इलेक्ट्रो होम्योपैथी Electro Homeopathy की दवाएं आर्गन पर नहीं लक्षणों पर काम करती हैं!
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आम धारणा यह है कि इलेक्ट्रो होम्योपैथिक दवाएं आर्गन पर काम करती हैं और होम्योपैथी की दवाएं सिम्टम्स पर काम करती है लेकिन मेरा कहना है कि इलेक्ट्रो की दवाएं सिस्टम (आर्गन) पर नहीं सिम्टम पर काम करती हैं। इस बात को समझने के लिए दोनों औषधियों की प्रूविग को समझना पड़ेगा।
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इलेक्ट्रो होम्योपैथी की दवाएं किस आधार पर काम करती हैं |
इसके लिए हम सबसे पहले होम्योपैथिक औषधियों के घटक और प्रूविग को समझना होगा।
होम्योपैथिक औषधियों के घटक व प्रूविंग
होम्योपैथिक हर्बल औषधियों के घटक
वनस्पतियों के अंदर के पदार्थ जो एल्कोहल और डिस्टिल वाटर में घुलनशील होते हैं वह सारे के सारे धुल जाते हैं और फिर जब औषधियां मदर टीचर से डायल्यूशन में परिवर्तित होती हैं तो यही मदर टिंचर में घुले हुए पदार्थ औषधियों के घटक बनते हैं। इन घटकों में प्रमुख तत्व एल्केलाइड्स, विटामिंस, हार्मोन, एंजाइम, गोंद आदि होते हैं।
होम्योपैथिक (हर्बल) औषधियों की प्रूविंग
होम्योपैथिक औषधियां शरीर में रोग को उत्पन्न भी कर सकती हैं और उनका दमन भी कर सकते हैं। इसी आधार पर सैमुअल हनीमैन ने अपनी बेटी को सिनकोना की पत्ती का रस देकर मलेरिया से ठीक किया था और उसके बाद अपने नौकरों को सिनकोना की पत्ती का भारी मात्रा में रस पिलाकर बीमार किया था और पुन: सिनकोना का थोड़ा रस पिलाकर ठीक किया था। इस प्रकार के सिद्धांत हनी मैंने स्वयं किया था।
इसी तरह होम्योपैथिक में क्रोटिंग्नम आती है यदि क्रूड मात्रा में इसका सेवन किया जाए तो दस्त उत्पन्न हो जाते हैं और यदि सूक्ष्म मात्रा में ली जाए दस्त बंद कर देती है।
इस प्रकार हम देखते हैं की होम्योपैथिक हर्बल औषधियां आर्गन और लक्षण दोनो पर काम करती है। क्योंकि जब हमें कोई रोग नहीं था तब क्रोटिंग्नम दिया गया तो दस्त उत्पन्न कर दिया लेकिन यदि दस्त के लक्षण (सिम्टम) आ जाये तो इस औषधि की सूक्ष्म मात्रा देने से दस्त ठीक हो जाते हैं।
इससे पता चलता है की होम्योपैथिक औषधियां सिम्टम्स और आर्गन दोनों पर काम करती हैं।
इलेक्ट्रो होम्योपैथिक होम्योपैथिक औषधियों के घटक
इलेक्ट्रो होम्योपैथिक में वनस्पतियों को जब डिस्टल वाटर में डाला जाता है तो वनस्पतियों के जो भाग डिस्टिल वाटर में घुलन शील होते हैं वह धुल जाते हैं। जिससे वनस्पतियों के जल घुलनशील पदार्थ डिस्टल वाटर में आ जाते हैं इसमें मुख्य रूप से कलर, एंजाइम, हार्मोन, विटामिंस, गोंद व खनिज पदार्थ होते हैं कुछ मात्रा में एल्कलॉइड्स भी आ जाते हैं।
दूसरे भाग में जब यह कलर फुल वाटर का कोहोबेशन किया जाता है तो इसमें केवल वही पदार्थ होते है जो 38 से 45 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास भाप बनकर उड़ सकते हैं इस प्रकार से प्राप्त स्पैजिरिक (डिस्टिल्ड वॉटर) एल्केलाइड्स फ्री होता है।
इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधियों की प्रूविग
इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधियां स्वस्थ शरीर में कोई काम नहीं करती है जब यह रोगी शरीर में डाली जाती है तब यह अपना प्रभाव दिखाती है। स्वस्थ शरीर में कोई लक्षण नहीं होते हैं केवल एक लक्षण होता है कि उसका भार पता नहीं चलता है। जब शरीर रोगी होता है तो उसके लक्षण पता चलते हैं जिस लक्षण जो औषधि होती है उसे औषधि को शरीर में डाला जाता है जिससे लक्षण उत्पन्न करने वाली रासायनिक अभिक्रिया का नियंत्रण हो जाता है। इस विषय पर अभी अनुसंधान करने की आवश्यकता है कि यह औषधियां स्वयं नियंत्रण करती हैं या उत्प्रेरक के रूप में कार्य करती हैं।
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उपरोक्त तथ्यों से यह निष्कर्ष निकलता है की इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधियां आर्गन पर नहीं लक्षण (सिंम्टम) पर काम करती हैं। इनकी प्रूविग स्वस्थ बॉडी पर बिल्कुल नहीं हो सकती हैं केवल रोगी शरीर पर इसकी प्रूविग होती है
सकती हैं केवल रोगी शरीर पर इसकी प्रूविग होती है।
यदि औषधियां आर्गन पर काम करती तो होम्योपैथी की तरह रोग पैदा भी कर सकती थी।
जैसे शरीर में G.I.T. की एक सिस्टम है यदि स्वस्थ शरीर में इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधियां डाली जाय तो G.I.T. रोग ग्रस्त हो सकती है ऐसा नहीं होता है।
जबकि होम्योपैथिक दवा इस तरीके से लेने से G.I.T.रोग ग्रस्त हो जाएगी। क्योंकि वह आर्गन लक्षण दोनों पर पर काम करती है।
Writer: Dr. Ashok Kumar Maurya
Electro Homeopathic Practionar and Owner of Spagyric Research Laboratories (Since-1991), Lucknow