योहिम्बीनम होम्योपैथिक औषधि Yohimbinum Homeopathic Medicine Uses in Hindi
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Yohimbinum homeopathy Medicine Uses
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सभी चिकित्सक एवं अन्य समस्त प्रिय पाठकजनों का मैं एक बार पुनः हार्दिक अभिनंदन करता हूं आपकी अपनी वेबसाइट worldehf.com पर होम्योपैथी की मेडिसिन की श्रंखला में एक मेडीसिन को लेकर आज की पोस्ट में जानेंगे Yohimbinum Homeopathy Medicine in Hindi के बारे में
योहिम्बिनम होम्योपैथिक औषधि क्या है
योहिम्बिनम का सबसे पहले पश्चिमी अफ्रीकन देश के मूल निवासियों ने प्रयोग की उन निवासियों ने योहिम्बिनम पेड़ की छाल का उपयोग किया और पाया कि या एक कामोत्तेजक गुणों से भरपूर और उपयोगी होता है पौधा है योहिम्बिनम पेड़ की छाल से एक क्रिस्टलीय पदार्थ के रूप में प्राप्त किया जाता है।
योहिम्बिनम एक होम्योपैथिक औषधि है यह औषधि अनेक प्रकार के लक्षणों पर अपना असर दिखाती है योहिम्बिनम औषधि का मुख्य कार्य स्नायु मंडल से संबंधित ऑर्गन पर अत्यधिक होता है एवं इसके साथ ही स्वास केंद्रों पर भी इसका प्रभाव पड़ता है यह जननेंद्रिय को उत्तेजित करने वाली औषधि है।
योहिम्बिनम औषधि का प्रयोग पेट के पुराने रोगों पर किया जाता है जिसका बहुत ही अच्छा प्रभाव पड़ता है इस औषधि का प्रयोग जननेंद्रिय भागों में रक्त के धीमे संचार को तेज करने के लिए किया जाता है महिलाओं के सिथिल पड़े वक्ष स्थलों में रक्त संचार बढ़ाने एवं दुग्ध ग्रंथियों को उत्तेजित करने के लिए किया जाता है। महिलाओं में इस औषधि के प्रयोग से मासिक स्राव की अधिकता होना एक सामान्य बात है।
शरीर के विभिन्न अंगों में उत्पन्न लक्षणों के आधार पर योहिम्बीनम औषधि का उपयोग
जो किसी कमजोर यौन रूप से दुर्बल रोगी अलग-अलग इस प्रकार के लक्षणों के साथ में आता है तो उसमें होम्योपैथी औषधि योहिम्बिनम का उपयोग करना चाहिए।
मुख से सम्बंधित लक्षण
योहिम्बिनम के रोगी की जीभ पीले रंग की एक परत से ढकी होती है। जीभ से किसी धातु सा स्वाद मिलता है, लार अधिक बनती है मुह में।
सिर से सम्बंधित मच्छरों में लक्षणों में :-
इस प्रकार के योहिम्बिनम के रोगी का पेट ठीक नहीं रहता उसमें जीभ में चलाने के जी मिचलाने के लक्षण दिखाई देते हैं डकारे आती है रोगी थका सा बैठा रहता है उसका किसी भी कार्य में मन नहीं लगता सारा दिन उसके चेहरे पर गर्मी सी महसूस होती है ऐसे लक्षणों में योहिम्बिनम होम्योपैथी औषधि का का उपयोग करना चाहिए।
जननेन्द्रिय से संबंधी लक्षणों में
इस प्रकार के रोगियों में रोगी के जेनिटल भाग मैं उत्तेजना होती है लेकिन नसों में दुर्बलता के कारण उसमें नपुंसकता की शिकायत होती है। रोगी में खूनी बवासीर के लक्षण होते हैं, मूत्रनली में जलन होती है, आंत्रिक रक्तस्राव होता है। ऐसे सभी रोगियों में योहिम्बीनम होम्योपैथी औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
रोगी में बुखार से सम्बंधित लक्षण
रोगी का शरीर मे गर्मी होती है ऐसा लगता है मानो शरीर से गर्म भाप निकल रही हो, जाड़े के साथ बुखार, पसीने की अधिकता ऐसे लक्षण दिखने पर रोगी को योहिम्बीनम होम्योपैथी औषधि का प्रयोग करना चाहिये।
नींद से सम्बंधित लक्षण
ऐसे रोगी जिनको नींद नही आती, दिनरात अपने जीवन मे घटित घटनाओं के बारे में सोचते है। ऐसी हालत सोते समय भी होती है तो रोगी नींद से उठ जाता है। नींद पूरी न होने के कारण थकान आदि लक्षणों में योहिम्बीनम औषधि का सेवन कराना चाहिए।
मल-मूत्र से संबंधित लक्षण
ऐसे रोगियों में पेशाब में जलन होती है। रोगी पेशाब कई बार जाता है। पेशाब में झाग बनता है।
रोग में वृद्धि होना
रोगी को रात के समय रोग में वृद्धि महसूस होती है, रोगी में कामोत्तेजना के बढ़ने से रोगी की समस्या बढ़ जाती है तथा मलत्याग करते समय रोग बढ़ता है।
रोग कम होना
रोगी जब मन को एकाग्र करके फ्री होकर बैठता है तो उसे आराम मिलता है।
रात्रि या दिन में नींद आने पर आराम मिलता है।
योहिम्बीनम औषधि के अन्य विकल्प के रूप में निम्न औषधियों का चुनाव किया जा सकता है।
तुलनात्मक रूप में प्रयोग होने वाली औषधियां |
एपिस apis mellifica |
फास्फो-ए Phosphorus Acid |
ग्रेफा Graphites |
काली-फा Cali Phos |
लैके |
लायको Lycopodium |
मर्क Mercury |
नैट्र-म्यू Natrum Muriaticum |
नक्स-वो Nux Vomica |
ओपियम Opium |
फासी |
पिक-ऐ Picric Acid |
योहिम्बीनम औषधि की तुलना एपिस, फास्फो-ए, ग्रेफा, काली-फा, लैके, लायको, मर्क, नैट्र-म्यू, नक्स-वो, ओपि, फास तथा पिक-ऐ औषधि से की जाती है।
मात्रा :- योहिम्बीनम औषधि के 3 शक्ति का प्रयोग किया जाता है। सम्भोग शक्ति बढ़ाने के लिए इस औषधि की 1 प्रतिशत घोल से 10 बूंदें लेनी चाहिए।