निकट दृष्टि दोष कारण और उसका निवारण
कहने को तो यह "निकट दृष्टि दोष" है लेकिन इसमें दूर की वस्तुएं धुंधली नजर आती है और निकट की वस्तुएं साफ दिखाई देती है। इंग्लिश में इसे Myopia कहते हैं यह बीमारी नेत्र लेंस के समंजन / एडजस्टमेंट (लेंस और रेटिना की दूरी अव्यवस्थित ) होने के कारण होती है।
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निकट दृष्टि दोष क्या होता है |
सामान्य तौर पर आंख में जो लेंस लगा होता है उसका फोकस बिंदु रेटिना पर होना चाहिए लेकिन "निकट दृष्टि दोष" में यह फोकस रेटिना के आगे बनता है लाख कोशिश करने पर भी यह फोकस रेटिना पर नहीं बन पाता है। जिसके कारण दूर की वस्तुएं धुंधली दिखती है।
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फोकस दूरी खराब होने के कारण
लेंस एडजेस्टमेंट बिगड़ने के अनेक कारण हो सकते हैं जिनमें मुख्यता निम्नलिखित हैं।
(१) वंशानुगत कारण
अधिकांश लोगों में देखा जाता है कि जिनकी फैमिली में माता - पिता या किसी दूसरे बाबा- दादा आदि की नेत्र लेंस फोकस दूरी डिस्टर्ब होती है तो बच्चों में भी हो जाती है। आजकल देखने में आता है छोटे-छोटे बच्चों को भी चश्मा लग जाता है।
(२) गलत ढंग से रीडिंग करना
कभी-कभी लेट कर, चलती ट्रेन में, या चलती हुई कार में बैठकर रीडिंग करना से भी आंखों पर तगड़ा जोर पड़ता है जिससे नेत्रो की फोकस दूरी डिस्टर्ब हो सकती है।
(३) गलत ढंग से ध्यान करना
गलत ढंग से ध्यान की प्रक्रिया अपनाने से भी नेत्र की फोकस दूरी बिगड़ सकती है ।
(४) चोट लगना
सिर में या आंखों में, चोट लगने या किसी बीमारी के हो जाने के कारण नहीं नेत्रों की फोकस दूरी खराब हो सकती है।
(५) लैंप टाप मोबाइल का अधिक प्रयोग
अपरिपक्व आयु से ही लैपटॉप व मोबाइल का अत्याधिक प्रयोग करने से इसकी संभावनाएं बढ़ जाती है।
निदान या डायग्नोसिस
आधुनिक समय में डायग्नोसिस के अनेक उपकरण आ गए हैं अतः नेत्र चिकित्सक से उचित डायग्नोसिस से ही इस रोग का निदान किया जा सकता है।
लेंस एडजेस्टमेंट
वैसे तो ऊपर लेंस एडजेस्टमेंट बिगड़ने के अनेक कारण बताए जा चुके हैं लेकिन फिर हम यहां और स्पष्ट कर रहे हैं:------
सामान्य तौर पर नेत्रलेंस से गुजरने वाली किरणें रेटिना पर एक दूसरे को काटती है। जहां यह किरणें एक दूसरे को काटती है वहीं पर फोकस बिंदु होता है और वहीं पर वस्तु की इमेज बनती है। नॉर्मल आंख में ऐसा ही होता है परंतु कभी-कभी नेत्र का गोला ऊपर नीचे से चपटा हो जाने के कारण रेटिना और नेत्र लेंस की दूरी अधिक हो जाती है जिसके कारण लेंस से निकलने वाली किरणें रेटिना के आगे ही एक दूसरे से मिलती है और वहां पर चित्र बनाती हैं जिसके कारण दूर की वस्तुएं हमें धुंधली दिखती है । जैसा की चित्र में दिखाया गया है।
ऐसे ही कभी-कभी आंख में चोट लगने के कारण लेंस और रेटिना के बीच की दूरी अधिक हो जाती है। इससे भी लेंस से निकलने वाली किरणें रेटिना पर नहीं काटती बल्कि पहले ही एक दूसरे से मिलती हैं अतः दूर की वस्तुएं साफ नहीं दिखाई देती है।
आंख के अंदर किसी भी तरीके से साधारण तौर पर हम लेंस और रेटिना के बीच की दूरी का एडजेस्टमेंट नहीं कर सकते हैं। अभी तक गवर्नमेंट मान्य चिकित्सा पद्धति की किसी भी विधा में उसको एडजस्ट करने की कोई औषधि नहीं आयी है।
नेत्र फोकस दूरी को बाहर से एडजेस्टमेंट करना
नेत्र लेंस और रेटिना के बीच की दूरी को हम आंख के अंदर एडजस्ट नहीं कर सकते है लेकिन नेत्र लेंस के आगे एक अवतल लेंस (चश्मा) लगाकर हम इस दूरी को एडजस्ट कर सकते हैं जिसके कारण दूर की वस्तुएं और साफ दिखाई देने लगती है जैसा की चित्र में देख सकते हो।
इसी तरह आंख की पुतली पर कांटेक्ट लेंस लगाकर भी लेंस की फोकस दूरी को एडजेस्ट किया जा सकता है।
सर्जिकल विधि से फोकस दूरी को एडजेस्ट करना
यह एडजेस्टमेंट आई सर्जन ही कर सकता है इसमें लेंस और रेटिना के बीच की दूरी को कैल्कुलेट कर उचित दूरी का कृतिम लेंस आंख में फिट कर दिया जाता है जिससे लेंस से गुजरने वाली किरणें रेटिना पर अपना फोकस बनाती हैं जिसके फलस्वरूप बाहर से बिना चश्मा लगाए ही व्यक्ति दूर की वस्तुओं को साफ-साफ देख सकता है।
नोट ---
(१) इस बीमारी में बिना कैटरेक्ट के भी दूर की वस्तुएं साफ नहीं दिखाई देती हैं। सिर दर्द की शिकायत रहती है।
(२) आयु बढ़ने पर कैटरेक्ट आ जाने पर सर्जिकल बिधि से भी लेंस एडजेस्ट्स कराया जा सकता है।
(३) क्लास में को बच्चों को बोर्ड पर सही दिखाई देता है। सिर दर्द की शिकायत रहती है।