इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधियों का रोगों में चयन करना अत्यंत आसान है

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इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधियों का रोगों में चयन करना अत्यंत आसान है!

चिकित्सकों के लिए रोग के अनुसार औषधि का चुनाव करना एक कठिन कार्य होता है, यह कार्य तब और ज्यादा कठिन हो जाता है जब औषधियो की संख्या कम और सिंगल रूप में होती है लेकिन जब औषधियों की संख्या ज्यादा  और कांप्लेक्स रूप में होती हैं तो औषधि का चुनाव करना अत्यंत आसान हो जाता है।

उदाहरण के लिए डॉ. सुशलर की बायोकेमिक औषधियों में औषधि का चुनाव करना अत्यंत कठिन होता है क्योंकि उसमें कुल 12 ही औषधियां होती है। इसी तरह होम्योपैथी की मूल औषधियों की संख्या अधिक होती है। लेकिन  औषधियां अधिक होने के कारण चुनाव करना बहुत कठिन होता है। क्योंकि बहुत सारी औषधियो के औषधीय गुण आपस में मिलते जुलते हैं । डाइल्यूशन बनने पर और कठिन हो जाता है क्योंकि उनके औषधीय गुण और  विस्तृत हो जाते हैं।

image: www.worldehf.com

यहां एक बात और ध्यान देने की है कि इतनी जटिलता होते हुए भी बायोकेमिक और होम्योपैथी में औषधि का चुनाव करना अत्यंत आसान हो जाता है । अब सवाल यह उठता है कि ऐसा कैसे होता है जब जटिल होता है तो आसान कैसे हो जाता है। गहन स्टडी और लंबी प्रैक्टिस में यह आसान हो जाता है बायोकेमिक में औषधियां टिशू वाइज बनी हुई है। इसलिए उनका चुनाव आसान हो जाता है लेकिन जो इस बात की जानकारी नहीं है उनके लिए इसमें मेडिसिन का चुनाव करना अत्यंत कठिन होता है।

इलेक्ट्रो होम्योपैथी में भी औषधियां बहुत अधिक नहीं है लेकिन इसमें कांप्लेक्स रूप में है और ग्रुप वाइज बनी हुई है इसलिए औषधि का चुनाव करना अत्यंत आसान होता है।

लेकिन फिर भी यह कार्य कठिन होता है क्योंकि 1 लक्षण कई कारणों से उत्पन्न हो सकता है। जब तक उस कारण की औषधि नहीं जाएगी तब तक वह कारण समाप्त नहीं होगा । जब तक कारण नहीं समाप्त होगा तब तक वह लक्षण भी नहीं जाएगा और जब तक लक्षण नहीं जायेगा तब तक वह आर्गन भी नहीं ठीक होगा।

बहुत सारे लोगों के दिमाग में एक प्रश्न उठ रहा होगा इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधियां लक्षणों को नहीं आर्गन को ठीक करती है । उन लोगों को हम यह बताना चाहते हैं कि जब तक लक्षण ठीक नहीं होगा तब तक आर्गन भी ठीक नहीं होगा। उदाहरण के लिए:--

टॉन्सिल में सूजन है इसके कारण खांसी आ रही है। अब इसके लिए टांसिल की सूजन समाप्त कर दी जाय तब भी खांसी समाप्त हो जाएगी । और खांसी समाप्त कर दी जाए तो टांसिल की सूजन भी समाप्त हो जाएगी । अब प्रैक्टिशनर को यहां पर ध्यान देने की आवश्यकता यह है कि जो खांसी का लक्षण बना हुआ है वह किस कारण बना हुआ है? टांसिल के कारण बना है या फेफड़े के कारण बना हुआ है या कोई और कारण है उसका मूल कारण देखना पड़ेगा और उस मूल कारण की मेडिसिन का सिलेक्शन करना पड़ेगा ।
इलेक्ट्रो होम्योपैथी में जो औषधियां तैयार की गई है वह इस तरीके से तैयार की गई है कि वह पूरे श्वसन तंत्र और उसके  आसपास के क्षेत्रों पर अपना प्रभाव डालती है। इसी कारण औषधि का चुनाव करना बहुत आसान होता है ।
Dr.Ashok Kumar Maurya
Written By
Dr. Ashok kumar maurya
Electro homeopathic practitionar,  
Spagyric research lab
Lucknow

5 comments

  1. बहुत बढ़िया जनाब
  2. Positive negative kya hai batayen
  3. Electro homeopathic book kaha milegi jo is site pr dikhai de rahi hai
    1. apna naam pata pincode ke sath contact@worldehf.com per mail karen
    2. ya 9473585622 per Whatsapp karen
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