आर्सेनिक एल्बम के फायदे | Arsenic Album Uses in Hindi

आर्सेनिक एल्बम के फायदे | Arsenic Album ke fayde in hindi |आर्सेनिकम एल्बम के क्या फायदे हैं | Arsenicum Album Benifit in Hindi
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आर्सेनिक एल्बम के फायदे | Arsenic Album ke fayde in hindi |आर्सेनिकम एल्बम के क्या फायदे हैं | Arsenicum Album Benifit in hindi

आर्सेनिक एल्बम क्या है?

आर्सेनिक एल्बम एक विषैली धातु है जिसका प्रयोग होम्योपैथी की दवा बनाने में किया जाता है होम्योपैथी में इस धातु को आसुत जल में गर्म करके तैयार की जाती है इस औषधि को बहुत ही पतले रूप में प्रयोग किया जाता है जिससे इसके विषैले गुण समाप्त हो जाते हैं। ध्यान रहे होम्योपैथी की दवा बनाने की एक विशेष प्रक्रिया होती है जिसके माध्यम से धातु को गर्म करके इसकी दवा तैयार की जाती है अतः किसी भी पाठक बंधु को पोस्ट देखकर धातु को गर्म करके घर पर ही दवा बनाने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए मार्केट से इसकी दवा रेडीमेड आसानी से उपलब्ध हो जाती है।

आर्सेनिकम एल्बम ऐसे व्यक्तियों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होती है जो रोगी किसी भी प्रकार के बुखार से से ग्रसित होकर, डायरिया के कारण या अन्य किसी भी प्रकार से रक्ताल्पता का शिकार हो जाते है शरीर बेडौल दुबला पतला हो जाता है ऐसे रोगियों में आर्सेनिक एल्बम नाम की इस होम्योपैथी औषधि का सेवन करना चाहिए यहाँ एक बात ध्यान देने की आवश्यकता है। की यह औसधि किसी हट्टे कट्टे, भारी शरीर वाले रोगियों के लिए यह औषधि उपयुक्त नहीं है।

Benifits of Arsenic Album
Benifits of Arsenic Album

यदि रोगी अधिक कमजोर हो गया हो, अधिक थकान हो रही हो, बेचैनी हो रही हो तथा इसके साथ ही उसके रात के समय में रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है, हल्का सा परिश्रम करने के बाद भारी थकान महसूस होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए Arsenic Album Hmeopathic Medicine का प्रयोग करना उचित होता है।

रोगी यदि दिमागी रूप से अधिक कमजोर है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए Arsenic Album Hmeopathic Medicine का उपयोग करना चाहिए।

आर्सेनिक एल्बम के रोगी के शरीर में यदि जलन होती है तो वह जलन धूप की गर्मी या अन्य किसी गर्म माहौल में जाने पर वह जलन सांत हो जाती है जलन वाले स्थान पर दर्द भी होता है ! रोगी को पानी पीने की इक्षा होती है लेकिन पानी पीने के बाद भी प्यास नही बुझती है

नशीली चीजों का सेवन करने, खाद्य पदार्थो के साथ जहरीले चीजों को खाने, कीटाणुओं के डंक लगने, घावों के कारण, तम्बाकू चबाने, सड़ा-गला भोजन अथवा मांस खाने के दुष्प्रभावों आदि के कारण उत्पन्न होने वाले रोगों को ठीक करने के लिए Arsenic Album Hmeopathic Medicine का उपयोग कर सकते हैं।

यदि कोई रोगी बेचैन होकर इधर-उधर भागने लगता है बहुत ही परेशान सा दिखता है ऐसा रोगी एक पागलों के समान हरकत करने वाला दिखाई देता है शरीर बहुत ही दुर्बल हो जाता है एवं वह शरीर में दर्द और जलन की शिकायत करता है उसे पानी की प्यास बहुत अधिक लगती है लेकिन एक बार में बहुत ही कम पानी पिता है ऐसे रोगी को ठंडा पानी पसंद नहीं होता ऐसी दशा वाले रोगी को Arsenic Album Hmeopathic Medicine  का सेवन करवाना हितकर है

