्बन्धित लक्षण :- 

बुखार किसी न किसी कारण से हुआ हो जैसे कि ठण्डी हवा लग जाना, पसीना दब जाने का बुरा प्रभाव और परिश्रम करने के बाद ही भीग जाना या नहाने से तथा इस बुखार के साथ यदि रोगी को भय, डर तथा मृत्यु का भय लग रहा हो तो ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग करना चाहिए।
ठण्ड से सम्बन्धित लक्षण :- ठण्ड हाथ-पैरों से आरम्भ होकर छाती और सिर की तरफ चढ़ता है, एक गाल में सूखापन तथा गर्मी महसूस हो रही हो, दूसरा गाल ठण्डा पीला हो गया हो जरा भी हिलने या रजाई से हटने से ठण्ड अधिक तेज महसूस हो रहा हो तथा डर और भय और बेचैनी हो रही हो तो ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग करना चाहिए।

ताप (गर्मी) से सम्बन्धित लक्षण :-

त्वचा बिल्कुल खुश्क और गर्म हो गया हो, चेहरा पर सूखापन और प्यास अधिक मालूम होती है और रोगी एक ही बार बहुत ज्यादा और ठण्डा पानी पी लेता है, रोगी को बेचैनी और घबराहट होती है। रोगी परेशानी के कारण बार-बार करवटें बदलता रहता है, एक स्थान पर वह नहीं रह सकता हो। शाम के समय में तथा नींद न आने पर लक्षणों में और वृद्धि हो, बुखार बहुत देर तक रहता हो। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी को ठीक करने के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग करना चाहिए।

शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण :- 

शरीर के कई अंगों में सुन्नपन, सुरसुराहट, तेज दर्द महसूस होना, हाथ-पैरों में बर्फ जैसी ठण्ड महसूस होना और असंवेदनशीलता महसूस हो रही हो। बाहों में कुचलने जैसा दर्द, भारीपन और सुन्नपन महसूस होना। बायें बाजू में नीचे की तरफ दर्द होना। हाथ गर्म तथा पैर ठण्डे होना। हडि्डयों के जोड़ों में आमवाती जलन होना, रात के समय में इन जोड़ों में तेज दर्द होना, हडि्डयों के जोड़ों पर लाल चमकदार सूजन होना। हड्डी के जोड़ ढीले पड़ना तथा कमजोर होना, जोड़ में दर्द तथा कड़कड़ाहट होना। रोगी को ऐसा महसूस हो रहा हो कि नीचे की जांघ पर पानी की बूंदें टपक रही हैं। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग करना चाहिए।

नींद से सम्बन्धित लक्षण :- 

रोगी को नींद में डरावने सपने आते हों, बेचैनी हो रही हो। अनिन्द्रा के साथ बेचैनी और करवटें बदलते रहना। सोते-सोते अचानक चौंक पड़ना, सपने आने के साथ छाती पर दबाव महसूस करना। वृद्धों में अनिन्द्रा रोग। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि का उपयोग करना चाहिए।

सावधानी :-

ज्वर के शुरुआती अवस्था में ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि नहीं देना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। जब तक रोगी को बुखार की अवस्था में उसे मृत्यु का डर न लग रहा हो, घबराहट न हो रही हो, बेचैनी, रोग का लक्षण तेज न हो और रोग अचानक न हो और तेज न हो तब तक ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि रोगी को नहीं देना चाहिए।

सम्बंध :-

रोग की नई अवस्था (एक्युट स्टेट) में ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि उपयोगी है जबकि पुरानी रोग की अवस्था में (क्रोनिक स्टेट) में सल्फर औषधि उपयोगी है।
अम्ल पदार्थ, शराब और कॉफी, खट्टे फल तथा नींबू का शर्बत ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि की क्रिया को और अधिक प्रभावी करते हैं।

शमन (एमेलिओरेशन) :-

खुली हवा में टहलने से, गरम कमरे में रहने, शाम तथा रात को, धूम्रपान करने से, पीड़ित अंग का सहारा लेकर लेटने से, संगीत से, शुष्क तथा ठण्डी वायु इस औषधि के लक्षणों में कमी होती है।

मात्रा (डोज) :-

ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि की मात्रा ज्ञानेन्द्रियों के रोगों के लिए छठी शक्ति, रक्तसंकुचन अवस्थाओं के लिए पहली व तीसरी शक्ति उपयोगी है। ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि तीव्र (तेज) क्रिया करने वाली औषधि है।

Disclaimer: किसी भी व्यक्ति की किसी भी बीमारी के बारे के एक डॉक्टर ही भलीभांति समझता है इस आर्टिकल में बताई गई जानकारी, उपचार, तरीके पुराने अध्ययन के अनुसार है जो हर व्यक्ति पर लागू नही हो सकते अतः यहां बताई विधि, तरीक़ों व दावों की www.worldehf.com पुष्टि नहीं करता है, इनको केवल सुझाव के रूप में लें, किसी भी प्रकार के रोग के निदान हेतु एक डॉक्टर की सलाह जरूर लें।


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