विश्व में 80 प्रतिशत जनसंख्या आज भी औषधीय पौधों से किसी न किसी रूप में अपनी जरूरतों को पूरा करती हैं। हमारी भारतीय संस्कृति में घरों में प्राचीन काल से ही बाग-बगीचे लगाने और उनमें रोजमर्रा के उपयोग हेतु औषधीय पौधे उगाने की सुदृढ़ प्रक्रिया और परंपरा है। घर में खाली पड़े स्थान पर गिलोय को इस प्रकार विकसित कीजिए कि एक मनोहारी दृश्य के साथ इस उपयोगी औषधि का लाभ उठा सके।
बोटैनिकल नाम | Tinosporo cordifolia |
Common Name | Cagurjo, Heart-leaved moonseed, Guduchi or Giloy |
Plant Type | Herbaceous vine |
Mature Size | 1 to 2 feet tall and wide |
Sun Exposure | Full sun to part shade |
Soil Type | Average, well-drained soil rich in organic material |
Soil pH | Neutral (6.0 to 7.0) |
Bloom Time | May to early fall; will rebloom constantly if old blooms are dead-headed |
Flower Color | Yellow, orange, cream, pink |
Hardiness Zones | Perennial in zones 9 to 11 (USDA) |
प्राप्ति स्थान | भारत के विभिन्न क्षेत्र |
गिलोय को आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी आदि। गिलोय को कन्नड़ में अमरदवल्ली, गुजराती में गालो, मराठी में गुलबेल, तेलुगू में गोधुची, तिप्प्तिगा, फारसी में गिलाई, तमिल में शिन्दिल्कोदी आदि क्षेत्रीय नामों से जाना जाता है। गिलोय एक बहुवर्षीय औषधि लता होती है, जिसको वानस्पतिक भाषा में 'टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया' कहा जाता है। इसके पत्ते पान की तरह बड़े आकार के हरे रंग के होते हैं। गिलोय पौधे से स्थान-स्थान पर जड़ें निकलकर नीचे की ओर झूलती रहती हैं। गिलोय में गर्मियों के दौरान फूल आना प्रारंभ होते हैं और सर्दियों में गुच्छे में छोटे लाल बेर से कुछ छोटे फल भी लगते हैं। गिलोय का तना अलग-अलग मोटाई में दिखाई देता है, जिसका व्यास लगभग 0.6 से 5 सेमी. तक होता है। गिलोय बेल के रूप में देश के विभिन्न भागों में पाई जाती है।
गिलोय जंगलों में, सड़कों के किनारे, बाग-बगीचों, पार्को, कार्यालय की इमारतों, पूर्ण मकानों, मैदानों में लगे पेड़ों के सहारे कहीं भी गिलोय की बेल प्राकृतिक रूप से अपना घर बना लेती है। गिलोय को कलम तथा बीज के द्वारा प्रसारित किया जा सकता है। वैसे तो गिलोय की कलमों की कटिंग आप साल भर लगा सकते है, परंतु गिलोय की कलमों को लगाने का सही समय फरवरी के अंत से जून तक आप कभी भी लगा सकते है।
प्रसारण के लिए पुरानी शाखाओं से ली गई
5-6 इंच लंबी तथा पेन्सिल की मोटाई के बराबर वाली कलम को क्यारी या गमले में लगाने से यह उग जाती है तथा बड़ी तेज गति से स्वच्छंद रूप से बढ़ती जाती है और जल्दी ही बहुत लंबी हो जाती है। गिलोय को तैयार हो जाने के बाद इसके बीजों तथा कलमों को प्राप्त करने अथवा देने का सबसे आसान तरीका आस-पड़ोस, रिश्तेदा, मित्र, स्कूल-कॉलेज, कार्यालय और परिवारों के मध्य आदान-प्रदान है, जो भारतीय संस्कृति का एक हिस्सा रहा है।
घर की बगिया में गिलोय
आप अपने मित्रों, रिश्तेदारों, आस-पड़ोसियों को गिलोय के औषधि गुणों को बताएं एवं साथ ही साथ उपहार के रूप में उन्हें बीजों अथवा कलमों को भेंट भी करें, ताकि आप खुद भी स्वस्थ रह सकते है। साथ ही साथ आप अपने प्रियजनों को भी स्वस्थ बनाए रखने में मददगार साबित होंगे, क्योंकि मानव संस्कृति, में पौधों का आदान-प्रदान बहुत ही सुंदर उपहार माना जाता है।
जैसा कि आप जानते हैं कि किसी भी जड़ी-बूटी का प्रयोग अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर के परामर्श से ही करना चाहिए गिलोय को आप अपने होम-गार्डन या घरेलू बगिया या गृहवाटिका में जरूर लगाएं। यह औषधि गुणों के साथ-साथ इसकी लताएं दिखने में भी बहुत सुंदर और मनोहारी लगती है। घर में लगे इस पौधे को देखकर आने वाली पीढ़ी को जानकारी लेने एवं घर के छोटे बच्चों को घर की बगिया में अपने साथ-साथ टहलाने से इस पौधे के पारंपरिक ज्ञान का संचार किया
जा सकता हैं। इस प्रकार, हर घर में गिलोय का पौधा पहुंचने में समय नहीं लगेगा और कोई भी इसके अमृत समान गुणों से अछूता नहीं रहेगा।
गिलोय के लाभकारी औषधीय गुण
एक शोध के अनुसार, गिलोय के पौधे में पत्तियों की तुलना
में तने में अधिक क्षारीय तत्व पाए जाते हैं। भारत एवं विश्व में
हुए गिलोय पर शोध परिणामों से पता चला है कि गिलोय के तना एवं पत्तियों में औषधीय और जैविक गतिविधियों में एंटी वायरल संक्रमण, एंटीकैंसर, जीवाणुरोधी, एंटीइन्फ्लेमेटरी, एंटीपैरासाइटिक, एंटी-डायबिटीज, न्यूरोलॉजिकल, इम्यूनोमॉड्यूलेटरी, सूजन, मनोरोग संबंधी स्थितियां इत्यादि रोगों के निवारण में लाभकारी पाया गया है। इसके तने का अर्क चर्म रोगों में उपयोगी होता है। गिलोय का तना सामान्य दुर्बलता, अपच, बुखार और मूत्राशय संबंधी आयुर्वेदिक घटक के रूप में प्रयोग किया जाता रहा हैं। गिलोय का प्रयोग सभी प्रकार के बुखार में किया जाता है।
इसका तना कड़वा, रूखा, मूत्रवर्धक होता है, पित्त स्नाव
को उत्तेजित करता है, उल्टी, रक्त को समृद्ध करता है और पीलिया को ठीक करता है। गिलोय मधुमेह विरोधी गतिविधियों में तो अमृत समान लाभकारी औषधि पौधा माना गया है।
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