यौन रोगों की होम्योपैथिक चिकित्सा | Homeopathic Sexual Disorder treatment

संभोगक्रिया से सम्बंधित रोग (Coition) | गुप्तरोगों के होम्योपैथी चिकित्सा, यौन रोगों की होम्योपैथिक चिकित्सा, Homeopathic Sexual Disorder treatment
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संभोगक्रिया से सम्बंधित रोग (Coition) | गुप्तरोगों के होम्योपैथी चिकित्सा

यौन रोगों की होम्योपैथिक चिकित्सा
  संभोगक्रिया से सम्बंधित रोग

संभोगक्रिया से सम्बंधित रोग स्त्री या पुरुष दोनों ही को हो सकता है।

जीव-जगत के जीवन काल के चक्र को पूरा करने में 2 भाग अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है। पहला  भाग नर और दूसरा भाग मादा का। किसी भी सजीव में ऐसा होता है चाहे वो पशु हो, पक्षी हो, या मनुष्य हो इस प्रकार से जीवन चक्र को चलाने के जब जब किसी भी वर्ग के दो जीव मिलकर एक सन्तान को जन्म देते है तो वह उस वर्ग को आने वाले समय के लिए जीवित रखता है या क्रम निरन्तर चलता रहता है।
इस प्रकार जब एक ही वर्ग के दो जीव नर-मादा आपस मे रति क्रिया(संभोग) करते है तो उसके परिणाम स्वरूप उस वर्ग के जनरेशन में बढ़ोत्तरी होती है।

दो जीवों के बीच संभोग क्रिया एक ऐसा आनंद वाला पल होता है है जिसका एहसास, आनंद कही और मिल ही नही सकता है।

लेकिन हर कार्य को करने की अपनी एक समय सीमा, नियम, और परहेज अवश्य होता है। जिसके पालन से ही सबकुछ निरंतर सही रूप से चलता है। जिसमे गड़बड़ी होते ही स्वास्थ्य की दृष्टि से कई व्याधियां उत्पन्न होने लगती हैं।

किसी कारण से पुरुष की सेक्सुअल लाइफ में अति में कमी आते ही कुछ परिणाम दिखाई देते है परुषों में शुक्राणु के कमी हो जाती है या इतने ज्यादा कमजोर हो जाते है कि सन्तान पैदा करने में पुरुष असमर्थ हो जाता है।
पुरुष में नपुंसकता हो जाती है जिस कारण वह संभोग क्रिया में भी सफल नही हो पाता है। लेकिन उसमें संभोग करने की इच्छा बहुत तेज होती है।
स्त्रियों में संभोग करने की इच्छा अति तीव्र हो या संभोग क्रिया करने में बिल्कुल भी इच्छा ना होना, संभोग क्रिया करते समय अत्यधिक पीड़ा से गुजरना, संभोग क्रिया में पूरी तरह संतुष्ट ना हो पाना, बांझपन होना, बच्चा पैदा करने की क्षमता ना होना

आदि संभोग क्रिया से संबंधित रोग हैं जिनके होने से रोगी के जीवन में अत्यधिक निराशा होती है जीवन तबाह हो जाता है।

सम्भोग क्रिया से सम्बंधित रोगी के लक्षण और उनका होम्योपैथिक उपचार

पुरुषों के संभोगक्रिया से सम्बंधित रोग

पुरुषों के वीर्य में शुक्राणु न होना

नपुंसकता के रोग में रोगी को जो औषधियां दी जाती है वे ही औषधियां वीर्य में शुक्राणुओं की कमी होने पर या न होने पर दी जाती हैं क्योंकि इन औषधियों के दिए जाने के बाद पुरुष संतान पैदा करने में समर्थ हो जाता है।