ऐसे रोगी को जिन्हें सीडीओ पर चढ़ना उतरने पर सांस लेने में तकलीफ होती है सीढ़ियां चढ़ने पर परेशानी और भी बढ़ जाती है पखाना और उल्टियां एक साथ आने लगते हैं कुछ भी खाने या पीने के तुरंत बाद उल्टी हो जाती है यदि किसी व्यक्ति में इस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे व्यक्ति में आर्सेनिक एल्बम होम्योपैथिक औषधि का उपयोग करना चाहिए

होम्योपैथी की दवाएं लक्षणों के आधार पर कार्य करती हैं नीचे हम शरीर के विभिन्न अंगों से संबंधित लक्षणों के आधार पर आर्सेनिक एल्बम का प्रयोग करना बताएंगे

मन से सम्बन्धित लक्षण 

Arsenic Album के रोगी का मानसिक संतुलन बहुत ही कमजोर हो जाता है उसे मृत्यु कब है सताता है और आत्महत्या करने की मन में सोचता रहता है इसके रोगी का मन हमेशा भारी-भारी सा रहता है एवं बेचैनी महसूस करता है और इस बेचैनी में इधर से उधर भागता रहता है ऐसे रोगी के अंदर आत्मविश्वास की बहुत ही कमी दिखाई देती है उसे भी किसी भी कार्य कर को करने में रुचि नहीं होती है उसे यह लगता है कि मैं इस काम में कभी सफल नहीं हो पाऊंगा उसे लगता है कि अब हमारे लिए कोई भी दवा बेकार है मैं किसी भी दवा से ठीक नहीं हो सकता रोजी कंजूस हो जाता है

सिर से सम्बन्धित लक्षण 

रोगी का मस्तिष्क बहुत ही संवेदनशील हो जाता है रोगी की खोपड़ी में गोल-गोल चकत्तेदार दाग पड़ जाते हैं जिसमे खुजली भी होती है और खुजाने पर उनमें बदबूदार जख्म भी बन जाते हैं जख्म सुख कर पपड़िया भी बन सकती हैं रात के अंधेरे में सर में फैले इस प्रकार के चक्कतों में जलन व खुजली अधिक होती है बालों में डैंड्रफ पड़ जाती है रोगी का सर दर्द होता है लेकिन ठंड से आराम मिलता है पर ठंड से आराम तो जरूर मिलता है मगर उसके अन्य कष्ट बढ़ जाते हैं रोगी का सर दर्द होता है यह सर दर्द आधे या पूरे सिर में हो सकता है जिसमें उसे ठंडी हवा के संपर्क में आने से आराम मिलता है रोगी के सर में कंपन होता रहता है ऐसे रोगी को एक जुकाम के रोगी की तरह खांसने की आदत पड़ जाती है यदि ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं तो रोगी को और Arsenic Album Homeopathic Medicine की मात्रा निर्धारित करनी चाहिए

आंखों से सम्बन्धित लक्षण :- 

आंखों से होम्योपैथी की दवा आर्सेनिक एल्बम के संबंध में जो लक्षण दिखाई देते हैं उनमें रोगी की आंखों में जलन होती है रोगी के आंखों से आंसू निकलते हैं आंखों में छोटे-छोटे पापड़ी युक्त दाने पड़ जाते हैं आंखों के आसपास गांव हो जाते हैं आंखों के आसपास की नदियों में दर्द एवं जलन सी महसूस होती है आंखों में आंसू आने के कारण आंखों की आसपास की त्वचा छिल जाती है एवं उसमें जलन होती है ऐसे में Arsenic Album Homeopathic Medicine का प्रयोग लाभकारी होता है

कान से सम्बन्धित लक्षण

रोगी की कान के ऊपरी भाग में जलन होने लगती है तथा उसके पास की त्वचा छिल जाती है, कान के आस-पास घाव भी हो जाता है जिनमें से बदबू आती है, जब रोगी के कान में दर्द होने लगता है तो उसके कान में तेज आवाजें सुनाई देने लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए Arsenic Album Homeopathic Medicine का प्रयोग करना लाभदायक होता है।

