इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिसिन की प्रूविंग
इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधियां कोहोबेशन द्वारा तैयार की जाती है जिसमें स्पेजिरिक (पौधार्क / प्लांट एक्सट्रैक्ट्स ) को फिल्टर कर उसके अंदर से एल्कलाइड को निकाल दिया जाता है ।
एल्केलाइड एक ऐसा मुख्य तत्व है जो स्वस्थ और रोगी दोनों पर काम करता है। होम्योपैथिक औषधियों की प्रूविंग स्वस्थ शरीर पर जाती है। होम्योपैथिक सिद्धांत के अनुसार है यदि स्वस्थ शरीर मैं कोई औषधि डाली जाए और वह शरीर में कोई लक्षण उत्पन्न कर दे तो उसी औषधि का दूसरा डाइल्यूशन देने से उन लक्षणों का शमन हो जाता है । अर्थात होम्योपैथी स्वस्थ शरीर पर काम करती है क्योंकि होम्योपैथिक औषधियों में एल्केलाइड होते है
लेकिन इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधियों में पौधों के एल्केलाइड कोहोबेशन विधि से निकाल दिये जाते हैं। इसलिए वे स्वस्थ शरीर पर काम नहीं करते बल्कि केवल रोगी शरीर पर काम करती हैं ।
हमारे पास बहुत से लोगों को फोन काल आए हैं जिसमें लोगों ने पूछा है कि दवाइयां एग्रीवेट क्यों करती है ? सीधा सा कारण है जो दवाइयां प्रयोग की जा रही हैं उनमें एल्केलाइड है जब हम एल्केलाइड (एल्कलाइन युक्त औषधि ) शरीर में डालते हैं और रोग के अनुकूल एल्केलाइड का नंबर डायलूशन नहीं होता तो औषधि एग्रीवेट कर जाती है या औषधि बराबर हम लेते रहे और उसके अनुकूल कोई रोग नहीं था तो वह शरीर में कोई एक लक्षण उत्पन्न कर देती है उस लक्षण को हालाकी उसी औषधि के अन्य डायलूसन से ठीक किया जा सकता है । कोहोबेशन विधि से तैयार औषधि में ऐसा नहीं होता क्योंकि उसमें एल्केलाइड होता ही नहीं है।
इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधियों मैं कोहोबेशन विधि से जब एल्केलाइड निकाल देते हैं तो उसमें केवल वही पदार्थ शेष होते हैं जो केवल रोगी शरीर पर काम करते हैं। इसलिए जब औषधि शरीर के अंदर डाली जाती है तो यदि रोग होगा तो औषधि काम करेगी और यदि शरीर में कोई रोग नहीं होगा है तो वह औषधि शरीर में ही न्यूट्रल हो जाएगी शरीर पर किसी तरीके का एग्रीवेशन नहीं करेगी।
संक्षेप मे यही इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधियों की प्रूविंग है कि वे कभी एग्रीवेट नहीं करती है। वे केवल रोगी शरीर पर काम करती हैं जो औषधियां एग्रीवेट करती हैं और स्वस्थ शरीर पर थी लक्षण उत्पन्न कर देती हैं उन्हें इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधियां नहीं कहा जा सकता है।
क्रमशः