Sun Rays and Electro Homeopathic Electricity in Hindi- सूर्य किरण और इलेक्ट्रो होम्योपैथिक बिजलियां
सूर्य की किरणों में रोग नाशक क्षमता होती है। सूर्य शक्ति (Power) का सबसे बड़ा स्त्रोत है।सभी प्राणियों और वनस्पतियों की शक्ति का केन्द्र सूर्य ही होता है। इसलिए सभी जड़ी-बूटी सूर्य की किरणों से शक्ति पाकर औषधि रूप में रोगोपचार करती हैं।
लाल, हरी, नीली, पीली और सफेद बोतलो मे कोहोबेशन द्वारा तैयार स्पैजिरिक भरकर धूप में 8 से 24 घंटे तक रखकर इसमें सूर्य रस्मि (किरण) को प्रवाहित किया जाता है। जिससे इनके में रखी हुई स्पेजिरिक मेडिकेटेड हो जाती है फिर इस स्पेजिरिक से चिकित्सा की जाती है ।
सामान्यत: रंगीन बोतलों की मेडिकेटेड स्पेजिरिक से निम्नलिखित लाभ पाए जाते हैं:---
(1) शरीर के अंगों को सशक्त और क्रियाशील बना कर पाचन क्रिया को बढाती है।
(2) अम्लता ,और क्षुधा नाश आदि रोगों को नष्ट करती है।
(3) मांसपेशियों को सशक्त और स्वस्थ बनाती है।
(4) स्नायु–दुर्बलता में लाभदायक होती है।
(5) जोड़ो के दर्द में लाभदायक सिद्ध होती है।
(6) यह त्वचा को सुंदर बनाती है।
(7) नस–नाड़ियों से विजतीय तत्व को बाहर निकालती है । नाडि़यों को मुलायम बनाती है।
(8) पक्षाघात (पैरालाइसिस) की बीमारी में लाभदायक होती है।
(9) सर्दी द्वारा उत्पन्न रोगों में लाल रंग के से लाभ होता है।
(10) शरीर में रक्त - रस दोष बढ जाने से उत्पन्न रोगों में हरे रंग से फायदा होता है।
(11) गर्मी की अधिकता से उत्पन्न रोगों में नीले रंग की स्पैजिरिक के प्रयोग से लाभ होता है।
(12) इस तरह सूर्य राश्मि से मेडीकेटेड स्पेजिरिक शरीर में तत्वो का संतुलन स्थापित करती हैं जिससे मनुष्य निरोग रहता है।
सूर्य किरण से मेडिकेटेड स्पेजिरिक (बिजली) द्वारा चिकित्सा
लाल रंग के स्पैजिरिक RE से चिकित्सा
इस रंग की स्पेजिरिक का प्रयोग पेट की वायु (गैस), अम्लता, मन्दाग्नि, बदहजमी, पेट दर्द, उलटी, जी मिचलाना, लीवर और स्पलीन का बढ़ना, गठिया अंगो की सुन्नता, लकवा (पक्षाघात), सभी ठंडी , पीली और नीला पन लिये हुई शारीरिक अवस्थाएँ, जुकाम, सर्दी, फ्लू, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, पसली–दर्द, बलगमी खाँसी, दमा, श्वास, क्षय, सर्दी की वजह से आई सूजन, घेंघा, कमजोरी, खून की कमी, महिलाओं का मासिक स्त्राव कम होना या दर्द के साथ होना, वृद्धों की कमजोरी, बहुमूत्रता, बच्चों का बिस्तर पर पेशाब कर देने की आदत, काली खाँसी, स्नायु–दुर्बलता, निम्न रक्तचाप, गर्दन पीड़ा, पीठ दर्द, कमर दर्द आदि वायुजनित दर्दों में तथा सर्दी लगने से उत्पन्न रोगों जैसे पसली चलना, निमोनिया, पाँव की बिवाई फटना आदि में RE का बड़ा प्रयोग चमत्कारी सिद्ध हुआ है।
सावधानियाँ
यदि किसी व्यक्ति को RE का अत्यधिक प्रयोग से कोई दुष्प्रभाव प्रगट हो जाए तो उसे बंद कर GE का प्रयोग करना चाहिए ।
हरे रंग की स्पेजिरिक GE से चिकित्सा
सूर्य किरण के हरे रंग से मेडिकेटेड स्पैजिरिक उत्साह वर्धक , चित्त को प्रसन्न रखने वाला शरीर के ताप को संतुलित करने वाली शरीर से दूषित और विषाक्त पदाथों को मल, मूत्र, पसीना, बलगम आदि द्वारा बाहर निकालने वाले निकाल कर अंगों को सशक्त और सक्रिय बनाता है। विषैले तत्वों को शरीर से बाहर निकाल फेंकने की असीम शक्ति के कारण हरा रंग छूत या संक्रामक रोगों (खसरा, चेचक, टाइफाइड, मियादी बुखार) सूखी खाँसी, खुले घाव, नासूर, दाद, एक्जिमा, रतिज (वेनरल डिजीज़ ) सिफलिस गोनॉरिया, शोथ, शरीर के किसी भाग में पस पड़ने की अवस्था (सेप्टिक होने पर) पथरी , उच्च रक्तचाप, मिर्गी, हिस्टीरिया, मरोड़ वाली पेचिश, संग्रहणी, मुँह के छालों को दूर करती है।