नाक से सम्बन्धित लक्षण

रोगी को जुकाम हो जाता है जिसके कारण नाक से पानी जैसा पतला तरल पदार्थ निकलता है और इस स्राव के कारण नाक के पास छाला भी पड़ जाता है। रोगी को ऐसा महसूस होता है कि उसका नाक बन्द हो गया है। जब रोगी छींकता है तो उसे कोई आराम नहीं मिलता है। खुली हवा में रहने पर रोगी को और भी अधिक सर्दी तथा जुकाम हो जाता है, घर के अन्दर आराम महसूस होता है। रोगी की नाक में जलन होती है और कभी कभी नाक से खून भी निकलने लगता है। नाक पर मुहांसें होना, ल्यूपस -चमड़ी का क्षयकारी रोग होना। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए Arsenic Album Homeopathic Medicine का प्रयोग करना चाहिए।

चेहरे से सम्बन्धित लक्षण

रोगी का चेहरा सूज जाता है, चेहरा मुरझाया हुआ, पीला, कमजोर, ठण्डा और पसीने से तर रहता है। रोगी के चेहरे पर कष्टकारी भाव झलकते रहते हैं, चेहरे पर सुई की तरह चुभन वाली दर्द होने लगती है तथा इसके साथ ही चेहरे पर जलन भी होने लगती है। रोगी के होंठ काले तथा नीले पड़ जाते हैं। रोगी क्रोधी स्वभाव का हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए Arsenic Album Homeopathic Medicine का प्रयोग करना लाभदायक होता है।

मुंह से सम्बन्धित लक्षण

मसूढ़ें गंदे रहते हैं और उनमें से खून निकलता रहता है। मुंह पर घाव होने के साथ खुश्की और जलन के साथ गर्मी महसूस होती है। होठों पर घाव हो जाता है। जीभ सूखी, साफ और लाल हो जाता है, जीभ में सुई जैसी चुभन और जलन के साथ दर्द होता है, घाव नीले रंग का होता है, साफ और लाल जीभ हो जाता है तथा उसमें चुभन होने लगती है। दांतों में दर्द होने लगता है तथा नाड़ियों में भी दर्द होने लगता है, दर्द लम्बे समय तक महसूस होता है, आधी रात के बाद रोगी को बहुत अधिक परेशानी होती है, गरमाई के कारण आराम मिलता है, जीभ का स्वाद कड़वा हो जाता है। मुंह के अन्दर का लार जलन युक्त हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए Arsenic Album Homeopathic Medicine का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।

गले से सम्बन्धित लक्षण

रोगी के गले में सूजन आ जाती है तथा उसमें जलन होने लगती है, खाने को निगलने में परेशानी होती है। डिप्थीरिया की झिल्ली, खुश्क और झुर्रीदार दिखाई देती है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए Arsenic Album Homeopathic Medicine का उपयोग करना उचित होता है।

आमाशय से सम्बन्धित लक्षण

अत्यधिक प्यास लगती है, पानी बार-बार पीना पड़ता है, एक समय में बहुत थोड़ा पानी पीना पड़ता है, लेकिन प्यास नहीं बुझती है, खाने की गंध सहन नहीं हो पाती है। जब रोगी खाना खा लेता है या पानी पी लेता है तो उसके उबकाई, उल्टी तथा जी मिचलाने लगता है और इसके साथ ही आमाशय में जलनकारी दर्द होता है। खट्टी चीजें खाने के बाद और कॉफी पीने की अत्यधिक इच्छा। हृदय में जलन होने लगती है, खट्टे और कड़वे पदार्थ ऊपर को आते हैं, फलस्वरूप लगता है जैसे गला छिल गया हो तथा रोगी को लम्बी अवधि तक डकारें आती रहती हैं। रोगी को खून और पित्त की उल्टियां होती हैं तथा हरे रंग का कफ निकलता है, या कत्थई और काले रंग का, जिसमें खून मिला रहता है। 

रोगी के आमाशय में दबाव महसूस होता है, कभी-कभी रोगी को ऐसा महसूस होता है कि उसका आमाशय फट जायेगा। जब रोगी हल्का सा खाना खा लेता है तथा उसके पेट में दर्द होने लगता है, सिरका पीने तथा खट्टी चीजें और आइसक्रीम खाने, बरफ का पानी पीने एवं तम्बाकू का सेवन करने से श्वास की परेशानी अधिक होती है। रोगी के पेट में दर्द होने के साथ भारीपन महसूस हो जाता है तथा इसके साथ ही डर भी लगता है, सांस लेने में परेशानी भी होती है, कभी-कभी तो बेहोशी भी आ जाती है, रोगी को ठण्ड लगने लगती है तथा थकान भी महसूस होती है। 

ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी कुछ भी निगलता है तो उसे दर्द महसूस होता है और रोगी को ऐसा महसूस होता है कि उसके गले में कुछ फंसा हुआ है और गले से कोई भी चीज नीचे नहीं उतरती है। इन लक्षणों से पीड़ित रोगी जब शाक-सब्जियां तथा तरबूज-खरबूज तथा अन्य पानी वाले फलों का सेवन करने से उसके रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। रोगी को दूध पीने की इच्छा अधिक होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए Arsenic Album Homeopathic Medicine का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।

पेट से सम्बन्धित लक्षण

रोगी के पेट में कुतरने जैसा दर्द होता है, जलन के साथ दर्द भी होता है और गर्मी से रोगी को कुछ आराम मिलता है। यकृत और प्लीहा बढ़ जाता है तथा दर्द अधिक होता है। जलोदर रोग हो जाने के साथ पेट में सूजन हो जाता है। पेट में सूजन के साथ दर्द होता है। इन लक्षणों से पीड़ित रोगी जब खांसता है तो उसे ऐसा लगता है कि उसके पेट के अन्दर उपस्थित किसी घाव में दर्द हो रहा हो। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए Arsenic Album Homeopathic Medicine औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।

मलांत्र से सम्बन्धित लक्षण

मलद्वार में दर्द होने लगता है तथा इसके साथ ही मलद्वार में सूजन के साथ दर्द होने लगे तथा ऐंठन युक्त दर्द हो। पेचिश रोग। मलांत्र तथा मलद्वार में जलन के साथ दर्द होना तथा दबाव महसूस होना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए Arsenic Album Homeopathic Medicine का उपयोग किया जाता है।

मल से सम्बन्धित लक्षण

रोगी के मल से बदबू आती है तथा मल काला रंग का होता है, रोगी जब मलत्याग करता है तो मल बहुत कम होता है, रोगी को पागलपन जैसी स्थिति होती है, ठण्डी चीजें खाने-पीने के कारण पेट ठण्डा हो जाने से, अधिक शराब पीने से, सड़ा-गला मांस खाने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। रोगी की पेचिश काली होती है, खून अत्यधिक बदबूदार हो जाता है, हैजा रोग होने के साथ ही पागलपन की स्थिति पैदा होना और न बुझने वाली प्यास लगना। शरीर बर्फ जैसा ठण्डा महसूस होना। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए Arsenic Album Homeopathic Medicine का प्रयोग करना चाहिए।

बवासीर से सम्बन्धित लक्षण

बवासीर का रोग होने के साथ-साथ मस्सों में आग की तरह जलन होने लगती हैं, जिनमें गरमाई देने से आराम आता है, मलद्वार के पास की त्वचा छिल जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने से Arsenic Album Homeopathic Medicine का उपयोग लाभदायक है।

मूत्र से सम्बन्धित लक्षण

रोगी को पेशाब कम मात्रा में होता है तथा इसके साथ ही उसे जलन भी होती है, मूत्राशय में लकवा की तरह का प्रभाव देखने को मिलता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।

पेशाब में अन्न की तरह पदार्थ निकलने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए Arsenic Album Homeopathic Medicine का प्रयोग करना चाहिए।

पेशाब करने के बाद पेट में कमजोरी महसूस होती हो तो इस प्रकार के लक्षण को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का उपयोग करना चाहिए।

गुर्दे में सूजन होने के साथ ही मुधमेह रोग हो गया हो तो रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि का उपयोग करना उचित होता है।

स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण

रोगी स्त्री को मासिकधर्म शुरू होने के समय में खून का स्राव अधिक मात्रा में होने लगता है तथा मासिकधर्म नियत समय से बहुत पहले ही शुरु हो जाता है।

स्त्री के डिम्ब प्रदेश में जलन होने लगती है।

स्त्री को प्रदर रोग होने के साथ ही तेज जलन हो रही हो तथा स्राव से अधिक बदबू आ रही हो और स्राव अधिक पतला हो, ऐसा महसूस हो रहा हो कि जैसे योनि से लाल गर्म तारे स्पर्श हो रही हो, जब रोगी स्त्री हल्का सा भी परिश्रम का कार्य करती है तो उसके लक्षणों में और भी अधिक वृद्धि होने लगती है, थकान अधिक महसूस होती है, गर्म कमरे में आराम मिलता है।

