इलेक्ट्रो होमियो पैथी ( Electro homoeo pathy) शब्द 3 शब्दों से मिलकर बना है।
(1) Electro
यह इंग्लिश भाषा का Prefix है जो शब्दों के शुरू में जोड़ा जाता है। यह शब्द शीघ्रता,त्वरित,जल्दी आदि के अर्थ में प्रयुक्त किया जाता है जैसे :----Electrotyping आदि
(2) Homoeo
यह भी इंग्लिश भाषा का Prefix है। जो शब्दों के शुरू में जोड़ा जाता है यह शब्द Similar ,same, Normal सामान्य, सदृश, एक जैसा अर्थ में प्रयुक्त होता है ।जैसे :----Homoeostate , Homoeopathy आदि
(3) Pathy
यह इंग्लिश भाषा का Suffix जो पद्धति के अर्थ में प्रयुक्त होता है। जैसे :----Homoeopathy, Homopaty, Allopathy, Neturopathy आदि
नोट :---
(1) Homoeo, Homeo , Homio Homo का एक ही अर्थ होता है केवल भाषांतर है
(2) same, Similar का एक ही अर्थ होता है केवल भाषांतर है।
(3) Pathy , Pathie का एक ही अर्थ होता है। केवल भाषांतर है
इस प्रकार हम देखते हैं कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी की परिभाषा निम्न प्रकार से है :-----
जन्तु शरीर में होने वाली असामान्य दशाओं (Haterostate/Abnarmal) को शीघ्रता ( बिजली की तरह, त्वरित ) से सामान्य दशाओं (Homoeostate) में लाकर जन्तु शरीर को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने वाली चिकित्सा पद्धति को इलेक्ट्रो होम्योपैथी कहते हैं।
यहां एक बात समझ लेने की है कि उस समय यह नाम होम्योपैथी की तुलना में दिया गया था। क्योंकि इलेक्ट्रो होम्योपैथी, होम्यो पैथी से मेल खाती थी।
इलेक्ट्रो होमियोपैथी का चिकित्सा सिद्धांत
इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधियां शरीर में केवल असामान्य (Abnormal) रासायनिक अभिक्रिया (Chemical Reaction) को नियंत्रित कर उनसे से संबंधित अंगों (Organs) की असामान्य कार्य क्षमता को प्रभावित कर स्वास्थ्य लाभ पहुंचाती हैं। इसलिए यह औषधियां स्वास्थ्य शरीर को कोई हानि नहीं पहुचाती है। इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधियां केवल होगी शरीर पर कार्य करती हैं।
रोग क्या है ?
हमारे शरीर में Lymph और Blood दो तरल पदार्थ सामान्य परिवर्तन के साथ स्टडी स्टेट में रहते हैं परन्तु जब इसमें परिवर्तन सामान्य से अधिक समय तक बना रहता है तो वह रोग की स्थिति होती है। शरीर के प्रत्येक भाग में लिम्फ और ब्लड मौजूद रहता है।
स्वास्थ्य क्या है?
जब तक लिम्फ, ब्लड शरीर मे सामान्य परिवर्तन के साथ स्टडी स्टेट में रहता है तब तक शरीर स्वस्थ कहा जाता है। स्टडी स्टेट का अर्थ होता है लिम्फ , ब्लड के गुणधर्म, आयतन, कंपोजीशन, ph मान, तापमान आदि का समान्य बना रहना एवं पुराने हो जाने वाले लिम्फ ब्लड को नए लिम्फ ब्लड में बदलते रहना।
चिकित्सा
शरीर के छतिग्रस्त अंगों व विभिन्न प्रकार की असामान्य स्थिति को को पुनः ठीक करना चिकित्सा है। ताकि कोशिकाएं उन तरल पदार्थों (एंजाइम, हार्मोन, विटामिन, लिम्फ , ब्लड ,बोन मैरो आदि ) पुनः बनाने और नष्ट करने लगे जो शरीर की रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं या उत्प्रेरक का कार्य करते हैं।