चिकित्सा

टरनेरा (डेमियाना) Damiana

संभोग-सम्बंधी स्नायविक कमजोरी (सेक्सुअल नेयूरस्थेनिआ) के कारण नपुंसकता पैदा हो जाना, मूत्राशय-मुखशायी-ग्रन्थि का स्राव तो बन जाता है लेकिन उसमें शुक्राणु नहीं होते तो ऐसे रोगियों को टरनेरा औषधि के मूल-अर्क Q की 30-40 बूंदों को गुनगुने पानी में मिलाकर रोजाना 2-3 बार देना चाहिए। स्त्रियों में भी अगर संभोगक्रिया में अनुकूल प्रतिक्रिया न हो तो भी ये औषधि बहुत अच्छा असर करती है।

चिनिनम-सल्फChininam Sulphuricum

पुरुष के वीर्य में शुक्राणुओं के न होने के साथ अगर संभोगक्रिया की इच्छा न हो या बिना किसी कारण से संभोगक्रिया का मन न करता हो तो ऐसे में रोगी को चिनिनम-सल्फ औषधि की 3x या 30CH शक्ति का सेवन कराना लाभकारी रहता है।

स्ट्रिकनीनम Stychninum Phosphoricum

अगर पुरुष की संभोगक्रिया की इच्छा इतनी तेज हो कि स्त्री को जरा सा छूते ही उसकी ये इच्छा बढ़ जाए, अंडकोष सख्त हो जाए, वीर्य में शुक्राणु न हो तो ऐसे लक्षणों में उसे स्ट्रिकनीनम औषधि की 3x या 30CH शक्ति देने से लाभ मिलता है। स्त्रियों की संभोग करने की इच्छा तेज होने पर भी ये औषधि दी जा सकती है।

कोनायम Conium

कोनायम औषधि का `ग्रन्थियों´ पर बहुत ही अच्छा असर होता है। शुक्राणु अंडकोषों से ही आते हैं जो खुद ही ग्रन्थियां है, अगर पुरुष को नपुंसकता के साथ वीर्य में शुक्राणु भी न हो, यौन उत्तेजना न हो या बहुत ही कम हो, पुरुष स्त्री के साथ यौन-सम्बंध बनाने के काबिल न हो, स्त्री के जरा सा छूते ही उसका वीर्यपात हो जाए तो इस प्रकार के लक्षणों में रोगी को कोनायम औषधि की 200CH शक्ति देने से लाभ मिलता है।

आयोडम Iodium

अगर वीर्य में शुक्राणु न होने के कारण अण्डकोषों में सूजन आ जाए या वह सख्त हो जाए, अंडकोषों में पानी भर जाए, सूजन आ जाए तो ऐसे रोगी को आयोडम औषधि की 3x या 30CH शक्ति दी जा सकती है। यह औषधि स्त्रियों के स्तनों में सूजन आने पर भी प्रयोग की जा सकती है।

पुरुष नपुंसकता होने के साथ उसमें संभोग करने की भी शक्ति न हो (इमपोटेन्सि और डिसिरेडिक्रेसेड)-

चिकित्सा

नूफर-ल्यूटियम Nuphar Luteum- 

पुरुष में संभोगक्रिया की इच्छा न होना (सेक्सुअल डिसिर), नपुंसकता, पेशाब करते समय या मलक्रिया के दौरान वीर्य अपने आप ही निकल जाना, लिंग का ढीला पड़ जाना जैसे लक्षणों में रोगी को नूफर-ल्यूटियम औषधि का मूल-अर्क Q या 6x शक्ति देने से लाभ मिलता है।

ओनोस्मोडियम Onosmodium

पुरुष और स्त्री दोनों में ही संभोगक्रिया की इच्छा के बिल्कुल समाप्त हो जाने पर ओनोस्मोडियम औषधि की C.M की एक मात्रा देने से बहुत ज्यादा लाभ मिलता है। इससे स्त्री और पुरुष दोनों में ही यौन-उत्तेजना पैदा हो जाती है, बांझ स्त्रियां भी संतान पैदा करने में समर्थ हो जाती है।