रोगी स्त्री को मासिकधर्म के समय में अधिक स्राव होता है तथा उसकी गोणिका भाग में सुई की तरह चुभन महसूस होती है और यह चुभन इतनी तेज होती है कि रोगी स्त्री को सहन भी नहीं होती है।

इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी भी स्त्री को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए Arsenic Album Homeopathic Medicine का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।

श्वास-संस्थान से सम्बन्धित लक्षण

रोगी का दम घुटने लगता है तथा उसे डर लगता है, दमा रोग में रोगी को आधी रात के समय में अधिक परेशानी होने लगती है, छाती में जलन, सांस लेने में रुकावट के साथ नजला होना, आधी रात के बाद बढ़ने वाली खांसी, खांसी पीठ के बल लेटने से और ज्यादा होने लगती है, बलगम कम मात्रा में निकलता है तथा झागदार होता है। दायें फेफड़ें के ऊपर दो-तिहाई भाग में बरछी लगने जैसा तेज दर्द होता है। सांस लेते समय रोगी सांय-सांय करता है। रोगी के कंधों में दर्द होने के साथ सारे शरीर में जलन होने लगती है। सूखी खांसी, गंधक के धुएं के द्वारा उत्पन्न हुई या पेय पदार्थो के सेवन करने के बाद उत्पन्न हुई खांसी हो तो इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए Arsenic Album Homeopathic Medicine का उपयोग करना उचित होता है।

हृदय से सम्बन्धित लक्षण

रोगी के हृदय में दर्द होने लगता है, सांस लेने में परेशानी होती है, कभी-कभी तो रोगी बेहोश भी हो जाता है।

धूम्रपान करने से तथा तम्बकू चबाने के कारण उत्पन्न हृदय में दबाव तथा दर्द।

हृदय में दर्द तथा इसके साथ ही गर्दन के भाग में दर्द तथा सिर के पिछले भाग में दर्द।

इस प्रकार के हृदय से सम्बन्धित लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए Arsenic Album Homeopathic Medicine का प्रयोग करना चाहिए।

शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण

रोगी के शरीर में कमजोरी आ जाती है, बेचैनी होने लगती है, पिण्डलियों में ऐंठन होना, शरीर के कई भागों में जलन होने के साथ ही दर्द होना, एड़ियों में घाव होना, शरीर के कई अंगों में लकवा का प्रभाव होना आदि इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए Arsenic Album Homeopathic Medicine का उपयोग करना लाभदायक होता है।

चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षण

रोगी के शरीर के कई अंगों में खुजली, जलन, सूजन, छोटे-छोटे दानें, खुश्क, खुरदरे, पपड़ीदार दानें, ठण्ड और खुरचने से अधिक परेशानी होने के कारण घाव होना, जिनसे बदबूदार स्राव होता रहता है, शरीर के अन्दरूनी भाग में दूषित मल जमा हो जाता है। छपाकी रोग होने के साथ रोगी को जलन तथा बेचैनी महसूस होती है। शरीर में बर्फ जैसा दर्द महसूस होता है आदि इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए Arsenic Album Homeopathic Medicine का लाभदायक प्रभाव पड़ता है।

नींद से सम्बन्धित लक्षण

रोगी को सही से नींद नहीं आती है, बेचैनी होती है, मन उदास रहता है, सिर के नीचे मोटा तकिया लगाकर उसे ऊंचा उठाकर रखना पड़ता है। रोगी को नींद के समय में दम घुटने जैसी दौरे पड़ते हैं। रोगी सिर के ऊपर हाथ रखकर सोता है, उसे चिन्ता अधिक होने लगती है, डर लगता है तथा नींद से सम्बन्धित कई परेशानियां होने लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए Arsenic Album Homeopathic Medicine का उपयोग करना फायदेमंद होता है।

