आटा अम्लीय होता है, मात्र चोकर वाला अंश क्षारीय होता है। मानवीय स्वास्थ्य के लिए रोटी को प्राकृतिक गुणों से भरपूर बनाने का तरीका यह है कि रोटी बनाने वाले आटे में शाक-सब्जियों को पीसकरया उनका रस मिलाकर रोटी बनाएँ।
यहाँ पर कुछ तरीके प्रयोग के तौर पर दिए गए हैं-
(1) मूली की रोटी-मूली को कसकर आटे में मिला दें, स्वाद के अनुसार सेंधा नमक, काली मिर्च, अजवायन, जीरा, हलदी मिलाकर आटा गूंथकर रखें। आधा घंटा पश्चात रोटी बना लें।
लाभ-बवासीर, कब्ज दूर करता है। यकृत (लिवर) को बल मिलता है।
(2) बथुआ की रोटी-बथुआ की पत्तियों को धोकर, पीसकर आटे में मिलाकर रोटी बनाएँ।
स्वादानुसार क्र. 1 के अनुसार खाद्य मसाले डालें।
लाभ-रक्तवृद्धि, रक्तशुद्धि, वातदोषनाशक, जीवनी शक्तिवर्द्धक।
(3) पालक की रोटी-पालक के पत्ते साफ पानी से धोकर पीस लें तथा इसमें नमक, अजवायन, जीरा, सेंधा नमक मिलाकर रोटी बनाकर खाएँ।
लाभ-कब्ज निवृत्ति तथा एनीमिया में लाभप्रद।
(4) लौकी की रोटी-आटे में लौकी का रस मिलाकर उपरोक्त विधि के अनुसार जीरा, सेंधा नमक मिलाकर आटे को गूंथकर रोटी बनाकर खाएँ।
लाभ-यह रोटी उच्च रक्तचाप, हृदयरोग से बचाती है।
(5) मेथी की रोटी-मेथी के हरे पत्ते धोकर पीसकर आटे में गूंथकर रोटी बनाएँ। स्वाद के लिए आटे में सेंधा नमक, जीरा, अजवायन, काली मिर्च मिलाएँ।
लाभ-रक्तशोधक, वातरोगनाशक, कब्जनाशक।
(6) एलोवेरा (ग्वारपाठा) की रोटी- एलोवेरा के पत्ते को पानी से धोकर, चाकू से ऊपर का लका हटा दें: पत्ते के सूदे को चाकू से खुरच-खुरचकर निकाल लें तथा रस निकालकर छान लें। इसमें धनिया, जीरा, अजवायन, सेंधा नमक, काली मिर्च, हलदी मिला लें। इस रस को आटे में मिलाकर रोटी बनाएँ।
लाभ-संधिवात, गठिया इत्यादि वातरोगों में लाभप्रद। यकृत आमाशय एवं आँतों के रोग से बचाव। यह रोटी आँतों के कैंसर रोग होने से बचाने में मददगार है।
(7) आलू की रोटी-आलू को कद्दू कस कर लें। इसे कपड़े में रखकर दबाकर रस निचोड़कर आटे में मिला लें तथा स्वादानुसार नमक, जीरा, अजवायन, धनिया, हलदी मिलाकर रोटी बनाएँ।
लाभ-यह रोटी नेत्र ज्योति बढ़ाती है तथा रक्तशोधक है।
घृत या तेल के पराँठे- यकृत के लिए हानिकारक होते हैं। अतः पराँठों के स्थान पर उपरोक्तानुसार रोटियाँ बनाकर खाएँ तथा रोटी बनने के पश्चात घृत लगाकर रोटी का सेवन कर सकते हैं, परंतु हृदय रोगी को घृत का सेवन नहीं करना चाहिए।