आज की इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे की हर्बल प्लांट या जड़ी बूटियां जब सूख जाती हैं तो क्या ऐसी अवस्था में एंजाइम की मात्रा उनमे मौजूद होती है या नही
जीवित कोशिकाओं में पाए जाने वाले एंजाइम जड़ी बूटियों के सूखने पर समाप्त नहीं होते हैं
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अभी तक के अनुसंधानो के अनुसार पौधों को बढ़ने तथा फलने-फूलने के लिए लगभग 16 प्रमुख आवश्यक एलिमेंट्स की आवश्यकता है। यह न्यूनाधिक पौधे के सभी भागों में पाए जाते हैं इनमें जड़, तना, फूल, पत्ती, बीज सभी शामिल हैं। पौधा यह एलिमेंट भूमि से प्राप्त करते हैं तथा अपने विकास के लिए बहुत सारे कम्पाउन्ड पौधे स्वयं तैयार करते हैं। इसमें एंजाइम हार्मोन, विटामिंस, गोंद, आयल, एसेंशियल ऑयल ,एल्कलॉइड्स व अन्य बहुत सारे रासायनिक यौगिक इनको तैयार करने के लिए पौधे में विभिन्न प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया होती है । जिसमें एंजाइम पौधे में उत्प्रेरक का कार्य करते हैं यह किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग नहीं लेते लेकिन अभिक्रिया को तेज या धीमा करने के लिए इनकी उपस्थिति आवश्यक होती है। इनकी सुक्षम मात्रा ही रासायनिक अभिक्रिया में उत्प्रेरक का काम कर जाती है
एंजाइम जड़ी बूटियों के सूखने पर समाप्त नहीं होते हैं |
पौधों में उत्पन्न होने वाले यह यौगिक जैसा कि हमने पहले ही बताया है पौधे के प्रत्येक भाग में न्यूनाधिक रहते हैं। बहुत सारे फल ऐसे होते हैं जिन्हें हम ड्राई फूड के रूप में प्रयोग करते हैं बहुत सारी पत्तियां ऐसी होती है जिन्हें हम ड्राई लीफ के रूप में प्रयोग करते हैं जैसे कस्तूरी मेथी और आर्गेनो बहुत सारे फल ऐसे होते हैं जिन्हें वर्षों तक संजोह कर रखते हैं इसी तरीके से वनस्पतियों के भागो को भी सुखाकर वर्षों तक स्टोर रखा जाता है। जब तक वनस्पतियों में यह पदार्थ सुरक्षित रहते हैं तब तक वनस्पतियां सुरक्षित रहती जब यह पदार्थ क्षीण हो जाते हैं तो वनस्पतियां भी क्षीण हो जाती है।
उदाहरण के लिए सरसों के बीज को ही लेले, जब तक उसमें तेल सुरक्षित रहता है तब तक सरसों का बीज काम का रहता है जब तेल की मात्रा समाप्त हो जाती है तो फिर सरसों की कोई वैल्यू नहीं रहती है। आप लोग दालचीनी खरीदने के लिए बाजार जाते हैं तो दालचीनी को तोड़कर कुछ खाते हैं और कुछ भाग सूघते हैं यदि दालचीनी में तेल की मात्रा अच्छी होती है तभी दालचीनी खरीदते हैं वरना नहीं खरीदते इसलिए दालचीनी में तभी तक उपयोगिता है जब तक तेल की मात्रा मौजूद है।
आप बाजार में पत्ती वाली हर्ब खरीदने जाते हैं तो पत्ती उठाकर सूघते हैं यदि पत्ती में सुगंध मौजूद है तब तो उसकी उपयोगिता है यदि सुगंध नहीं है तो उसकी कोई उपयोगिता नहीं।
हां ऊपर बात चल रही थी कि हर्ब सूखने पर एंजाइम्स भी उसी में सूख जाते हैं। तो एंजॉइमस ही नहीं कोशिकाओं के अंदर व बाहर जो भी योगिक व एलिमेंट्स हर्ब के अंदर होते है हर्ब का हिस्सा तोड़/उखाड देने पर उसी में सूख जाते है और जब तक उसकी उपस्थिति हर्ब में बनी रहेगी तब तक वह खराब नहीं होता है।
हां कभी-कभी लगता है कि हर्ब खराब हो गई है लेकिन हर्ब खराब नहीं होती है निम्न परिस्थितियों में हर्ब खराब हो जाती हैं:----
(१) हर्ब में कीड़े लग जाए ।
(२) कीडे अपना टॉक्सिन हर्ब के अंदर छोड़ दे।
(३) हर्ब में फफूंद लग जाए।
(४) हर्ब में आवश्यकता से अधिक नमी लग जाए।
(५) किसी तरह से हर्ब के कम्पाउन्ड व पोषक तत्व नष्ट हो जाने पर।
हर्ब के घटक पुनः सक्रिय हो जाते हैं
सूखी हर्ब के सारे एलिमेंट्सव कम्पाउन्ड उसी में सूख जाते हैं परंतु जब पानी में उसे डाला जाता है तो हर्ब के अंदर के एलिमेंट्स व कम्पाउन्ड जल में बाहर निकल आते हैं।
उदाहरण के लिए खाने वाले अनाजों को जब पानी में डालते हैं तो उनके अंदर की प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट विटामिंस आज सभी एलिमेंट्स व कम्पाउन्ड सक्रिय हो जाते हैं जिन्हें हम भोजन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इसी तरह जड़ी-बूटी के भाग जो सूख जाते हैं जल में डालने पर पुनः उनके अंदर की कोशिकाओं के अंदर व बाहर के एलिमेंट्स व कंपाउंड सक्रिय हो जाते हैं और ऑस्मोसिस क्रिया द्वारा जल में आ जाते हैं उससे ही इलेक्ट्रो होम्योपैथिक प्रोसेस द्वारा औषधि तैयार की जाती है।