कैलेडियम Caladium

कैलेडियम औषधि का जननांगों पर बहुत अच्छा असर होता है। हस्तमैथुन के कारण पुरुष को नपुंसकता पैदा हो जाना, आधी नींद की अवस्था में लिंग का उत्तेजित हो जाना लेकिन नींद से जागने के बाद उत्तेजना का पूरी तरह से समाप्त हो जाना, जननांगों में खुजली होना, स्त्री के साथ संभोगक्रिया करते समय वीर्य का न निकलना और संभोगक्रिया में पूरी तरह संतुष्ट न होना जैसे लक्षणों में कैलेडियम औषधि की 3x या 6x शक्ति देने से लाभदायक रहता है।

लाइकोपोडियम Lycopodium 

ज्यादा उम्र में शादी करने वाले पुरुषों में नपुसंकता के लक्षण पैदा हो जाने पर रोगी को लाइकोपोडियम औषधि की 200CH शक्ति देने से लाभ मिलता है।

स्टैफिसैग्रिया Staphysagria

पुरुषों में ज्यादा विषय-भोग के कारण नपुसंकता पैदा हो जाने पर स्टैफिसैग्रिया औषधि की 3x या 30 शक्ति दी जा सकती है।

नैट्रम-म्यूर Natrum Mur

पुरुष कीं संभोगक्रिया करने के बहुत देर बाद वीर्य-पात न होने पर नैट्रम-म्यूर औषधि की 30 या 200CH शक्ति लेना लाभकारी रहता है।

योहिम्बीनम Yohimbinum

स्नायविक-नपुंसकता (नेरूरस्थेनिक इमपोटेन्सि) में रोगी को योहिम्बीनम औषधि का मूल-अर्क Q या 3x शक्ति देने से बहुत लाभ मिलता है।

सैबल-सेरुलेटा Sabal Serrulata

पुरुष के जननांग ठंडे पड़ जाना, लिंग और अण्डकोष का सिकुड़ जाना जैसे लक्षणों में रोगी को सैबल-सेरुलेटा का मूल-अर्क Q या 3x शक्ति का प्रयोग करना चाहिए।

पुरुषों में यौन-उत्तेजना का तेज होना

(डेसिरे इनक्रेसेड)
चिकित्सा

फ्लोरिक-ऐसिड Fliuoride Acid

पुरुष में अगर यौन-उत्तेजना बहुत तेज हो जाती है, उसको अपनी बीबी से संभोग करने से भी यौन-उत्तेजना शांत नहीं होती, बहुत सारी स्त्रियों से संभोगक्रिया करता हो, हर समय आने-जाने वाली स्त्रियों को वासना भरी नज़रों से देखता रहता है, उस पर हर समय यौन-उत्तेजना चढ़ी हुई रहती है जिसके कारण उसे अपने सगे-सम्बंधी भी नज़र नहीं आते तो ऐसे लक्षणों वाले रोगी को फ्लोरिक-ऐसिड औषधि की 6x या 30CH शक्ति देना लाभकारी रहता है। ऐसी कामुक स्त्रियों को भी यह औषधि दी जा सकती है।

फॉस्फोरस Phosphorus

रोगी में बार-बार यौन उत्तेजना तेज हो जाती है, रोगी अपने मन से कामुक विचारों को निकालना चाहता है लेकिन निकाल नहीं पाता। इस तरह के लक्षणों में रोगी को फॉस्फोरस औषधि की 30CH शक्ति देना लाभकारी रहता है।

ओरिगैनम Origanum

ओरिगैनम औषधि की 3x शक्ति का उपयोग हस्त-मैथुन करने वाले स्त्री-पुरुष के लिए बहुत ही लाभकारी रहती है।

