Complex Homeopathy and Electro Homeopathy are the same in today's time.
काम्प्लेक्स होम्यो पैथी व इलेक्ट्रो होम्योपैथी आज के समय मे एक ही है।
हम पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं की होम्योपैथी में हनीमैन ने सिंगल रिमेडी प्रयोग करने का निर्देश दिया था । जबकि इलेक्ट्रो होम्योपैथी में शुरू से ही काम्प्लेक्स रिमेडी प्रयोग करने का निर्देश है। लेकिन वर्तमान समय में होम्योपैथी में काम्प्लेक्स रिमेडी का प्रचलन तेजी से बड़ा है। चाहे जर्मन के होम्योपैथ Dr.Reckeweg के आर कम्पाउंड हो ( R Compound ) या S B L के कम्पाउंड हो बाजार में बहुत तेजी से बिक रहे हैं इसका मतलब है कि यह सारे काम कर रहे हैं।
Electro Homeopathy |
Dr.Reckweg के 89 कम्पाउंड है। पहले इनके इनग्रेडिएंट भी लिख कर आते थे लेकिन अब शायद नहीं आते दूसरी ओर SBL के कम्पाउंडों में आज भी इनग्रेडिएंट लिख कर आते हैं । जो प्रोडक्ट के ऊपर और सम्बंधित बुकलेट में छपे होते हैं प्रोडक्टों में जो इनग्रेडिएंट डाले जाते हैं चाहे SBL के हो या डा रिकवेग के सभी में निम्न पोटेंसी में दवाएं पड़ी होती हैं इन दवाओं के बनाने की तरकीब हम पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि होम्योपैथिक दवाएं कैसे तैयार की जाती है एक बार पुनः रिपीट कर देते हैं:----
साफ सुधरी हर्ब लेकर एल्कोहल और डिस्टल वाटर मिले हुए जल में डाल दी जाती है जब उसकी वाइटल फोर्स (ओड फोर्स) निकल आती है तब मदर टिंचर तैयार माना जाता है इस मदर टिंचर को निम्न प्रकार से X में पोटेंसी तैयार करते हैं :---
एक्स पोटेंसी बनाने की विधि
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(1) 1 ml मदर टिंचर +9 ml एल्कोहल =10 ml
दवा 1X तैयार है। (इसमें 10 स्टोक पड़ते हैं)
(2)1X दवा 1ml +9 ml एल्कोहल =10 ml
दवा 2X तैयार है (10 स्टोक किस में भी लगेंगे)
ऐसे ही 3X, 4X, 5X, 6X, 7X, 8X, 9X, 10X बनाते जाते हैं।
डी पोटेंसी बनाने की विधि
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अब वर्तमान काल में जिस तरीके से लोग इलेक्ट्रो होम्योपैथिक दवा तैयार करते हैं हम वह आपको बता रहे हैं। हालहां की इसे हम इलेक्ट्रो होम्योपैथिक दवा नहीं कहते है। आप भी निर्णय कर सकते हैं कि यह इलेक्ट्रो होम्योपैथिक दवा है या होम्योपैथिक दवा है ।
साफ-सुथरी हर्बल लेकर कुछ लोग केवल डिस्टल वाटर में कुछ लोग डिस्टिल वाटर + एल्कोहल मिले हुए मिश्रण में हर्व में डालते हैं। जब हर्व की ओडफोर्स मिश्रण में आ जाती है तब उसे छान लेते हैं और इसे ओड फोर्स का नाम देते हैं । वास्तव में यह मदर टीचर ही होता है।
अब D बनाने के लिए लोग अलग-अलग तरीके ,अपनाते हैं। कुछ लोग 1 : 9 कुछ 1 : 99 कुछ 1 : 999 का पैमाना अपनाते हैं
(1) 1 ml od force + 9 ml डिस्टिल वाटर या एल्कोहल मिलाकर 10ml दवा D1 बनाते हैं
(2) D1एक ml + 9 ml डिस्टल वाटर या एल्कोहल मिलाकर 10ml दवा D2 बनाते हैं
इसी तरह आगे D3, D4, D4, D5, D6, D6, D7, -------- D10 बनाते जाते हैं।
इस तरह आप देख रहे होंगे की होम्योपैथिक और इलेक्ट्रो होम्योपैथिक दवा बनाने में कोई अंतर विशेष नहीं है यहां जो अंतर दिखाई दे रहा है वह यह है कि डी बनाने में स्टोक नहीं लगाए जा रहे हैं लेकिन आपको बता दें कोई कोई कोई सज्जन ऐसे भी हैं जो D बनाने में भी स्टोक लगाते हैं ।
अब ओड फोर्स निकालते समय डिस्टिल वाटर के साथ में एल्कोहल मिला दिया करते है और " D " बनाते समय स्टोक लगा दिया करते है तो होम्योपैथिक मदर टिंचर और इलेक्ट्रो होम्योपैथिक ओड फोर्स बनाने में क्या अंतर है ????? कोई अंतर नहीं । जब इन दोनों में कोई अंतर नहीं है तो इनसे आगे बढ़ने वाली दवाओं में भी कोई अंतर नहीं होगा यह बात स्पष्ट हो चुकी है।
इस तरह काम्प्लेक्स होम्योपैथी और इलेक्ट्रो होम्योपैथी दोनों की दवाएं एक ही तरीके से तैयार हुई हैं। हालांकि हमने इलेक्ट्रो होम्योपैथिक दवाएं नहीं कहते हैं और न ही हम इनका समर्थन करते हैं ।
एक डॉक्टर साहब का कहना है " कि कुछ लोग कहते है कि D3 के आगे की पोटेंसी अच्छा काम करती हैं वास्तव में वह लोग इलेक्ट्रो होम्योपैथिक की दवाई प्रयोग नहीं करते है )।
मेरा कहना यह है जब दोनों दवाएं मूल मे एक ही तरीके से बनी है तो फिर जब होम्योपैथिक दवा काम करती है उसमें 5X, 10X, 30X, 200X 30, 200, 1M, 10 M, और 50M दवाएं काम करती हैं तो इलेक्ट्रो होम्योपैथिक दवा क्यों नहीं काम करेगी ???????
यदि नहीं काम करती हैं तो दवाओं में कहीं घपला हो सकता है। हो सकता है दवा के नाम पर केवल एल्कोहल भर दिया गया हो????
इलेक्ट्रो होम्योपैथिक दवा न काम करने के बहुत से कारण हो सकते हैं। जिसमें निम्नलिखित कारण प्रमुख हो सकते है :----
(1) प्रत्येक फार्मेसी का दवा बनाने का तरीका अलग अलग होने के कारण चिकित्सक सही तरीके से दवा निर्धारण नहीं कर पाता है जिसके कारण दवा के परिणाम में अंतर आ जाता है।
(2) फार्मेसी के लोग स्टोक संख्या में अंतर कर देते हैं इसलिए दवा के परिणाम में अंतर आ जाता है।
(3) फार्मेसी के लोग डाइल्यूशन व D बनाने में अनुपात अलग अलग कर देते हैं । इसलिए दवा के परिणाम में अंतर आ जाता है।
(4) फार्मेसी द्वारा अल्टरनेट पौधे मिलाने के कारण परिणाम में अंतर आ जाता है।
(5) पौधों की संख्या उचित अनुपात में न मिलाने के कारण औषधि प्रणाम में अंतर आ जाता है।
(6) मटेरिया मेडिका व प्रैक्टिस आफ मेडिसिन का साहित्य बढ़ा चढ़ाकर लिखने के कारण भी औषधि परिणाम प्राप्त करने में अंतर हो जाता है।