टाइफाइड बीमारी में इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा Electro Homeopathy treatment of Typhoid disease

टाइफाइड बीमारी में इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा Electro Homeopathy treatment of Typhoid disease
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टाइफाइड बीमारी में इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा Electro Homeopathy treatment of Typhoid disease

Electro Homeopathy treatment of Typhoid disease
टाइफाइड में इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा

मौसम के बदलाव के साथ कई प्रकार की हानिकारी वायरस, बैक्टीरिया उनके इस प्रतिकूल वातावरण में जन्म ले लेते हैं। जिनके कारण आम सर्दी-जुकाम, बुखार, वायरल के साथ जो बीमारी इस समय  देखने में आती है। वह है, टाइफाइड। इस बीमारी का मुख्य कारक साल्मोनेला टायफी (Salmonella typhi) या एस टायफी नामक बैक्टीरिया है।

दुनिया भर में इस बीमारी से लोग ग्रसित होते हैं। भारत में भी यह बीमारी आम है। यहां इसे मोतीझरा या मियादी बुखार के नाम से भी जाना जाता है। समय रहते ही इसका उपचार ना होने पर यह प्राणघातक  हो सकता है।

टाइफाइड रोग का जिम्मेदार बैक्टीरिया मुंह के माध्यम से शरीर मे प्रवेश करता है और 1 से 3 सप्ताह तक आंत में रहता है, इसके बाद आंतों की दीवार के माध्यम से ब्लड में प्रवेश कर जाता है। रक्त प्रवाह से यह अन्य ऊतकों और अंगों में फैल जाता है। 

मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली इससे लड़ने में बहुत अहम भूमिका निभाती है। बैक्टीरिया के संपर्क में आने के 6 से 30 दिनों में लक्षण दिखना शुरू होते हैं।

टाइफाइड रोग की पहचान के लिए जांच

 - टाइफाइड में रोगी के रक्त का नमूना एक किट में डालकर जांच की जाती हैं। इसका परिणाम अगर सकारात्मक आता तो इसका इलाज किया जाता है। इस टेस्ट को टाइफाइड टेस्ट कहते हैं।

- टाइफाइड बीमारी के प्रथम सप्ताह में रक्त इस बुखार के बैक्टीरिया की मौजूदगी की जांच के लिए कल्चर टेस्ट किया जाता हैं।

 - स्टूल कल्चर टेस्ट रोगी के मल में इस बुखार के बैक्टीरिया की मौजूदगी की जांच करने के लिए किया जाता हैं।

 - वीडाल टेस्ट (Widal) में रोगी व्यक्ति के रक्त की जांच की जाती हैं। इसमें O और H एंटीजन में 180 से ज्यादा अनुपात आने पर इस बुखार का निदान किया जाता है।

 - पीड़ित व्यक्ति के पेट में अधिक दर्द और उल्टी होने पर आंतो में अल्सर का निदान करने हेतु सोनोग्राफी एक्सरे की जांच की जाती हैं।

टाइफाइड बुखार के लक्षण

● टाइफाइड बुखार धीरे-धीरे बढ़ते हुए 104 डिग्री तक बढ़ जाता है और दिन भर कम ज्यादा होता रहता है।

● शरीर में दाने निकल आते हैं, हालांकि जरूरी नहीं है कि दाने नजर आए लेकिन गर्दन और पीठ पर गुलाबी धब्बों के रूप में नजर आते हैं।

● शरीर कमजोर हो जाता है कमजोरी महसूस होने लगती है।

● हल्का पेट दर्द भी होता है।

● कब्ज रहती है।

● सिर दर्द रहता है।

टाइफाइड के मरीज को क्या खाना चाहिए?

 - टाइफाइड के रोगी को उबले पानी,

 - गाय के दूध और बकरी का दूध

 - नारियल पानी

 - सेब, मौसंबी, अनार ,पपीता, आदि रसीले फल

 - मुनक्का दलिया ,चावल , मूंग की दाल की पतली खिचड़ी 

 - उबली हुई मूंग दाल और चपाती 

 - हरी सब्जी का सेवन करना चाहिए 

परहेज

● पानी में बर्फ का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।

● हर का पानी नहीं पीना चाहिए यदि पानी साफ नहीं है तो उसे उबाल कर पीना चाहिए।

● भारी भोजन नहीं करना चाहिए जैसे दाल बाटी हलवा पूरी मालपुआ ।

● फास्ट फूड का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।

● नॉनवेज से भी दूर रहना चाहिए।


इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में टाइफाइड की चिकित्सा

F1+C1+A1― 3rd डायलूसन दिन 4 बार

S2 ― 2nd after meal 

F2+C5+WE ― Compress On Hypochondria & Forehead

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