हर्ब से extract कैसे निकलता है |
आमतौर पर डिस्टिल वाटर के अंदर कुटी हुई हर्ब डाल देने से पानी रंगीन हो जाता है लोग यह मान लेते हैं कि प्लांट का एक्सट्रैक्ट निकल आया है लेकिन यह पानी रंगीन कैसे हो जाता है यह समझने की बात है इसके लिए हमें वनस्पति विज्ञान का परासरण (Osmosis) समझना पड़ेगा।
परासरण का तात्पर्य उच्च सांद्रता (गाढ़ा) की दिशा में न्यून सांद्रता (पतले) वाले विलियन (घोल) से विलायक का प्रवाहित होना। यह क्रिया तब तक जारी रहती है जब तक अर्धपार्गम्य (सेमी परमयेबल मेंम्ब्रेन) झिल्ली के दोनों ओर के विलयनो (घोलों) की सांद्रता (गाढ़ापन) समान न हो जाए ।
इसी तरह हम देखते हैं कि हर्ब के अंदर गाढापन अधिक होता है और पानी के अंदर गाढ़ा पन कम होता है अतः जब हम पानी में हर्ब को डालते हैं तो पानी हर्ब के अंदर जाना शुरू हो जाता है और हर्ब के अंदर का पदार्थ या विलायक पानी में आना शुरू हो जाता है।
और यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक हर्ब के अंदर और पानी के अंदर विलायक की मात्रा समान नहीं हो जाती जब मात्रा समान हो जाती है तो हर्ब से एक्सट्रैक्ट निकलना बंद हो जाता और हम पानी को छान लेते हैं क्योंकि यह पानी संतृप्त हो जाता है अब इसमें और हर्ब नहीं घोली जा सकती है।
नोट :-----किशमिश को पहले पानी में डालें तो किशमिश फूल जाएगी बाद में उसे चीनी के गाढ़े घोल में डालें तो किशमिश सुकुड जाएगी यह परासरण का बहुत अच्छा उदाहरण है।