इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिसिन का आंतरिक डायलूशन
इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिसिन में 2 प्रकार के डायलूशन एक साथ बनते हैं लेकिन हम समझ नहीं पाते हैं जैसे :-----
(१) आंतरिक डायलूशन
यह वह डायलूशन है जो वाह्य डायलूशन के साथ बनता जाता है लेकिन लोग इसे समझ नहीं पाते इसलिए इसे "गुप्त डायलूशन" भी कहते हैं । यह मेडिसिन के वाह्य डायलूशन के साथ साथ बढ़ता जाता है एक मेडिसिन में यह समान और असमान दोनों प्रकार के हो सकते हैं। समान केवल S1 में बनता है बाकी सभी में असमान बनता है। मेडिसिन के अंदर आंतरिक डायलूशनो के अनुपात भी अलग-अलग होते हैं। जिस स्केल में वाह्य डायलूशन बनता है उसी स्केल में आंतरिक डाइल्यूशन भी बनता है-जैसे S 2 के D स्केल में उदाहरण देखो जिसमें प्लांट के पार्ट को 10 से भाग दिया गया है ।
इलेक्ट्रो होम्योपैथी मेडिसिन के आंतरिक डायलूशन |
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Plant Name Part D1 D2 D3
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Cochlearia offi. 5 .5 .05. .005
Hydrastis can. 15 1.5 .15 .015
Lycopodium clav. 5 5 .05 . 005
Marticaria chamo. 10 1 .1 .01
Nasturtium offi. 25 2.5 .25 .025
Scrophularia nodo. 25 2.5 .25 .025
Smilex Medica 15 1.5 .15. .015
Tussilago farfara 20 2 .2 .02
Veronica offi 5 .5 .05. .005
यहां हम देख रहे हैं कि D1 D2 D3 डायलूशन में औषधीय मात्रा अलग-अलग बन रही है जिनमें असमान्य डायलूशन है और यह तब बनती है जब हम वाह्य D1 D2 D3 डायलूशन बनाते हैं तो उसके साथ में आंतरिक डायलूशन बनता है।
(२) बाह्य डायलूशन
यह वह डायल्यूशन है जो बाहर हम लोग D या अन्य स्केल में बनाते हैं और इसी डायल्यूशन की काउंटिंग से प्रैक्टिस करते हैं जैसे D3 D4 D5 आदि। जब यह डायलूशन बनते हैं तो मेडिसिन के अंदर भी पौधों के डायल्यूशन बनते जाते हैं जिनकी आमतौर पर लोग काउंटिंग नहीं करते हैं। वाह्य डायलूशन के आधार पर ही रोगी के रोग की अवस्था को देखा जाता है डायग्नोसिस करने के बाद में वाह्य डायलूशन का ही चुनाव किया जाता है प्रैक्टिस जगत में वाह्य डायल्यूशन का ही महत्व होता ही हालांकि मुख्य महत्त्व आंतरिक डायल्यूशन का ही होता है। लेकिन सामान्यता इस पर कोई ध्यान में रखा जाता है।
Scrofoloso3 (S3) का आंतरिक डायलूशन
हम Scrofoloso3 के घटक लिख रहे हैं और उसके आगे उसके पार्ट लिखे हैं जैसे 25, 10, 5 आदि उसके बाद में D1 D2 D3 जो आंतरिक डायलूशन बनते हैं उनकी औषधीय मात्रा लिखी हैं
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Name. Part. D1 D2 D3
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Cochlearia offi.~~ 25 2.5 .25. .025
Hydrastis can.~~ 25 2.5 .25 .025
Marticaria chmo~ 10 1 0.1 .01
Nasturtium offi.~~ 5 0.5 .05 .005
Rheum offi.~~~~~ 5 0.5 .05 .005
Scrophularia nodo 20 2 0.2 02
Tussilago farfara~~ 5 0.5 .05 .005
Smilex Medica~~~ 15 1.5 0.15 015
Veronica offi.~~~~ 5 0.5 .05. .005
विश्लेषण:-----
उपरोक्त मेडिसिन में हम देख रहे हैं कि कोचलीरिया आफिसिनेलिस और हाइड्रेस्टिस कैनाडेन्सिस दोनों 25 - 25 भाग पड़ी हुई हैं जो फार्मूले में मात्रा के हिसाब से सबसे अधिक है। तीसरे नंबर पर स्क्रोफुलारिया नोडोसा 20 भाग है बाकी कोई 10 भाग कोई पांच भाग है।
हम जानते हैं कि S3 मेडिसिन गांठो और चर्म रोग की मुख्य औषधि है बाकी बहुत सारे जगहों पर भी काम करती है इसलिए एक्यूट लक्षण समाप्त करने के लिए कोचलीरिया आफिसिनेलिस व हाइड्रेस्टिस कनाडेंसिस स्क्रोफुलारिया नोडोसा डाले गए हैं। जब भी कुछ लक्षण समाप्त हो जाएंगे तब यही मेडिसिन क्रॉनिक डिजीज पर भी काम करेगी उस समय मेडिसिन के वह भाग काम करेंगे जो पौधे मेडिसिन में कम मात्रा में पड़े हुए हैं।
इस प्रकार हम देखते हैं यह मरीज धैर्य के साथ ट्रीटमेंट करवाता है और डॉक्टर सक्षम है तू एक ही औषध से पेशेंट को ठीक किया जा सकता लेकिन इस विधि में समय कुछ ज्यादा लगेगा यदि सम गुण वाली अन्य मेडिसिन C3 भी उसके साथ में मिला दी जाए तो औषधि की ताकत बढ़ जाएगी और यदि GE साथ में मिला दे तो सोने में सुहागा हो जाएगा ।
यहां हमने औषध के इंटरनल या गुप्त डायलूशन की बात की है यदि वाहिद एडमिशन बढ़ते जाएंगे तो गुप्त का एडमिशन भी उसी के अनुपात में बढ़ते चले जाएंगे।
काउंट सीजर मैटी ने औषधियों के फार्मूले कुछ इस तरीके से सेट किए हैं कि एक ही औषधि से बीमारी को ठीक किया जा सके लेकिन आज के समय में मनुष्य का बाड़ी रजिस्टेंस काफी बढ़ चुका है इसलिए एक मेडिसिन में कई कई औषधियों को मिलाकर भी प्रयोग किया जा सकता है।
अब पौधों में एक तत्व एल्कलॉइड होता है जो मनुष्य की स्वस्थ शरीर पर भी काम कर जाता है इसलिए उस तत्व को निकालने के लिए औषधियों को कोहोबेशन मेथड से तैयार होना चाहिए ताकि औषधियां स्वस्थ शरीर पर प्रभाव न डाल सके।