किडनी का कार्य व किडनी में पथरी से बचाव
Written By- Dr Vijay Dagar | December 25, 2021
आज हम किडनी के कार्य तथा किडनी की पथरी के बारे में बात करेंगे।
हम भोजन में कुछ भी खाते हैं। उसमें से जो वेस्ट प्रोडक्ट बचते हैं वह हमारी बॉडी में टॉक्सिक का काम करते हैं ।इसको बॉडी से बाहर निकालने के प्रोसेस को एक्स क्रिएशन कहते हैं। तथा वेस्ट प्रोडक्ट को एक्स्क्रेटरी मटेरियल कहते हैं।
कार्बोहाइड्रेट तथा फैट की डाइजेशन से कार्बन डाइऑक्साइड तथा वेपर का निर्माण होता है ।जो कि वेस्ट होता है। प्रोटीन के डाइजेशन से एमिनो एसिड बनता है जब बॉडी एमिनो एसिड के रूप में यूज करता है तो तीन प्रकार के वेस्टीज का निर्माण होता है। अमोनिया, यूरिक एसिड तथा यूरिया।
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अमोनिया और यूरिक एसिड बहुत टॉक्सिक होता है। जिस को शरीर से बाहर निकालने के लिए यूरिया में बदलना पड़ता है जो कि लीवर करता है। सोडियम क्लोराइड जैसे वेस्ट प्रोडक्ट को स्किन द्वारा बॉडी से बाहर निकाला जाता है। टॉक्सिक निकालने वाले अंगों को एक्स्क्रेटरी ऑर्गन कहते हैं।
किडनी ब्लड से निकलने वाले वेस्ट को हटाता है तथा ब्लड में मौजूद आवश्यक पोषक तत्वों को बनाए रखता है। किडनी सेम के बीज जैसी होती है। एक व्यस्क मनुष्य में प्रत्येक किडनी 4 से 5 इंच लंबी, 2 इंच चौड़ी तथा 1.5 इंच मोटी होती है। इसका वजन लगभग 140 ग्राम होता है।
किडनी का बाहरी हिस्सा कार्टेक्स तथा भीतरी भाग मेडरूला कहलाता है। प्रत्येक किडनी के अंदर जो नेफ्रॉन होती हैं वही ब्लड फिल्टर करने का काम करता है। प्रत्येक किडनी में आर्टियोल होते हैं यह सभी नेफ्रॉन के बोमन कैप्सूल में एंटर करते हैं। जिसे ऑफरेंट आर्तियोल कहते हैं। यह बारीक कैपिलरी का एक समूह बनाता है जिसे ग्लूमिरास कहते हैं। जो ब्लड ग्लूमिरस के बीच में रहते हैं वह बहुत प्रेशर में होते हैं। इसलिए ब्लड से पानी, ग्लूकोस, मिनरल छन जाते हैं। केवल ब्लड सेल आरबीसी, डब्ल्यूबीसी, प्लेटलेट्स तथा प्लाज्मा नहीं छन पाते। यह ब्लड में ही रहते हैं तथा ब्लड कैपिलरी के द्वारा दोबारा अब्जर्व करके वापस भेज दिया जाता है। इस प्रोसेस को रिअब्जरवेशन कहते हैं।
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नेफ्रॉन में केवल वेस्टमैट्रियल बचता है जिसे हम यूरिन कहते हैं। इसमें यूरिया और पानी होता है। यह यूरेटर से यूरिनरी ब्लैडर में पहुंचता है। यूरिन का रंग पीला हिमोग्लोबिन के डीकंपोजिशन से यूरोक्रोम के कारण होता है। यूरिन के गंध का कारण इस में उपस्थित कार्बनिक पदार्थ होता है। इस का पीएच मान 6 होता है। एक सामान्य व्यक्ति के यूरिन में जल 96% ,यूरिया 2%, प्रोटीन वसा शुगर 1.3% तथा यूरिक अम्ल 0.5% पाए जाते हैं। ब्लड की शुद्धिकरण की प्रक्रिया को डायलिसिस कहते हैं।
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किडनी स्टोन
यह स्टोन किडनी या यूरिटर में रुक जाती हैं। जहां uretar पतला हो जाता है यह वहीं पर रुक जाती हैं। यह मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं ।
कैल्शियम ऑक्सलेट का स्टोन यह सबसे कॉमन होता है। कैल्शियम ऑक्सलेट एक ऐसी केमिकल होती है जो बहुत सारे खाने की चीजों में पाया जाता है। जैसे पत्ते वाली सब्जियों में, काजू, बादाम ,मूंगफली, मीठा आलू, चॉकलेट ।कम कैल्शियम तथा ज्यादा ऑक्सलेट खाने वालों को पथरी बन जाती है। कैल्शियम के सप्लीमेंट नहीं लेने हैं। ऑक्सलेट वाले सब्जियों को पानी में भिगोकर कुछ देर के पश्चात धोने के बाद ही उससे ऑक्सलेट निकल जाती है फिर उसको यूज करना है। इसमें पानी ज्यादा पीना है।
यूरिक एसिड वाली पथरी के लिए नॉन वेज खाना बंद कर दीजिए तथा अल्कोहल भी नहीं देना है ।
कैल्शियम फास्फेट वाली पथरी के लिए ज्यादा नमक नहीं खाना है। कोल्ड ड्रिंक, सोडा आदि भी नहीं लेना है।
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