ग्लास डायलूशन D डायलूशन की अपेक्षा अधिक लाभकारी है?
मैं इलेक्ट्रो होम्योपैथिक चिकित्सकों से सुनता हूं कि "मैं तो D3, D4 से ही चिकित्सा करता हूं इसके आगे प्रैक्टिस करना तो पोटेंसी का इस्तेमाल करना है। मैं कभी पोटेंसी को इस्तेमाल नहीं करता हूं, इस बात को सुनकर मुझे कुछ अजीब होता है और कुछ हंसी भी आती है। इलेक्ट्रोपैथी को भारत की जाये। इतना वक्त हो गया भी लोगों में कंफ्यूजन बना हुआ ।
अभी भी लोग डायलूशन और पुटैंसी में अंतर समझ रहे हैं । शायद यही कारण है इलेक्ट्रो होम्योपैथी को मान्यता मिलने में इतनी देर हो रही है । इसमें इनकी गलती नहीं है वास्तव में इन लोगों के पथ प्रदर्शकों की गलती है। Glass Method in Electro Homeopathy |
पथप्रदर्शक यदि सही रास्ते पर डाल देंगे तो फिर यह विद्वान हो जाएंगे उन्हें बार-बार उन्हें सलाम कौन करेगा ? कोई ऐसा फॉर्मूला, नुस्खा बता देते हैं जिसमें यह विचारे उल्झे रहते हैं और बाहर नहीं निकल पाते हैं ।
मैं एक छोटा सा उदाहरण देता हूं:----
लोग ओड फोर्स निकालने के बाद जब उसे पहली बार डायलूट करते हैं तो D1 बनता दूसरी बार करते हैं तो D2 तीसरी बार D3 बनता है। यह लोग इसे स्पेजिरिक कहते हैं (कुछ लोग तो यहीं कंफ्यूज रहते हैं)। वास्तव में डाइल्यूशन और पोटेंसी एक ही चीज होती है लेकिन कुछ लोग इन लोगों की बातों पर इतना विश्वास कर लेते हैं कि उसके आगे कुछ सुनना ही नहीं चाहते। हैं और उसी कुएं में घूमते रहते हैं।
जब कोई चीज डायलूट करके बनाई जाती है उसे ही डायलूशन कहते हैं जब उसमें कोई शक्ति जागृत हो जाती है तो उसे पोटेंसी कहते हैं यह मोटी बात है जो मैंने समझाया है डायलूशन जितना बढ़ता जाता है उसमें पोटेंशियल पावर बढ़ती जाती है।
डाइल्यूशन जितना ऊंचा प्रयोग किया जाएगा इतने अच्छे रिजल्ट मिलते हैं लेकिन रोग के अनुसार डाइल्यूशन का चुनाव होना चाहिए। किसी के बताने, किसी के फॉर्मूला देने से यह संभव नहीं होता है। यह लम्बी प्रैक्टिस में सेट होता है। चिकित्सकों की सुविधा के लिए डायलूशन विज्ञान में कई तरीके के डायलूशन विकसित किए गए हैं जिनमें कुछ तो काफी समय से प्रयोग किए जा रहे हैं और कुछ आधुनिक समय में विकसित किए गए हैं। जो अधिक सुग्राही और लाभकारी हैं।
आपने D, C, M, Mattie स्केल के डायालूशन सुना होगा । जिसमें पिछले 10 - 15 सालों से D स्केल काफी पॉपुलर हो चुका है।
इसमें डायलूशन के छोटे-छोटे टुकड़े 10 10 के रेंज में बनते हैं जैसे:-----
10×10×10×10×10×10-------------------
= 10,00000
यहां हम आपको बताना चाहते हैं कि 10 एक छोटी संख्या है जिसको 6 आपस में गुणा करने पर 10,00000 की संख्या प्राप्त हुई।
यानी गुणा करने की क्रिया अधिक बार करनी पड़ेगी क्योंकि संख्या छोटी है।
यदि हम 100 का प्रयोग करें तो:----
100×100×100----------------1,000,000
तीन बार में ही यह संख्या प्राप्त हो जाती है।
यदि हम 200 का प्रयोग करें तो:-----
200×200×200-------8,000,000
की संख्या प्राप्त होती जो पहली दो संख्याओं से 8 गुना बड़ी है।
यहां हम यह समझाना चाहते हैं की डायलूशन बनाने का स्केल जितनी बड़ा होगा डायलूशन उतना कम बनाना पड़ेगा और दवा अधिक प्रभाव कारी होगी ।
इसका यह मतलब नहीं है कि छोटे डायलूशन को प्रयोग न किया जाए , जब लोग यह कहते हैं कि अधिक डायलूशन रखने से दवाखाना एक दवा का स्टोर बन जाएगा यह कहना उनका सरासर गलत है और नासमझी भरी बात है। मात्र सौ पचास दबाए रख कर ही काम किया जा सकता है। जब आपको प्रैक्टिस करने का सही अंदाज हो जाएगा तब अधिक दवाओं की आवश्यकता नहीं होती है।
G स्केल आपको जिसके से परिचित कराते हैं
इस स्केल को ही ग्लास स्केल कहते हैं। मोस्टली ग्लास की नाप 180ml मानी जाती है इसलिए इसे ग्लास का नाम दिया गया है। हमने कैलकुलेशन की सुविधा के लिए 180 ml को 200 ml मान लिया है।
लोगों के अनुसार 30 नंबर की एक ग्लोबूल को मेडिसिन में डिप करले और 180ml डिस्टल वाटर में घोल लें आप उससे 5ml घोल निकालकर दूसरे 180 ml में डाल दें यह दूसरा डाइल्यूशन बना इसी तरीके से तीसरा डायलूशन और आगे बनाते जाते हैं।
यह पुरानी विधि है और एक प्रकार से अवैज्ञानिक विधि है हमने इसमें कुछ संशोधन कर दिया है जो निम्न प्रकार से है:----
आप एक सिरिंज से 0.0025ml मेडिसिन निकाल ले से 200ml डिस्टिल वाटर या (any vehicle) में डालकर ठीक से हिला दे। यह DCS बना। इसके बाद इस DCS से 0.0025 ml लें और 200 ml में डालें हिलाएं यह पहला डायलूशन बना इसके बाद दूसरा तीसरा और आगे बनाते जाए। इस अवसर की औषधीय गुणवत्ता बहुत अधिक होती है पुराने जटिल और तुरंत लाभ पाने के लिए इसी का प्रयोग करना चाहिए।
नोट- इससे भी अधिक लाभकारी डायलूशन मौजूद है लेकिन संख्या में कम यही सबसे उपयुक्त है।