स्त्री के यौन सम्बंधी रोग | स्त्री का बांझ होना

चिकित्सा

सीपिया Sepia

स्त्रियों के बांझपन को दूर करने के लिए सीपिया औषधि बहुत ही उपयोगी साबित होती है। स्त्री का शरीर ऊपर से नीचे तक एक ही जैसा होता है, नितंब का भाग भी भरा हुआ नहीं होता जिसके कारण वह गर्भ को सम्भाल नहीं सकती, मासिकधर्म अनियमित होता है, प्रदर (योनि में से पानी आना) होता है, पेट में कब्ज बनती है। इस तरह के लक्षणों में रोगी स्त्री को सीपिया औषधि की 30CH या 200CH शक्ति दी जा सकती है।

बैराइटा-कार्ब Baryta Carbonica

स्त्रियों में डिम्ब-ग्रिन्थयों तथा स्तनों के सूख जाने पर अगर बांझपन पैदा हो तो उसे बैराइटा-कार्ब औषधि की 30CH शक्ति देना लाभकारी रहता है।

ऑरम-म्यूर-नैट्रोनेटम  Aurum Muriaticum Natronatum- 

होम्योपैथिक चिकित्सा में ऑरम-म्यूर-नैट्रोनेटम औषधि को स्त्रियों के बांझपन को दूर करने में बहुत ही खास माना जाता है। इस औषधि की 2x और 3x मात्रा स्त्री के गर्भाशय के रोगों को दूर करके उनको गर्भधारण करने में मदद करती है।

पल्सेटिला, सीपिया, कैलकेरिया-कार्ब

एक बहुत ही महान होम्योपैथिक चिकित्सक के अनुसार पल्सेटिला, सीपिया और कैलकेरिया-कार्ब औषधियों का स्त्रियों की जननेन्द्रियों पर बहुत ही अच्छा प्रभाव पड़ता है। यह तीनों औषधियां स्त्री के हारमोन्स को सक्रिय कर देती है। इन तीनों औषधियों को नियमित रूप से सेवन करने से बांझ स्त्री भी मां बनने में सक्षम हो जाती हैं।

ऐलैट्रिस-फैरिनोसा Aletris Farinosa

जो स्त्रियां गर्भाशय की कमजोरी के कारण मां नहीं बन पाती हैं उन्हें ऐलैट्रिस-फैरिनोसा औषधि का सेवन करना चाहिए। इससे गर्भाशय मजबूत बनता है और वे गर्भधारण करने के काबिल हो जाती है। रोगी स्त्री को समय से पहले और बहुत ज्यादा मात्रा में मासिकस्राव आना और इसके साथ ही प्रसव के जैसा दर्द होने पर इस औषधि का मूल-अर्क Q या 3x शक्ति सेवन करने से लाभ मिलता है।

बोरेक्स तथा मर्क सोल Borax and Merc Sol

अगर किसी स्त्री को मासिकधर्म की गड़बड़ी के कारण गर्भ न ठहरता हो तो ऐसी स्त्री को संभोगक्रिया करने से आधे घंटे पहलेबोरेक्स औषधि की 6x की एक मात्रा देनी चाहिए और संभोगक्रिया करने के आधे घंटे बाद एक मात्रा देनी चाहिए। अगर पुरुषों के वीर्य सम्बंधी दोष के कारण स्त्री को गर्भ न ठहरता हो तो उन्हें संभोगक्रिया करने से आधे घंटे पहले मर्क-सोल औषधि की 200CH शक्ति की एक मात्रा और संभोगक्रिया करने के आधे घंटे बाद एक मात्रा देनी चाहिए। इससे उस स्त्री को गर्भ ठहर जाता है। बोरेक्स औषधि के सेवन से गर्भाशय के दोष दूर होकर स्त्री गर्भधारण करने में सक्षम हो जाती है।

स्त्री को संभोगक्रिया करते समय परेशानी होना

पेनफुल कोएशन
चिकित्सा

फेरम-मेट  Ferrum Metallicum

रोगी स्त्री को संभोगक्रिया करते समय बहुत ज्यादा दर्द होता है, संभोगक्रिया करने के बाद खून बहता है, योनि बहुत ज्यादा असहनीय हो जाती है, योनि में काटता हुआ सा दर्द होता है। इस तरह के लक्षणों वाली स्त्री को फेरम-मेट औषधि की 2x या 6x शक्ति देनी चाहिए।

