इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधि की डोजोलॉजी के बारे में
हमारे सामने वर्षों से लोगों के प्रश्न आते रहे हैं कि किस बीमारी में कौन सी पोटेंसी और डायलूशन दिया जाए । इस का चुनाव कैसे करें। यह प्रश्न कठिन है लेकिन इतना कठिन भी नहीं है कि समझा न जा बस थोड़ा दिमाग लगाने की आवश्यकता है।
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Dosology of Electro Homeopathy |
कौन सी बीमारी में कौन सी मेडिसिन (डायलूशन) दिया जाए इसके लिए मटेरिया मेडिका की स्टडी होनी चाहिए पोटेंसी का चुनाव करने के लिए लेख को ध्यान से पढ़िए।
दवाओ (डायलूशनों) में डिस्मिल, मैटी स्केल, सेंटीसिमल और 50 सिमल (50000 की पोटेंसी) की पोटेंसी होती है। पोटेंसी जितना ऊंची होता है लोग उसे उतना ही नेगेटिव मानते हैं। खैर हम नेगेटिव पॉजिटिव के भेद में नहीं जाना चाहते हैं।
(१) सिंम्पिल डोज
इसके अंतर्गत गोलियों में या डिस्टिल वाटर में दवा डालकर दिन में 3 बार 4 बार 5 बार 10 बार या आवश्यकतानुसार 10 बूंद 5 बूंद 2 बूंद 10 गोली 5 गोली दो गोली दी जाती है।,(आधा कप पानी में गर्म पानी में, या चूस कर दवा ली जाती है।) यह डॉक्टर के विवेक और ड्रॉप व गोलियो के आकार पर पूरी तरीके से निर्भर करता है।
(अ) एसेंडिंग
कुछ लोग इस तरीके से दवा की डोज प्रयोग करते हैं जिसमें सबसे पहले दवा की छोटी मात्रा ( एक गोली, दो गोली, चार गोली,छ: गोली आठ गोली, 10 गोली या बूंद आदि ) फिर धीमे-धीमे दवा की बड़ी मात्रा को बढ़ाते जाते हैं।
इधर समय में भी परिवर्तन करते जाते हैं पहले दिन भर में 3 बार या और अधिक , उसके बाद दो बार या और अधिक , उसके बाद एक बार दे कर के दवा समाप्त कर देते हैं।
(ब) डिसेंडिंग
कुछ लोग इस तरीके से दवा का प्रयोग करते हैं सबसे पहले बड़ी डोज प्रयोग करते हैं उसके बाद दो-दो बूंदें कम करते जाते हैं अंत में एक बूंद पर दबा रोक देते हैं।
यानी 5 ml डिस्टल वाटर में किसी भी डायलूशन की 0 .02ml ( दो बूंद) दवा डालकर दे दे देते है पेशियंट को पहले दिन 10-10 बूद दिन में 3 बार, दूसरे दिन 8-8 बूंद दिन में 3 बार, तीसरे दिन 6-6 बूंद दिन में 3 बार, अगले दिन 4-4 बूद दिन भर में 3 बार ,उसके अगले दिन 2 -2 बूंद दिन में 3 बार अगले दिन 1-1 बूंद दिन भर में 3 बार देना होता है।
यदि रोग ठीक हो जाता है तो ठीक है वर्ना अगले डायलूशन से भी इसी तरीके से दवा दी जाती हैं
(२) मिश्रित डोज
इसमें चिकित्सक अपने विवेक से डोज निर्धारित करता है कई प्रकार के डोजो का मिश्रण प्रयोग करता है। यह पूर्णता रोग और रोगी की स्थिति पर निर्भर करता है।
(३) हाई डोज
चिकित्सक अपने विवेका अनुसार दवा (लो पोटेंसी) की हाई डोज इस्तेमाल करता है यह दिन भर में 3 - 4 बार या अधिकतम 10 बार तक हो सकती है
(ब) पोटेंसी की हाई डोज
चिकित्सक अपने विवेका अनुसार हाई पुटैंसी में इस्तेमाल कर माल करता है 10-10 मिनट पर रिपीट की जा सकती है दिन भर में 3 बार भी कर सकते हैं यह चिकित्सा के विवेक रोग और रोगी की कंडीशन पर निर्भर करता है।
(४) बच्चों /बूढ़ों की डोज
बच्चों और बूढो में लो पोटेंसी का ही प्रयोग करना चाहिए बहुत आवश्यकता पड़ने पर हाई पोटेंसी में नहीं जा सकते हो ।