Electro Homeopathy And Modern Equipment - इलेक्ट्रो होम्योपैथी और आधुनिक उपकरण

Electro Homeopathy And Modern Equipment - इलेक्ट्रो होम्योपैथी और आधुनिक उपकरण
Please wait 0 seconds...
Scroll Down and click on Go to Link for destination
Congrats! Link is Generated

Electro Homeopathy And Modern Equipment - इलेक्ट्रो होम्योपैथी और आधुनिक उपकरण


प्रत्येक चिकित्सा पद्धति जब शुरुआती दौर में होती है तो उसमें संसाधनों का आभाव रहता है। आयुर्वेद में एक स्थान पर कहीं किंद्वती के रूप में मैंने सुना था कि जब टांके लगाने के लिये सर्जिकल सुई-धागा नहीं था तो वैद्य लोग चींटे ( एक प्रकार का कीट ) की मुंडी से टांके लगाते थे । यह कितना सच है कितना झूठ है यह तो मैं नहीं कह सकता लेकिन इतना सच है कि आयुर्वेद ने विकास किया और आज  सर्जिकल सुई धागे से टांके लगने लगे और उसमें भी आधुनिकता आ गई है।  इतना ही नहीं आयुर्वेद नाड़ी निदान से अल्ट्रासाउंड में आ गया है । दिल की धड़कन वैद्य  कान लगाकर सुनने के स्थान पर स्टैथोस्कोप से सुनने लगे है।



पंचकर्म के पुराने तरीके हटाकर आधुनिक तरीके आ गए हैं। अर्थात आयुर्वेद वर्तमान समय के आधुनिक उपकरणों का प्रयोग करने लगा है । जबसे आयुर्वेद ने यह विधि अपनाई गई है तब से आयुर्वेद की दवाएं और डायग्नोसिस कई गुना अच्छी हो गई है । आयुर्वेद में दुनिया विश्वास करने लगी हैं।


जो पैथी आधुनिकता के विकास में पीछे रह जाती है वह हमेशा के लिए पिछड़ जाती है उदाहरण के लिए डॉ शुसुलर ने बायोकेमिक की 12 औषधियां तैयार की थी तेरहवीं  नहीं बनाई थी फल यह हुआ कि बायोकेमिक स्वतंत्र चिकित्सा पद्धति में होते हुए भी होम्योपैथ में शामिल कर लिया गया और उसका अस्तित्व समाप्त हो गया ।



इलेक्ट्रो होम्योपैथी की अभी कहीं भी शासकीय मान्यता नहीं है। इसलिए यह विकास से अभी बहुत दूर है । यदि कोई कुछ नया करने की सोचता भी है तो लोग अज्ञानता वश उसकी खिंचाई शुरू कर देते हैं। इससे पैथी का भारी नुकसान होने की संभावना है। उदाहरण के लिए यदि किसी की औषधियां अपेक्षाकृत दूसरों से अधिक काम करने लगे तो लोगों का यह कहना शुरू हो जाता है कि एलोपैथिक दवाइयां को मिलाकर अपनी दवाइयां बनाते हैं इसीलिए अच्छा काम करती हैं। यदि एलोपैथी के कोई उपकरण इलेक्ट्रो होम्योपैथी में प्रयोग करने लगे तो  मानने लगते हैं कि यह इलेक्ट्रो होम्योपैथी नहीं यह एलोपैथी जैसा काम करते हैं अर्थात लोग यह स्वीकार ही नहीं कर पाते कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी में आधुनिक संसाधनों का भी प्रयोग किया जा सकता है।


हां यह दूसरी बात है कि वह स्वयं एलोपैथी के साधनों का प्रयोग करते हैं जैसे स्टीचिंग करना , स्टैथो का प्रयोग करना , ड्रेसिंग में एलोपैथिक दवाइयों का प्रयोग करना , डायग्नोसिस के लिए एलोपैथी के उपकरणों व केमिकल्स का प्रयोग करना। 
इतना ही नही बहुत ही कम कॉलेज होगे जहां इलेक्ट्रो होम्योपैथी की प्रैक्टिस आफ मेडिसिन पढ़ाई जाती हो ज्यादातर लोगों को एलोपैथिक प्रैक्टिस आफ मेडिसिन ही पढ़ाई जाती है  अब यह जानबूझकर पैथी की टांग खींचते हैं या अनजाने में खींच रहे हैं यह कहना मुश्किल है लेकिन यह निश्चित है कि इस तरीके से पैथी का विकास कभी नहीं हो सकता है ।

 ----- इलेक्ट्रो होम्योपैथी रूपी चिड़िया पर बाज झपट्टा मारने को बैठा हुआ है आज नहीं संभले तो कल  झपट्टे का शिकार हो जाओगे , फिर पछतावा होगा ।

1 comment

  1. Ok good
Please donot enter any spam link in the comment box.
Oops!
It seems there is something wrong with your internet connection. Please connect to the internet and start browsing again.
AdBlock Detected!
We have detected that you are using adblocking plugin in your browser.
The revenue we earn by the advertisements is used to manage this website, we request you to whitelist our website in your adblocking plugin.
Site is Blocked
Sorry! This site is not available in your country.