क्रियोसोट Creosote

पुरुष के साथ संभोगक्रिया करने के बाद स्त्री के जननांगों में दर्द होने पर क्रियोसोट औषधि की 30CH या 200CH शक्ति का सेवन करना लाभकारी रहता है।

अर्जेन्टम-नाइट्रिकम

संभोगक्रिया करते समय दर्द होना, बहुत ज्यादा मात्रा में प्रदरस्राव आना, गर्भाशय का मुंह छिल जाता है और उसमें से खून निकलने लगता है जैसे लक्षणों वाली स्त्री को अर्जेन्टम-नाइट्रिकम औषधि की 3x या 30CH शक्ति देने से लाभ मिलता है।

लाइसिन (हाइड्रोफोबीनम) Hydrophobinum

स्त्री का गर्भाशय बहुत ही ज्यादा नाजुक हो जाता है, रोगी स्त्री को ऐसा महसूस होता है जैसे कि उसके पेट में गर्भाशय पहुंच गया है, संभोगक्रिया करते समय उसे बहुत ज्यादा दर्द होता है। इन लक्षणों में रोगी स्त्री को लाइसिन औषधि की 30CH शक्ति दी जा सकती है।

सीपिया Cepia

रोगी स्त्री को संभोग करते समय बहुत ज्यादा दर्द होता है और इसी के साथ उसे प्रदरस्राव भी होता रहता है। इन लक्षणों के आधार पर रोगी स्त्री को सीपिया औषधि की 200CH शक्ति दी जा सकती है।

हाईड्रैस्टिस Hydrastis Canadensis

रोगी स्त्री को जननांगों में दर्द होने के साथ ही संभोग करने की इच्छा बनी रहती है, रोगी स्त्री के प्रदरस्राव का रंग अण्डे के अन्दर के सफेद भाग की तरह का होता है। इस प्रकार के लक्षणों वाली रोगी स्त्री को हाईड्रैस्टिस औषधि की 30CH शक्ति देना लाभकारी रहता है।

संभोगक्रिया के समय पूरी तरह संतुष्टि न होना

चिकित्सा

बरबेरिस वलगेरिस Barberis Vulgaris

रोगी स्त्री को पुरुष के साथ संभोग करते समय बिल्कुल भी संतुष्टि न होना, संभोगक्रिया करते समय योनि में बहुत तेज दर्द होता है जो जांघों के नीचे तक पहुंच जाता है, रोगी स्त्री को अक्सर पथरी का रोग हो जाया करता है। इन लक्षणों वाली रोगी स्त्री को बरबेरिस-वलगेरिसऔषधि का मूल-अर्क या 6x शक्ति का प्रयोग कराया जा सकता है।

कॉस्टिकम Causticum

स्त्री के अन्दर यौन-उत्तेजना का बहुत ही कम होना, संभोगक्रिया करते समय बिल्कुल संतुष्टि न होना जैसे लक्षणों में कॉस्टिकमऔषधि की 30CH शक्ति देना लाभकारी रहता है।

सीपिया Cepia

संभोगक्रिया करते समय रोगी स्त्री को बिल्कुल भी खुशी न होने के साथ-साथ संभोगक्रिया से बिल्कुल नफरत सी हो जाना आदि लक्षणों में रोगी स्त्री को सीपिया औषधि की 200CH शक्ति देने से आराम मिलता है।

यौन-सम्बंध बनाने से पहले और बाद में किसी तरह का रोग पैदा हो जाना

चिकित्सा-

सीपिया Cepia

रोगी स्त्री को संभोगक्रिया करने के बाद प्रदर रोग हो जाना या प्रदर का स्राव ज्यादा हो जाना जैसे लक्षणों में सीपिया औषधि की 200CH शक्ति देना लाभकारी रहता है।

