Azoospermia क्या है? azoospermia kya hai in hindi
Azoospermia एक पुरुषों में बाँझपन का कारण हो सकता है। इस स्थिति में पुरुष के वीर्य में कोई भी शुक्राणु नहीं होते हैं, या फिर शुक्राणु की संख्या इतनी कम होती है कि उनसे स्त्री में गर्भधारण की प्रक्रिया पूरी नही कर पाती।
यह समस्या नपुंसकता या बाँझपन के कारण होती है और इससे प्रभावित पुरुषों के लिए इस समस्या को दूर करने के लिए उपचार की आवश्यकता होती है।
पुरुषों में शुक्राणु की संख्या अधिक मात्रा में होती होती है, सामान्य रूप से एक मिलिलीटर वीर्य में १५० से ३०० मिलियन शुक्राणु होते हैं। यह संख्या पुरुष की उम्र, स्वास्थ्य और अन्य फैक्टर्स पर भी निर्भर करती है।
शुक्राणु की संख्या बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इससे निर्धारित होता है कि क्या पुरुष फर्टिल है या नहीं। जब शुक्राणु की संख्या अत्यधिक होती है तो उसे अतिसंख्यागत शुक्राणुता कहा जाता है जो फर्टिलिटी की संभावना को अधिक बढ़ा सकती है। अन्य तरफ, जब शुक्राणु की संख्या अत्यधिक कम होती है तो उसे Azoospermia कहा जाता है जो फर्टिलिटी की संभावना को कम कर सकती है।
गर्भधारण के लिए कितने शुक्राणु की आवश्यकता होती है?
गर्भधारण के लिए एक शुक्राणु और एक अंडा आवश्यक होते हैं। जब पुरुष अपनी स्पर्म को महिला के अंडानुवंशीय तंत्र में छोड़ता है, तब यह एक शुक्राणु महिला के अंडे से मिलता है, जो एक गर्भ विकसित करने के लिए आवश्यक होता है।15 मीलियन प्रति एमएल से अधिक शुक्राणुओं को सामान्य माना जाता है लेकिन इससे कम होने पर प्राकृतिक गर्भधारण में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
azoospermia के क्या कारण हैं
Azoospermia के कई कारण हो सकते हैं। कुछ सामान्य कारणों में निम्नलिखित हैं जो शामिल हो सकते हैं
अंतर्जात्रीय संक्रमण: यह एक सामान्य कारण होता है, जिसमें संतान उत्पन्न करने वाले शुक्राणुओं की गिनती को कम करने वाले संक्रमण होते हैं
शुक्राणुओं के विकार: इसमें शुक्राणुओं के विभिन्न प्रकार के विकार शामिल होते हैं जो उनकी संख्या या क्षमता में कमी का कारण बनते हैं।
जनन तंत्र के विकार: इसमें जनन तंत्र के विभिन्न हिस्सों के विकार शामिल होते हैं, जो संतान उत्पन्न करने की क्षमता को प्रभावित करते हैं।
टेस्टिकल में कई प्रकार के विकार होते हैं जो वीर्य उत्पादन मात्रा को प्रभावित करते हैं।
Azoospermia कई प्रकार की दवाओं के सेवन या किसी अन्य रोग के इलाज के कारण हो सकता है।
अनियमित वीर्य निर्वहन: शुक्राणु की कमी वाले पुरुषों में वीर्य का कभी भी निकल जाना या मुख्यतः वीर्य में शुक्राणु की अभाव के कारण वीर्य के पतलापन की समस्या आ सकती है।
बढ़ती उम्र के साथ, शुक्राणु की संख्या और क्षमता में कमी आ सकती है।
ग्रंथिक विकार: कुछ मामलों में, शुक्राणु की बनावट के साथ संबंधित ग्रंथियों का विकार भी शुक्राणु की संख्या में कमी का कारण बन सकता है।
शुक्राणु की संख्या में कमी वंशानुगत दोष के कारण भी हो सकती है।
अधिक अल्कोहल और धूम्रपान करने से शुक्राणु की संख्या और क्षमता में कमी आ सकती है।
अधिक उच्च तापमान, जैसे कि बहुत गर्म तापमान में रहने या कार्य करने के कारण भी शुक्राणुओं के सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है जिससे उनकी संख्या बहुत कम हो सकती है।