यह GE रक्त व रस को शुद्ध करती है। चर्म रोगों का नष्ट करती है । यह गुर्दो ,(Kidneys) आँतों और त्वचा की कार्य प्रणाली सुधारती है।
कब्ज–निवारक और रक्तशोधक गुणों के कारण इस चिकित्सा पद्धति का अकेली GE
पुरानी से पुरानी और कठिन से कठिन कब्ज में प्रयोग से कुछ ही सप्ताह में बिल्कुल ठीक हो जाते हैं।
GE मनुष्य के शरीर के भीतर आवश्यक रासायनिक तत्वों की कमी और अधिकता में संतुलन बनाये रखती है। उच्च रक्तचाप, हल्का ज्वर और दिल की तेज धड़कन में हरा रंग अत्यन्त लाभप्रद है।
GE का वाह्य प्रयोग
(1) GE से आँखों को धोने से लाभ मिलता है।
(2) GE का प्रभाव आँतों, गुर्दो मूत्राशय, त्वचा, कमर व पीठ के नीचे के अंगों पर अधिक पडता है
(3) नीले रंग की स्पेजिरिक BE से चिकित्सा
शरीर की उष्णता (गर्मी), हाथ–पैरों की जलन, लू लगना, प्यास की अधिकता, तेज बुखार, कालरा,अतिसार, पुरानी पेचिश या आँव के दस्त, दिल की धड़कन तेज होना या घबड़ाहट, गर्मी के कारण सिरदर्द, अनिद्रा, उन्माद (पागलपन) , हिस्टीरिया, धमनी की सूजन, उच्च रक्तचाप, मूत्र में रुकावट या दर्द, माहवारी अधिक होना, फूड प्वयजनिंग, मुँह और गले के रोग, सेप्टिक की अवस्थाएँ, फोडे–फुन्सियाँ, गर्मी के दानें, घाव, मुँहासे, सूखी खुजली, दाद, एक्जिमा, फाईलेरिया, मधुमक्खी एवं जहरीले कीड़े, मकोड़ो का काटना, आग से जल जाना आदि में शीघ्र लाभ होता है।
सावधानियाँ
पैरालाइसिस, छोटे जोड़ो का दर्द (गठिया), विभिन्न वातरोग, कफ जन्य रोग जो ठंड़ से उत्पन्न हो और अधिक कब्ज की शिकायत में BE का प्रयोग सावधानी के साथ करना चाहिए।
BE के प्रयोग से होने वाले कष्ट और विकारों में तुरंत BE को प्रयोग बंद कर देना चाहिए और RE का प्रयोग करना चाहिए। इससे बढे़ हुए लक्षण शांत हो जाते है। या उसके स्थान पर पीली या हरी बिजली का प्रयोग करना चाहिए ।
पीले रंग की स्पेजिरिक YE से चिकित्सा
YE पाचन तंत्र को मजबूत करती है । आमाशय और आंतों में पल रहे पैरासाइट्स को बाहर निकालती है। कब्ज को दूर करती है। पाचन क्रिया को ठीक करती है ।
सावधानी
कभी-कभी रोगी को YE से कुछ प्रॉब्लम होने लगती है। ऐसी स्थिति मे YE को तुरंत बंद कर देना चाहिए और लाल या नीली बिजली का प्रयोग करना चाहिए ।
सफ़ेद स्पैजिरिक WE से चिकित्सा
सफेद बिजली में सूर्य के सभी रंगों का समावेश हो जाने से यह एक उत्तम टॉनिक बन जाती है।
बच्चों के लिए विशेष पौष्टिक और हितकारी है। यह उनकी हड्डियों को मजबूत बनाती है।
इसको देने से छोटे बच्चों के दांत सरलता से निकल जाते हैं। हड्डी टूटने पर इसको लेने से हड्डी भी जल्दी जुड़ जाती है। हर उम्र के लोगो की कमजोरी के लिये यह एक अच्छा टॉनिक है। जिनका वजन ज्यादा है, अगर वे नियमित रूप से इसे लें, तो भूंख को नियंत्रित करती है। जिससे शारीरिक भार कम होता है ।
नोट :---
(1) आधिक जानकारी हमारे द्वारा लिखित "इलेक्ट्रो होम्योपैथी की वास्तविक बिजलियां" नामक पुस्तक में मिलेगा ।
(2)पुस्तक की कीमत ₹ 470 मात्र