हाईड्रैस्टिस Hydrastis Canadensis

स्त्री का संभोगक्रिया के बारे में सोचना ही बर्दाश्त न होना, रोगी स्त्री का प्रदरस्राव अंडे के अन्दर के सफेद भाग की तरह का आता है और प्रदरस्राव के समय उसकी तबीयत खराब हो जाती है। इस तरह के लक्षणों वाली स्त्री को हाईड्रैस्टिस औषधि की 30CH शक्ति देनी चाहिए।

ऐम्ब्रा-ग्रीसिया Ambra Grisea

रोगी स्त्री को संभोगक्रिया करने के बाद दमा रोग उठ जाना जैसे लक्षणों में ऐम्ब्रा-ग्रीसिया औषधि की 2x या 3x शक्ति का प्रयोग बहुत ही अच्छा रहता है। इस औषधि को रोगी स्त्री को बार-बार दिया जा सकता है।

क्रियोसोट Creosote

संभोगक्रिया करते समय तथा बाद में रोगी स्त्री की योनि में जलन होने पर उसे क्रियोसोट औषधि की 30CH या 200CH शक्ति देने से लाभ मिलता है।

स्टैफिसैग्रिया Staphysagria

रोगी स्त्री को संभोगक्रिया के बाद सांस के भारी होने पर स्टैफिसैग्रिया औषधि की 3x या 30CH शक्ति देनी चाहिए।

कैक्टस Cactus Grandiflorus

संभोगक्रिया करते समय स्त्री की योनि सिकुड़ जाने पर उसे कैक्टस औषधि का मूल-अर्क Q या 3x शक्ति का प्रयोग कराया जा सकता है।

फॉस्फोरस Phosphorus

स्त्री को संभोगक्रिया करते समय अपनी योनि में किसी तरह की अनुभूति न होने पर फॉस्फोरस औषधि की 30CH शक्ति लेनी चाहिए।

लाइकोपोडियम Lycopodium

रोगी स्त्री को संभोग करते समय तथा बाद में योनि में बहुत तेज जलन सी महसूस होना, योनि का बिल्कुल सूख जाना, जांघ के जोड़ों में ऐसा भारीपन महसूस होता है जैसे कि उसको मासिकस्राव आने वाला हो। इन लक्षणों वाली रोगी स्त्री को लाइकोपोडियम औषधि की 30CH शक्ति देनी चाहिए।

सेड्रन Cedron

स्त्री को संभोगक्रिया करने के बाद बोलने में हकलाहट सी होने पर सेड्रन औषधि का मूल-अर्क Q या 3x शक्ति देनी चाहिए। 

संभोग करने की इच्छा बहुत तेज होना (यौनोन्माद)-

मौसक्स Moschus

रोगी स्त्री को अपनी योनि में गुदगुदाहट सी महसूस होने के कारण संभोग करने की इच्छा होने पर मौसक्स औषधि की 1x या 3x शक्ति देना लाभकारी रहता है।

प्लैटिना Platina

प्लैटिना औषधि को स्त्री रोगों की एक बहुत खास औषधि मानी जाती है। कुंवारी युवतियों में संभोग करने की इच्छा होते रहना, गर्भवती स्त्रियों में यौन-उत्तेजना का तेज हो जाना आदि लक्षणों के आधार पर उसे प्लैटिना औषधि की 6x मात्रा या 30CH शक्ति का प्रयोग करना चाहिए।

हायोसाएमस Hyoscyamus

रोगी स्त्री हर किसी को अपने जननांग दिखाती रहती है एवं सबसे अश्लील बातें करती है। ऐसे लक्षणों में हायोसाएमस औषधि की 30CH शक्ति दी जा सकती है।

फॉस्फोरस Phosphorus

विधवा स्त्रियों में संभोग करने की इच्छा उठते रहने पर फॉस्फोरस औषधि की 30CH शक्ति का सेवन कराना लाभकारी रहता है।

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