आज की पोस्ट मैं हाइपोथायरायडिज्म के विषय में चर्चा की जाएगी।
Eelctro Homeopathy treatment of hypothyroidism diagnosis
हाइपोथायरायडिज्म क्या है? लक्षण, कारण, निदान
इलेक्ट्रो होम्योपैथी में हाइपोथायरायडिज्म की चिकित्सा
हमारे टेलीग्राम ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें....।
हमारे व्हाट्सएप्प ग्रुप में शामिल होने के लिए यहाँ क्लिक करें:
CLICK HERE
CLICK HERE
हमारे गर्दन में स्थित अंतःस्रावी ग्रंथि जो अन्य बड़ी ग्रंथि में से एक है इस ग्रंथि को थायराइड के नाम से जानते हैं थायराइड ग्रंथि, थायराइड हार्मोन को बनाने का कार्य करती है। हाइपोथायरायडिज्म उस अवस्था को कहते हैं जब थायराइड ग्रंथि के द्वारा पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन का उत्पादन नहीं होता है।
ऐसे में थायराइड हारमोंस की कमी होने लगती है। थाइराइड हार्मोन की कमी का प्रभाव पूरे शरीर पर होता है। पिट्यूटरी ग्रंथि थायराइड ग्रंथि के कार्य को नियंत्रित करती है। हमारे शरीर में हार्मोन को सभी जगह भेजने में पिट्यूटरी ग्लैंड का योगदान होता है। पिट्यूटरी ग्लैंड थायराइड हार्मोन को रक्त के प्रवाह के द्वारा पूरे शरीर में पहुंचाती है। हारमोंस का प्रभाव धीरे-धीरे सभी भागों पर पड़ता है यहां तक कि इसमें त्वचा मांसपेशियां दिल दिमाग भी शामिल है।
हमारे शरीर में मेटाबॉलिज्म को सही रखने में थायराइड का विशेष योगदान है इस समस्या का प्रभाव धीरे-धीरे शरीर पर पड़ता है यह समस्या महिलाओं में बच्चों को जन्म देने के 1 वर्ष के अंदर हो सकती है।
बच्चों को भी यह समस्या हो सकती है बच्चों में अगर थायराइड की कमी होती है तो इसका उन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है बच्चों के विकास में अवरोध उत्पन्न हो जाता है क्योंकि थायराइड के हार्मोन मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करते हैं मेटाबॉलिक सिस्टम में गड़बड़ी के बाद बच्चों में कमजोरी, थकान, वजन वृद्धि, अवसाद व चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि ऐसा बहुत कम होता है।
हाइपोथायरायडिज्म के कारण Causes of Hyperthyroidism
यह रोग पुरुषों और बच्चों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा देखा जाता है एवं इसका जोखिम उनकी उम्र के साथ बढ़ जाता है।
हाइपोथायरायडिज्म के कुछ सामान्य कारण निम्नलिखित हैं-
पिट्यूटरी ग्लैंड का रोग या हाइपोथैलेमस रोग― पिट्यूटरी ग्लैंड जब किसी कारण से थायराइड ग्रंथि को अपना संकेत नहीं दे पाती और थायराइड ग्लैंड हारमोंस को बनाने लगती है तो T3 व T4 की मात्रा कम होने लगती है, भले ही थायराइड ग्रंथि सामान्य क्यों ना हो। अगर थायराइड पर यह प्रभाव पिट्यूटरी ग्लैंड के रोगों के कारण पड़ता है तो इसे सेकेंडरी हाइपोथायरायडिज्म कहते हैं। अगर यह प्रभाव हाइपोथैलेमस रोग के रोगों के कारण होता है तो इसे तृतीयक हाइपोथायरायडिज्म कहते हैं।
आयोडीन की कमी― दुनिया के उन सभी क्षेत्रों में हाइपोथायरायडिज्म देखा जाता है जहां के आहार में आयोडीन की कमी पाई जाती है ऐसे क्षेत्रों में सप्लाई होने वाले नमक और आटे में आयोडीन की मात्रा बढ़ा दी जाती है भारत में जैसे हिमालयी क्षेत्र
पिट्यूटरी ग्लैंड में जख्म― जब मस्तिष्क की सर्जरी या किसी अन्य कारण से पिट्यूटरी में रक्त की आपूर्ति में कमी आ जाती है तो थायराइड ग्लैंड पिट्यूटरी के नियंत्रण से बाहर हो जाती है परिणाम स्वरूप रक्त में TSH की मात्रा में कमी आ जाती है जिस कारण से हाइपोथायरायडिज्म हो जाता है
ग्रेव्स डिजीज के कारण (पढ़े: ग्रेव्स डिसीज क्या है
हाशिमोतो थाइरॉएडाइटिस के कारण (पढ़े: गोइटर क्या है
लिंफोसाइटिक थाइरोडिटिस– जब एक विशेष सफेद रंग का रक्त कण के द्वारा थायराइड में सूजन आ जाती है तो इसे लिंफोसाइटिक थाइरोडिटिस कहते हैं।
दवाओं के कारण– कई ऐसी दवाओं के कारण हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है जिन दवाओं में अधिक मात्रा में आयोडीन होता है ऐसी दवाओं के कारण थायराइड ग्रंथि की कार्यशैली में बदलाव आ जाता है। जिसके कारण थायराइड हार्मोन्स लेवल कम हो सकता है।
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण hypothyroidism symptoms in hindi
हाइपोथायरायडिज्म का मुख्य लक्षण थायराइड हार्मोन की कमी पर आधारित होते हैं।
हृदय गति सुस्त पड़ना
स्मरण शक्ति कमजोर होना
बाल झड़ना
थकान
वजन बढ़ना
मांसपेशियों में दर्द , जकड़न
जोड़ों में दर्द व अकड़न
अवसाद
खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा पढ़ना
ज्यादा ठंड महसूस होना
आवाज बैठ जाना
मासिक धर्म में अनियमितता
शुष्क त्वचा
hypothyroidism symptoms in females
हाइपोथायरायडिज्म की जांच hypothyroidism diagnosis–
थायरोक्सिन की जांच
TSH लेवल की जानकारी के लिए TSH टेस्ट
हाइपोथायरायडिज्म की इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा
आइये अब जानते है Hypothyroidism treatment in Electro homeopathy में कि इस चिकत्सा पध्दति में Electro homeopathy medicine की सहायता से इसका उपचार किया जाएगा।
S1 + C1 + BE― D6 दिन में 3 बार
S2 + C3 + L1 + A3 + YE― D5 दिन में 3 बार