Difference between electro complex homeopathy and complex homeopathy
इलेक्ट्रो काम्प्लेक्स होम्योपैथी और काम्प्लेक्स होम्योपैथी में अंतर
इलेक्ट्रो होम्योपैथिक डॉक्टरों में एक भ्रम फैला हुआ है कि 'इलेक्ट्रो काम्प्लेक्स होम्योपैथिक" और "होम्योपैथिक काम्प्लेक्स" दवाओ मैं अंतर है ? या नहीं है? यदि है तो कैसे हैं? मैं यहां एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि दोनों दवाए अलग अलग है। इनमें कोई समानता नहीं है। बशर्ते इलेक्ट्रो काम्पलेक्स होम्योपैथिक की दवाईयां इलेक्ट्रो होम्योपैथिक प्रोसेस (कोहोबेशन) से बनी हुई हो। पहले हम होम्योपैथिक काम्प्लेक्स को समझ लेते हैं कि यह क्या है? और कैसे बनते हैं ?
(1) होम्योपैथिक काम्प्लेक्स
आप किसी भी होम्योपैथिक स्टोर पर जाओ वहां पर काम्प्लेक्स दवाओं का ढेर मिल जाता है किसी डॉक्टर की क्लीनिक पर जाओ एक दो काम्प्लेक्स रिमेडी दे देगा और हम उसे लेकर चले आते हैं । होम्योपैथी मे कांम्प्लेक्स रेमेडी की खोज कैसे हुई यह हम पीछे फादर मूलर के लेख में बता चुके हैं। पहले होम्योपैथी मे सिंगल रिमेडी चलती थी ।
हम पहले ही आपको बता चुके हैं कि मदर टिंचर होम्योपैथिक औषधि में नहीं आता है। उसे हम आयुर्वेदीक औषधि कह सकते हैं। मदर टिंचर डिस्टिल्ड वाटर और अल्कोहल में निकाला गया हर्ब का अर्क होता है। जब वह डिसमिल या सेंटि मिल में पोटेंटाइज होता है तब होम्योपैथिक रिमेडी में सिद्धांतन आता है । होम्योपैथी के किसी भी पेटेन्ट कांबिनेशन को उठाकर देख लीजिए उसमें आपको Q या 1X, 2X,3X ,6X,10X में औषधियां पड़ी हुई मिलेंगी यह औषधियां निम्न पोटेंसी में गिनी जाती हैं। इसलिए यह नवीन रोगों में अधिक लाभ करती हैं। पेशेंट को शीघ्रता से लाभ चाहिए। इसलिए उसे कम्न्बिनेशन के रूप में निम्न पोटेंसी में दवा देने की आवश्यकता होती है। ताकि पेशंट क्लीनिक छोड़कर चला न जाए। होम्यो पैथिक मदर टिंचर से ही आगे की पोटेंसी बनाई जाती है । इसलिए होम्योपैथिक मदर टिंचर की विषय में जान लेना आवश्यक है।
एक बर्तन में डिस्टिलवाटर और एल्कोहल का घोल डाला जाता है। उसी घोल में हर्ब डाल दी जाती है हर्ब का जो भाग डिस्टल वाटर में घुलन शील होता है वह डिस्टल वाटर में घुलता है जो भाग एल्कोहल में घुलन शील होता है। वह एल्कोहल में घुल जाता है । इस तरह से तैयार हुआ घोल उस सिंगल पौधे का अर्क होता है । जिसे हम मदर टिंचर कहते हैं। इस मदर टिंचर में एल्केलॉइड्स रेजिन एंजाइम विटामिन हार्मोन सभी कुछ घुला हुआ होता है। हमने आपको पहले बताया है कि एल्केलाइड्स शरीर को लाभ भी पहुंचाते हैं और हानि भी पहुंचाते हैं लेकिन जब यह बड़ी पोटेंसी में पुटेंटाइज प्रयोग किए जाते हैं । जैसे:-----
200X या 200, 1M , 50M, 1CM, 50 CM आदि पेटेंट कंबीनेशन ने निम्न (नीची) पोटेंसी प्रयोग की जाती है इसलिए वह किसी को हानि नहीं पहुंचाती है । इस प्रकार स्पष्ट हो गया कि होम्योपैथिक कम्प्लेक्स में एल्केलाइड्स हार्मोन विटामिंस एंजाइम्स रेजिन ग्लूकोस फैट तथा वे समस्त पदार्थ जो एल्कोहल और डिस्टिल्ड वाटर में घुलनशील होते हैं पोटेंटाइज होकर औषधि के रूप में शामिल होते हैं।
होम्योपैथिक कांप्लेक्स का आधार प्रत्येक पौधे या साल्ट की निम्न पोटेंसी होती है।
(2) इलेक्ट्रो काम्प्लेक्स होम्योपैथी
इलेक्ट्रो काम्प्लेक्स होम्योपैथी" कोहोबेशन द्वारा तैयार स्पेजिरिक से बनी इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिसिंस को आपस में मिलाकर थूडरक्रास द्वारा तैयार किया था।
इनका आधार स्पेजिरिक नहीं मैटी द्वारा तैयार की गई औषधियां है। सीजर मैटी की विभिन्न औषधियों को विभिन्न अनुपात में मिलाकर यह इलेक्ट्रो काम्प्लेक्स तैयार किये गये थे। कोहोबेशन द्वारा तैयार की गई स्पेजिरिक में एल्केल्इडस नहीं होते है।
