जब से फालो किया अच्छे रिजल्ट मिल रहे हैं पर क्यों मिल रहे हैं??
आप लोगों ने अक्सर कुछ लोगों को कहते हुए सुना होगा जब से फॉलो किया तब से क्लीनिक चल गई , बहुत सारे लोग हमसे पूछते हैं
क्या फॉलो किया?
और कैसे चल गई ?
आप लोग वीडियो देखते होंगे लगभग डेढ़ 2 साल से एक सज्जन वीडियो बना रहे हैं और बहुत से लोग उनको फॉलो कर रहे हैं। उन्हीं के फालोवर्स का कहना है कि जब से फालो किया तब से क्लीनिक चल गई। आखिर क्या बात है जो वह नई बताते हैं जिससे उनके फालोवर्स की क्लीनिक चल गई अच्छे रिजल्ट आने लगे आज हम इसी बात पर चर्चा करेंगे।
जब हम लोग स्टूडेंट लाइफ में मेडिकल पढ़ रहे थे उस समय कोई D का डायलूशन कोई नहीं जानता था और न हीं पुस्तकों में लिख करके आता था । केवल 1 : 47 के अनुपात का डायलूशन पढाया जाता था और वही पुस्तकों में लिखकर आता था धीमे धीमे समय बदला डायलूशनो का प्रसार हुआ और D का डायलूशन इलेक्ट्रो होम्योपैथी में छा गया । लोगों ने अपना गणित लगाया और कहने लगे केवल D4, D3, D2, D1 से ही प्रैक्टिस करनी चाहिए , लोगों ने उनकी बात को मानी और प्रैक्टिस करना शुरू किया परंतु नीचे डायलूशन होने के कारण रिजल्ट या तो कम मिलते थे या नहीं मिलते थे।
(इसका कारण यह था कि अज्ञानता के कारण जो लोग कुछ उच्य डायलूशनो का प्रयोग कर रहे थे वह भी D मे निम्न डायलूशनो में आ गए और प्रैक्टिस डाउन हो गई।)
इसमें कुछ लोग ऐसे भी थे जो होम्योपैथी के जानकार थे उन्होंने होम्योपैथी की तर्ज पर ऊचे डाइल्यूशन प्रयोग कर रिजल्ट देखें तो अच्छे रिजल्ट आए परंतु प्रतिस्पर्धा के कारण उन्होंने किसी को बताया नहीं अपने तक सीमित रखा। इस कारण जो छोटे-छोटे प्रैक्टिशनर थे उनकी क्लीनिक नहीं चल पाई और वह निराश होने लगे। धीमे धीमे सोशल मीडिया का प्रचार हुआ और लोग लेख व वीडियो बनाकर अपनी बात को प्रसारित करने लगे समय में परिवर्तन हुआ नेट सस्ता हो गया सभी के पास मोबाइल फोन उपलब्ध हो गया और लगभग 95% लोग सोशल मीडिया से जुड़ गए।
इलेक्ट्रो होम्योपैथी काम्प्लेक्स मेडिसिन |
1996 में जब मैंने डाइल्यूशन बनाना शुरू किया उस समय मेरा चैलेंज होता था कि होम्योपैथी के 30 नंबर से हमारी मेडिसिन के एक नंबर डायलूशन की तुलना की जा सकती है। 200 नंबर से तीन नं के डाइल्यूशन की तुलना की जा सकती है । उस समय मैं 1:49 के अनुपात से डाइल्यूशन बनाता था मेरे डायलूशन बहुत अच्छे रिजल्ट देते थे एलोपैथ के प्रैक्टिस में भी इस्तेमाल करते थे ।
उस समय सोशल मीडिया नहीं था इसलिए विचारों को दूर तक नहीं पहुंचाया जा सकता था आज सोशल मीडिया है तो विचार काफी दूर तक पहुंचाये जा सकते हैं।
जब 5ml, D3 की मेडिसिन 445 से मेल में डाली जाती है तो वह मेडिसिन का डायलॉलूशन काफी ऊंचा बन जाता है इसलिए वह मेडिसिन अच्छा रिजल्ट होती।
अब यहां समझने की बात है D3 की विस्कोसिटी 0.001, यानी D3 में 0.001भाग मेडिसिन है। 445 ml की विस्कोसिटी 0.011 हुई ।
दोनों की कुल विस्कोसिटी 0.001+ 0.011 = 0.012 हुई ।
इस प्रकार D3 को 445 ml में डालने पर जो अनुपात बनता है वह 1: 247 का बनता है अर्थात 247 भाग वहिकल में एक भाग मेडिसिन पड़ती है। इस प्रकार यह उच्च डायलूशन बनता है। इसी कारण वह पेशेंट को ज्यादा फायदा करता है। इसलिए फालोवर्स लोग कहते हैं जब से फॉलो किया तब से प्रैक्टिस चमक गई।
लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए इससे भी ऊंचे डाइल्यूशन बनते हैं उनके भी यह रिजल्ट देखे जाए तो काफी अच्छे प्राप्त होते हैं। जिन लोगों ने ऊचे डायलूशनो का प्रयोग कर रिजल्ट देखा है और इस गणित को समझ गए हैं वह अपनी क्लीनिक में ऊचे डायललूशन ही सजाकर रखते हैं। पिछले 1 महीने से हमारी मेडिसिन्स के उच्च डायल्यूशनों की डिमांड काफी बढ़ गई है।