पौधार्क या ओडफोर्स के कंपोजीशन
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पौधार्क का अर्थ है पौधे का अर्क, इस अर्क में कौन सी शक्ति है जिससे औषधि का काम करता है। आप सोच रहे होंगे कि पौधे में एंजाइम, विटामिन, हार्मोन्स, क्षीर गोंद शुगर और अनेक मिनिरल्स होते हैं जो पौधे में अलग-अलग भागों में अलग-अलग होते हैं ।
इसीलिए हमें जिस भाग की आवश्यकता होती है उसी भाग का अर्क निकालते हैं। अब सवाल यह उठता है कि पौधार्क में यह इंसान विटामिन हार्मोन आदि कहां से आए और किस शक्ति के द्वारा तैयार किए गए क्या हम इन्हें अलग से बना सकते हैं इसका साफ उत्तर है कि यह पौधे के अंदर ही बन सकते हैं हम बाहर नहीं बना सकते हां हम बाहर कृत्रिम तौर से बना सकते हैं लेकिन नेचुरल नहीं बना सकते।पौधे के अंदर जिस शक्ति से यह बनते हैं उसी शक्ति को हम "ओड फोर्स" कहते हैं यह शक्ति पूरे विश्व में अकेली शक्ति है और इसी शक्ति से संसार के समस्त चराचर जीव संचालित हैं।
पौधार्क या ओडफोर्स के कंपोजीशन |
अब कोई यदि यह प्रश्न खडा करें कि ओड फोर्स एक ही है तो एक पौधे से ही तैयार औषधि समस्त लोगों को ठीक कर देगी यह उसकी भूल है। ओड फोर्स एक शक्ति है जिसे देखा नहीं जा सकता टच नहीं किया जा सकता है केवल महसूस किया जा सकता है हां जिस वस्तु में वह शक्ति मौजूद है उसे देखा जा सकता है उसका उपयोग किया जा सकता है उससे लाभ उठाया जा सकता है।
इस संसार में जितने भी पौधे और जन्तु है सब में वही ओड फोर्स मौजूद है परन्तु हर जीव में औषधीय तत्व (एंजाइम ,विटामिन, हार्मोन, खनिज ,क्षीर ,गोंद , एल्कलॉइड्स आदि ) अलग-अलग संख्या और मात्रा में होते है इसीलिए हर एक का और औषधीय गुण, स्वाद, सब अलग अलग होता है जबकि ओड फोर्स, जीवनी शक्ति, वाइटल फोर्स ,कुछ भी कहो सब एक ही होती है।
ओड फोर्स में यह निश्चय करना कि इसके अंदर कितने एंजाइम होंगे , कितने विटामिन होंगे, कितने हार्मोन होंगे, कितने खनिज होंगे, कितने एल्केलाइड्स होंगे बिल्कुल असंभव है। बहुत की अभी खोज हुई है बहुत कि नहीं हुई ,लेकिन यह है कि यह होते सब में है बिना इनके जीवन संभव नहीं होता है इनके बिना पौधों में कोई औषधीय तत्व होता है । इसलिए औषधीय पदार्थ में जो हम इस्तेमाल करते हैं
वह एंजाइम, विटामिन, हार्मोन, मिनिरल्स, शुगर, स्टार्च आदि अनेक चीजें होती हैं जिनका हम औषधि के रूप में इस्तेमाल करते हैं इनका प्रयोग पैथी के हिसाब से अलग-अलग ढंग से किया जाता है जैसे आयुर्वेद और यूनानी में इन्हें स्थूल रूप में प्रयोग किया जाता है होम्योपैथी और इलेक्ट्रो होम्योपैथी में इन्हें सूक्ष्म रूप में प्रयोग किया जाता है।
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