इलेक्ट्रो कॉम्प्लेक्स होम्योपैथी और कॉम्प्लेक्स होम्योपैथी |
क्योंकि एल्केल्इडस डिस्टिल वाटर में या तो नहीं घुलते हैं या कम घुलते हैं । डिस्टिल वाटर में पौधे के वही भाग होते हैं जो डिस्टल वाटर में घुल सकते हैं इसमें शीत कसाय ( एक प्रकार की हालकी किंड्वन क्रिया / फर्मेंनटेशन ) बनाते समय इसमें केवल डिस्टल वाटर प्रयोग किया जाता है । एल्कोहल प्रयोग नहीं किया जाता है। इसलिए यह दवाएं उच्च पोटेंसी में भी एग्रीवेट नहीं करती है।
पुराने समय में उच्च पोटेंसी का प्रचलन नहीं था । इसलिए सीजर मैटी ने ऊंची पोटेंशियां नहीं बनाई थी। केवल तीन-चार पोटेंसी तक ही सीमित रखा था। होम्योपैथी में भी उस समय 2X, 3X, 4X या नंबर 30 नंबर, 60 नंबर आज की दवाएं चलती थी।
आज परिस्थितियां बदल गई हैं हर जगह नई खोज हो रही है होम्योपैथी में ऊंचे डायलूशन बनान बनने लगे इस इलेक्ट्रो होम्योपैथी में भी ऊंचे डायलूशन बनने लगे हैं।
चूंकि आज इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधियां होम्योपैथिक मदर टिंचर मिलाकर लोग तैयार करते हैं । इस लिए उच्च पोटेंसी देने पर एग्रीवेट करने का ख़तरा रहता है । इसलिए लोगों ने यह कहना शुरू कर दिया कि इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिसिन में डायलूशन नहीं तैयार किए जाते हैं। निम्न पोटेंसी में ही दवा इस्तेमाल करते हैं। जिससे एग्रीवेशन का खतरा नहीं रहता है।
अब आपको आज के हिसाब से एक नमूना बताते हैं जैसे लोग मेडिसिन तैयार करते हैं। हालांकि हम इस इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिसिन नहीं कहते हैं। केवल समझाने के लिए आपको बता रहे हैं:----
कैंसरासो ग्रुप में एक मेडिसिन C11 है जिसको थूडरक्रास ने Rhus Toxicodendron cp नाम दिया है इस इलेक्ट्रो होम्योपैथिक काम्पलेक्स में Berberis cp 20 ,Conium cp 20 , Echinacea cp 10 अब लोग क्या करते हैं होम्योपैथिक दुकान पर पहुंचते हैं और इनका मदर टिंचर खरीद लेते हैं इन्हें आपस में अनुपात के अनुसार मिलाकर 1 सीसी में भर लेते हैं।
मान लो इन सब को मिलाकर 1 ML मिश्रण बना यह लोग इसे ओडफोर्स कहते हैं । इसके आगे क्या प्रोसेस अपनाते हैं ध्यान दे।
(1) 1ML od forcs + 9 ML डिस्टिल वाटर = 10ML
1ml से 10ml स्पेजिरिक बनी है) इसे D1 भी कहते हैं।
(2) 10 ML+ 90 ML डिस्टिल वाटर = 100ML
10 ML से 100 ML स्पेजिरिक बनी है ) इसे D2 कहते हैं ।
(3) 100 ML+ 900ML डिस्टिल वाटर = 1000 ML
( 100 ML से 1000ML स्पेजिरिक बनी है ) इसे D3 भी कहते हैं ।
कुछ लोग यहीं से चिकित्सा करना शुरू कर देते हैं। इसमें रिजल्ट मिलते हैं लेकिन क्रॉनिक पेशेंट नहीं ठीक होंगे क्योंकि इसमें केवल मेडिसिन को डायलूट किया गया है पोटेंसी नहीं बनी है कुछ लोग इस 1000 ML को स्पेजिरिक मान कर का लोगों को बेच देते हैं और कहते हैं कि आगे डायलूशन बनाकर प्रेक्टिस करना । डायलूशन बनाने की विधि बता देते हैं । कुछ लोग यहां भी डाइल्यूशन नहीं बनाते हैं और इसे आगे भी डाइल्यूट कर प्रैक्टिस करने की सलाह देते हैं।
इस प्रकार हम देखते हैं कि लोग विभिन्न तरीके से od फोर्स व Spagyric बनाते है और लोगों को ऊंचे दाम पर बेच देते हैं। यह एक हमने सामान्य विधि बताई है होम्योपैथिक दवाइयों से कैसे लोग इलेक्ट्रो होम्योपैथिक दवा बनाते हैं।
हमने इस विधि का कभी समर्थन न तो किया है और न करेंगे क्योंकि यह तरकीब सही नहीं है। इससे बनाई हुई दवाइयां इलेक्ट्रो होम्योपैथिक दवाइयां नहीं हो सकती है।
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इस तरह हम तमाम जानकारी देते हुए आपको यह बताना चाहते हैं कि "इलेक्ट्रो काम्पलेक्स होम्योपैथी" और "होम्यो काम्पप्लेक्स मेडिसिन" दोनों अलग-अलग सिद्धांतिक मेडिसिन है इनमें कोई समानता नहीं है ।