इलेक्ट्रो होम्योपैथी जिसने आज कई देशों में अपने गुणों और विशेषता के कारण एक मत्वपूर्ण मुकाम हासिल किया है। दुनियाभर के कई देशों जैसे जर्मन, अमेरिका, भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, आदि में आज के समय में इलेक्ट्रो होम्योपैथी के कई चिकित्सक लोगो को आपनी सेवाएँ देते हुए इलेक्ट्रो होम्योपैथी और काउंट सीजर मैटी का मान बढ़ा रहे हैं।
जहाँ इस पैथी का पुरे विश्व में इसके चिकित्सीय लाभ के कारण प्रख्याति का डंका बजा है तो वहीं काउंट सीजर मैटी की कुछ खामियों के चलते कई देशों की सरकार में इस पैथी को पूर्ण रुप से एक स्वतंत्र पैथी के रुप में स्थापित करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
मैटी जी ने अपने ही जीवन काल में इस पैथी को इटली की जनता की बिच में न रखकर दुनियाभर के कई बड़े देशों तक इस पैथी की पहुच बना दी थी लेकिन फिर भी मैटी जी ने अपनी इस महान खोज पर किसी भी प्रकार का कोई शोध पत्र, लेख या पुस्तक नही लिखी क्या ऐसा हो सकता वास्तव में यह आज तक एक पहेली है। हालाँकि उनके एक सहयोगी के द्वारा उनके बाद उनकी दवाओं का निर्माण कार्य एवं उसके द्वारा मैटी की इस विधा की दवा निर्माण के दस्तावेज का JSO को बेचे जाने की बात की जाती है।
क्या मैटी जी ने अपने जीवन काल में अपनी इस खोज को दुनिया के सामने रखने के लिए वाकई कोई पुस्तक नही लिखी इस बारे में आपका क्या मत है पोस्ट के निचे कमेट बॉक्स में अपने विचार अवश्य लिखें।
जिम्पिल
इनका पूरा नाम कार्ल फ्रीडरिच जिम्पल Carl Friedrich Zimpel था। इनका जीवन काल (1801-1879) तक रहा है। यह मूलतः होम्योपैथ के फिजीशियन थे लेकिन अर्क औषधि (Spagyric Medicine) में रुचि रखते थे।
Zimpel-Kraus-Mattie |
यहां एक सवाल उठता है कि अर्क मेडिसिन (Spagyric Medicine) क्या होती है?
इसका जवाब है जब जड़ी बूटियो का अर्क भभका विधि (Distillation method ) से निकालकर चिकित्सा के रूप में प्रयोग किया जाता है तो उसे अर्क को स्पैजिरिक मेडिसिन कहते हैं। भभका विधि से निकालेगए अर्क काफी प्रभावशाली होते हैं।
सी. एफ. जिम्पिल ने 100 डिग्री सेंटीग्रेट पर भभके के द्वारा निकाले गए अर्क (Spagyric) को पोटेंटाइज कर होम्योपैथिक औषधियां तैयार की थी । जो डॉ हनीमैन की औषधियो से अधिक सुरक्षित व प्रभावशाली थी। ध्यान रहे आज भी होम्योपैथिक फार्मेसी में जिम्पिल का मेथड है और जर्मन होम्योपैथिक फार्माकोपिया में भी जिम्पिल की मेथड मौजूद हैं।
थूडरक्रास
डॉ थूडरक्रॉस Dr Theodore Kraus का जीवन काल 1864-1924 तक रहा है इनके जीवन पर होम्योपैथी की गहरी छाप रही है क्योंकि उनके पिताजी डॉक्टर हनीमैन के शिष्य थे।
इन्होंने सीजर मैटी की दवाओं के साथ-साथ कुछ अपनी दवाएं भी निकाली थी जो JSO Kamplex Heiwerise (J.K.W.) के नाम से जानी जाती थी ।
यह दवाएं जड़ी बूटियो के डिस्टिल वाटर में फर्मेंटेशन के बाद बिना कोहोबेशन के डायलूशन तैयार कर बनाई जाती थी । इलेक्ट्रो होम्योपैथी के नाम पर JSO द्वारा इन्हीं दवाओं का ज्यादा प्रचार प्रसार किया जाता था क्योंकि यह मैटी फार्मूले की अपेक्षा कम लागत में तैयार होती थी यह दवाएं स्वयं थूडर क्रास के फार्मूले से बनाई हुई थी।
सीजर मैटी
इनका जीवन काल 1809 - 1896 तक रहा है इन्होंने हनीमैन का भी साहित्य पढा जिम्पिल का भी साहित्य पढा और उस समय की प्रचलित अन्य चिकित्सा पद्धतियों का भी अध्ययन किया था ।
जब उन्होंने 1865 ईस्वी में इलेक्ट्रो होम्योपैथी की नीव रखी जिसमें स्पैजिरिक मेडिसिन के आधार पर पोटेंटाइजेशन व नान पुटेंटाईजेशन की औषधियां तैयार की जिसमें डॉक्टर हनीमैन और जिम्पिल के औषधियों के दोषों को निकाल दिया गया था।
इसमें सीजर मैटी ने पहले जड़ी बूटियो को डिस्टिल वाटर में डिजर्व किया (अर्क निकाला ) किया , उसके बाद 38 डिग्री सेंटीग्रेड पर डिजाल्व शोल्यूशन का कोहोवेशन किया उसके बाद निकली हुई है स्पैजिरिक को डायलूट कर पुटेंसी तैयार किया।