azoospermia के लक्षण | निल शुक्राणु के लक्षण
अगर किसी पुरुष में शुक्राणु की संख्या कम होती है या वह शुक्राणुरहित होता है, तो वह अपनी समस्या के लिए कई लक्षणों का सामना कर सकता है। यहाँ नीचे कुछ लक्षण दिए गए हैं, जो इस समस्या के संभव लक्षण हो सकते हैं:
शुक्राणु की संख्या में कमी: शुक्राणु की संख्या कम होने से यौन उत्तेजना कम हो सकती है। इससे संबंधित समस्याएं जैसे कि नपुंसकता और संभोग से रिलेटेड समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
अनुपस्थित शुक्राणु: यदि शुक्राणु पूरी तरह से अनुपस्थित होते हैं, तो शुक्राणुशून्य अवस्था कहलाती है। इस मामले में, पुरुष को यौन उत्तेजना या संतानोत्पति करने में कठिनाई हो सकती है
यदि किसी पुरुष को इन लक्षणों में से कुछ भी महसूस होते हैं, तो उन्हें एक विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
azoospermia की जांच
अगर किसी पुरुष को शुक्राणुओं की कमी होने का संदेह है, तो उन्हें शुक्राणुओं की जांच करानी चाहिए। इसके लिए कुछ प्रमुख जांच की विधियां निम्नलिखित हैं:
शुक्राणु गणना: इस जांच में, सीधे अंडकोषों से नमूने लिए जाते हैं और उन्हें माइक्रोस्कोप के तहत गिना जाता है। शुक्राणु की गणना का मात्रात्मक मापन, संक्षिप्त संख्या और संपूर्ण शुक्राणु संख्या दोनों के लिए किया जा सकता है।
स्पर्मोग्राम: इस जांच में, शुक्राणु और अन्य संख्यात्मक पैरामीटरों को मापा जाता है। स्पर्मोग्राम में शुक्राणु की संख्या, उनकी गति, उनकी आकार, और उनकी रुक्षता जैसी बातें निर्धारित की जाती हैं।
स्पर्म बायोप्सी: इस जांच में, शुक्राणु संबंधी समस्याओं का पता लगाने के लिए शुक्राणु से संबंधित ऊतकों का नमूना लिया जाता है।
री-टेस्ट: यदि शुक्राणु की संख्या एक बार अल्प होती है तो एक बार फिर से शुक्राणु की जांच की जानी चाहिए
वीर्य बढाने के घरेलु उपाय
कुछ घरेलू उपाय वीर्य की मात्रा को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
सही खुराक का उपयोग करें: विटामिन ए, सी, ई, बी-१२ और डी जैसे विटामिन और वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से वीर्य की मात्रा बढ़ सकती है।
इसके अलावा, खाने में प्रोटीन भरपूर मात्रा में लेना भी फायदेमंद होता है।
सही आहार लें: सुषम खाद्य पदार्थों का सेवन करें जो वीर्य के उत्पादन में मदद करते हैं, जैसे अंडे, नट्स, दूध, घी, दही आदि।
स्ट्रेस कम करें: अधिक स्ट्रेस से वीर्य की मात्रा में कमी हो सकती है। ध्यान, योग और अन्य राहत प्रदान करने वाले तकनीकों का उपयोग करके स्ट्रेस कम करें।
शारीरिक गतिविधि करें: नियमित शारीरिक गतिविधि करना वीर्य की मात्रा में वृद्धि कर सकता है।
वजन कम करें: अतिरिक्त वजन वीर्य की मात्रा में कमी का कारण बन सकता है। अगर आप वजन ज्यादा हैं, तो अपने डॉक्टर से सलाह लें और वजन कम करने के लिए सही तरीके अपनाएं।
सुनिश्चित करें कि आप अपने शरीर को पोषण से भरपूर रखते हैं और नियमित खाने का उपयोग करते हैं। इससे वीर्य की मात्रा बढ़ सकती है।
नियमित रूप से समय-समय पर योग करें: कुछ योगाभ्यास वीर्य की मात्रा में वृद्धि करने में मदद कर सकते हैं। कुछ योग जैसे पद्मासन, भुजंगासन और कपालभाती वीर्य की मात्रा में वृद्धि कर सकते हैं।