ज्वर से सम्बन्धित लक्षण

रोगी को तेज बुखार हो जाता है, ये बुखार एक नियमित समय पर होता है तथा बुखार होने के साथ ही शरीर में अधिक कमजोरी आ जाती है। शरीर से अधिक मात्रा में ठण्डा पसीना निकलता है। रोगी को अधिक उदासी होती है, आधी रात के बाद अधिक परेशानी होती है, बेचैनी होती है, लगभग रात के तीन बजे अधिक गर्मी लगने लगती है, दांतों में मैल जम जाता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए Arsenic Album Homeopathic Medicine का प्रयोग करना चाहिए।

रोगी में रोग की वृद्धि

जब रोगी भीगे मौसम में रहता है या आधी रात के बाद, ठण्ड के कारण, ठण्डी चीजें खाने पीने से, समुद्र के किनारे पर रहने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।

रोगी को रोग में राहत कब मिलती है

जब रोगी गरमाई वाले जगह पर रहता है या सिर को ऊंचा रखकर लेटता है, गर्म पदार्थ पीता है तो उसके रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।

आर्सेनिक एल्बम के विकल्प के रूप में प्रयोग वाली औसधियाँ Alternative Medicine of Arsenicum Album

तुलनात्मक रूप में प्रयोग होने वाली औषधियां
कार्बो-बेज Carbo Vegetabilis  
ऐलियम सिपा AlliumSepa 
फास Phosphoric Acid 
पाइरों Pyrophosphoric acid  

तम्बाकू खाने, शराब पीने, समुद्र में नहाने, मृत शरीर का चीर फाड़ करने से घाव और कार्बडक्क के विष में और जहरीले कीड़ें मकोड़े के डंक मारने की तरह जलन होने पर आर्सेनिकम एल्बम औषधि का प्रयोग कर सकते हैं।

आर्सेनिक एल्बम के प्रयोग की मात्रा

आर्सेनिकम एल्बम औषधि की 3x से 1M शक्ति का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए। उच्चतम शक्तियों के प्रयोग से कभी-कभी सर्वोत्तम परिणाम मिलते हैं, इसकी मात्रायें दोहराई जा सकती हैं।

आर्सेनिक एल्बम होम्योपैथी औषधि की उपलब्धता

Arsenic Album Homeopathic Medicine भारत व् अन्य देशों में 3CH, 6CH, 12CH, 30CH, 200CH, 1000CH, की पोटेंसी में कहीं भी उपलब्ध है। अगर आपके क्षेत्र में यह दवा नही मिल पा रही तो आप इसे ऑनलाइन माध्यम से भी इसे आसानी के साथ में मंगवा सकते हैं आजकल बहुत साडी कम्पनियाँ दवाओं की बिक्री ऑनलाइन माध्यम से कर रही हैं। जो की सुरक्षित तरीके से दवाओं को घर तक पहुचाती हैं ।

Arsenicum Album के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Qus • Arsenicum Album क्या है?

Ans • आर्सेनिक एल्बम एक विषैली धातु है

Qus • Arsenicum Album Homeopathy Medicine कहां से प्राप्त किया जाता है?

Ans •आर्सेनिक एल्बम धातु से इसे प्राप्त किया जाता है

Qus • Arsenicum Album Homeopathy Medicine का किसके लिए प्रयोग किया जाता है?

Ans • यदि रोगी अधिक कमजोर हो गया हो, अधिक थकान हो रही हो, बेचैनी हो रही हो तथा इसके साथ ही उसके रात के समय में रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है, हल्का सा परिश्रम करने के बाद भारी थकान महसूस होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए Arsenic Album Hmeopathic Medicine का प्रयोग करना उचित होता है।।

Qus • मुझे Arsenicum Album Homeopathy Medicine कब लेना चाहिए?

Ans • आपको Arsenicum Album को सुबह शाम 2-3 बूंद एक चम्मच पानी के साथ अथवा डॉक्टर की सलाह से लेना चाहिए।

Qus • Arsenicum Album को हिंदी में क्या कहते हैं?

Ans • Arsenicum Album को हिंदी में भी आर्सेनिक एल्बम ही कहते हैं।

Qus • Arsenicum Album Homeopathy Medicine के साथ दूसरी होम्योपैथिक दवा को ले सकते हैं

जी हां इस दवा के साथ अन्य होम्योपैथी दवा को ले सकते हैं लेकिन 1 दवा से दूसरे दवा को लेने में 20-30 मिनट का अंतराल रखना चाहिए।

    

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