गाउट क्या है? What is Gout? In Hindi

आज की पोस्ट जानेंगे गाउट क्या है? कारण, लक्षण और इलेक्ट्रो होम्योपैथी में गाउट की चिकित्सा Electro homeopathic treatment of Gout
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गाउट क्या है? कारण, लक्षण और इलेक्ट्रो होम्योपैथी में गाउट की चिकित्सा  Electro homeopathic treatment of Gout

गाउट जोड़ों में असहनीय पीड़ा को देने वाली एक व्याधि है जिसमें जोड़ों के अंदर शरीर द्वारा उत्पादित सोडियम यूरेट के क्रिस्टल बन सकते हैं। गाउट गठिया का एक गंभीर रूप है। गाउट हमारे शरीर के खून में एसिड बढ़ने या इकट्ठा होने के कारण होता है। किडनी में यूरिक एसिड का उत्पादन होता है, जब शरीर कोशिकाओं में रसायन को तोड़ता है।

Electro homeopathic treatment in Gout
  Electro homeopathic treatment in Gout

अगर यूरिक एसिड का हमारे शरीर में अधिक उत्पादन होता है और पेशाब के माध्यम से इसका उत्सर्जन कम होता है तो यह इकट्ठा होने लगता है और जोड़ों में और इसके चारों ओर आसपास छोटे-छोटे क्रिस्टल के रूप में बन सकते हैं।

ऐसा होने में (सुई की तरह क्रिस्टल बनने में) बहुत लंबा समय लगता है कई वर्षों में धीरे-धीरे इसका प्रभाव पड़ता है। इसलिए शुरुआत में इसका पता नहीं चल पाता है। वैसे तो शरीर के किसी भी जोड़ में इसका प्रभाव होता है पर मुख्यता इसका प्रभाव पैर की उंगलियों की सबसे बड़ी उंगली (अंगूठा) में पड़ता है। 

यूरिक एसिड बढ़ने के कारण

  • यूरिक एसिड बढ़ने के कारण निम्नलिखित हैं। 
  • किडनी की कार्यप्रणाली धीमा होना या कम होने के कारण 
  • प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थ का अधिक सेवन करना 
  • मोटापे के कारण यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ सकती है।
  • रक्त कैंसर

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  • कीमोथेरेपी जिससे शरीर में मृत कोशिकाएं बढ़ जाते है।
  • अल्कोहल या अन्य मादक पदार्थ का सेवन
  • मूत्र वर्धक, उच्च रक्तचाप आदि की दवाओं के कारण 
  • पानी की कमी के कारण
  • फ्रक्टोज़ युक्त खाद्यपदार्थ के सेवन के कारण

गाउट के लक्षण Symptoms of Gout

गाउट की समस्या में जोड़ों में या उनके चारों ओर एक असहनीय पीड़ा होती है और यह लक्षण क्षणिक होते हैं और कभी-कभी दीर्घकाल तक होते हैं यह लक्षण अचानक सामने आते हैं अधिकांश इसके लक्षण रात्रि रात्रि के समय दिखाई पड़ते हैं जिन्हें गाउट अटैक के नाम से जाना जाता है। 
इसे अंग्रेजी भाषा में एक्यूट गाउटी अर्थराइटिस (Acute Gouty Arthritis) कहा जाता है। 

गाउट में आमतौर पर अंगूठा के जोड़ों में प्रभाव होता है लेकिन शरीर के अन्य जोड़ों जैसे टखने, घुटने, कोहनी, कलाई और उंगली को भी प्रभावित कर सकता है। इसमें शुरुआत में लंबे समय तक दर्द महसूस होता है। 

गाउट से प्रभावित जोड़ में मूवमेंट करने में (हिलाने डुलाने में) असमर्थता।

गाउट से प्रभावित जोड़ वाले हिस्से में सूजन लालिमा व जलन होना।

गाउट का वर्गीकरण 

गाउट को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है 
एक्यूट गाउट Acute Gout और क्रॉनिक गाउट Chronic Gout 

एक्यूट गाउट (Acute Gout)
एक्यूट गाउट में जोड़ों में असहनीय पीड़ा होती है। जो केवल गाउट अटैक के समय होती है, जो धीरे-धीरे कुछ दिन या सप्ताह बाद सामान्य हो जाती है। यदि यह प्रक्रिया बार-बार होने लगती है तो क्रॉनिक गाउट का रूप ले सकता है।

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क्रॉनिक गाउट (Chronic Gout)
क्रॉनिक गाउट क्रॉनिक गाउट में गाउट के अटैक बार-बार आते हैं तथा कई जोड़ों में इसका प्रभाव होता है कुछ समय के लिए पीड़ा शांत रहती है और अधिक समय दर्द के लक्षण महसूस होते हैं

परीक्षण -लैब टेस्ट गाउट में

  • सामान्यतः गाउट का दर्द आमतौर पर 3 से 10 दिनों में चला जाता है गाउट की सटीक पहचान के लिए कुछ पैथोलॉजी टेस्ट करवाने चाहिए। 
  • जॉइंट फ्लूइड टेस्ट Joint fluid test
  • रक्त परीक्षण Blood test
  • एक्स-रे X-ray
  • अल्ट्रासाउंड Ultrasound

इलेक्ट्रो होम्योपैथी में गाउट की चिकित्सा Electro-Homeopathy treatment in Gout

L2 + C4 + WE ― D6 की 10-15 बूँद 3 बार 

S6 + C6 + GE ― D5 की 10-15 बूँद 4 बार

A2 + S5 + F2 + RE ― सरसों या एरण्ड के तेल में मिक्स करके मालिश करें।


1 comment

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    *अनिल कुमार सागर*
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