इलेक्ट्रो होम्योपैथी का प्रचार प्रसार
इलेक्ट्रो होम्योपैथी का प्रचार प्रसार |
काउन्ट सीजर मैटी ने इलेक्ट्रो होम्यो पैथी का सिद्धांत 1865 ई में स्थापित किया था । जब तक वे जीवित रहे तब तक पैथी के लिए कुछ न कुछ करते रहे । मैटी ने कितनी दवाएं बनाई है इसका कुछ लिखित वर्णन नहीं मिलता है ? अलग-अलग पुस्तकों में अलग-अलग वर्णन मिलता है।
मैटी ने अपने जीवन काल में बहुत सारे रोगियों को ठीक किया था इसका सबसे बड़ा प्रमाण रोम का सेन थेरेसा हॉस्पिटल है। जिस की वार्षिक रिपोर्ट में बोलोग्ना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पासक्युसी एम .डी. ने लिखा है
कि मैटी की दवाएं परीक्षण मे बहुत कारगर साबित हूई हैं । यह उस समय का एक माना हुआ सरकारी हॉस्पिटल था । जिसमें मैटी ने अपनी दवाओं का सरकारी तौर पर परीक्षण किया था ।
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भारत मे इलेक्ट्रो होम्योपैथी का प्रचार
मैटी के जीवन काल में ही यूरोपीय देशों में इलेक्ट्रो होम्यो पैथी फैल चुकी थी और भारत में भी पैर बढाने लगी थी । डॉक्टर फादर मूलर के हॉस्पिटल में काउन्ट सीजर मैटी आए थे और वहां पर ढाई हजार रुपए दान में दिए थे । जिसका स्टोन हॉस्पिटल में लगा हुआ है।
इसी तरह राधामाधव हलधर सबसे पहले इलेक्ट्रो होम्यो पैथी को भारत में लाए थे । इसके बाद एन. एल. सिन्हा, एस. पी. श्रीवास्तव, वी. एम. कुलकर्णी और बहुत सारे लोग हो गए हैं जो इलेक्ट्रो होम्यो पैथी पर बड़ा काम किया हैं । इस पैथी पर बहुत सा लिटरेचर भी लिखा गया है लेकिन दुख की बात यह है जितनी पुस्तकें हैं उतनी बातें हैं । सब के अलग - अलग सिद्धांत हैं सबके अलग - अलग मत है। आज तक कोई एक मत नहीं हो सका है ।
कई लोगों ने इस बात का दावा किया कि औषधि बनाने का मैटी ने फार्मूला मुझे दिया है। परंतु बाद में उनकी कलाई खुल गई। कुछ लोगों ने कहा कि मैटी की लिखी हुई पुस्तक मेरे यहां हैं लेकिन यह भी सच नहीं है क्योंकि मैटी ने कोई पुस्तक नहीं लिखी थी। उन्होंने इसे एक सीक्रेट रिमेडी की तरह रखा था । उन्होंने दवाओं का तो प्रचार किया था उसके औषधीय गुण लोगों को बताया था पर उसके फार्मूले किसी को नहीं बताया था ।
प्रथम विश्व युद्ध प्रारंभ होने पर 1914 ईस्वी में ( काउंट सीजर मैटी के दामाद एम .वी मैटी ) ने इलेक्ट्रो होम्योपैथी के फार्मूले प्रकाशित JSO (ISO) के माध्यम से प्रकासित किया था । इसके बाद 1914 से ही इलेक्ट्रो होम्यो पैथी की दवाएं बोलोग्ना में न बन कर जर्मनी में बनने लगी थी ।
इलेक्ट्रो होम्योपैथी पैथी भारत में ही नहीं लंका ,अफगानिस्तान, पाकिस्तान ,जापान, जर्मनी , इटली ,फ्रांस, स्वीडन रूस आदि अनेक देशों में फैली हुई है। मैटी के समय में ही इलेक्ट्रो होम्योपैथिक दवाओं की मांग बहुत तेजी से बढ़ गई थी । जिसे पूरी करना बहुत कठिन हो रहा था । तब काउन्ट सीजर मैटी के दामाद ने दवा बनाने का अधिकार जर्मन के डॉक्टर थूडर क्रास को दे दिया था तब से दवाई जर्मनी में बनने लगी और वही से विश्व भर में भेजी जाने लगी ।
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पोस्ट कर्ता ने January 1993 में l S O -Werk Regens Burg Germany को एक लेटर लिखा था । जिसमे वहां से दवाएं मंगाने के विषय में जानकारी मांगी थी । जिसके जवाब मे एक "The Jso - Complex- Mode of Medical Treatment and it's Medicaments" नामक छोटी पुस्तक और एक इन्फार्मेशन आई थी कि "हम 50,000 /(कन्वरटेड मूल्य ) 5.000 DM से कम की दवाएं नहीं भेज पाएंगे " प्रत्येक Order 5.000 DM का होगा , आई थी । इसका मतलब है कि 1993 तक वहां दवाइयां तैयार हो रही थी ।
पोस्ट करता 1993 से लगातार इलेक्ट्रो होम्यो पैथी पर काम कर रहा है। जिसके परिणाम में ओडफोर्स, कोहोबेशन ,स्पेजिरिक, एसेन्स, डायलूशन , इलेक्ट्रिक सिटी, औषधियों की संख्या, पौधों की संख्या, इलेक्ट्रो होम्यो पैथी में प्रयोग होने वाला औषधीय तत्व आदि पर होने वाले समस्त विवादों का हल मिल चुका है । साथ ही उन तमाम प्रश्नों के उत्तर प्राप्त हो गए हैं जो अक्सर इलेक्ट्रो होम्योपैथी जगत में किए जाते हैं और उनके उत्तर नहीं मिल पाते हैं।
नोट---
(1) लेखक अपने हिसाब से समझता है कि वह समस्त प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर चुका है लेकिन प्रश्न अनेक होते हैं यदि किसी को कोई प्रश्न पूछना हो तो पूछ सकता है ( केवल संबंधित लेख पर ) शायद वह प्रश्न मेरे लिए नया हो और मैं उसका उत्तर ढूंढने में सफल हो सकूं।
(2) भारत में भी कुछ लोगों ने जेसो के नाम से मिलती जुलती नाम से कंपनियां बना रखी है जो लोगों को गुमराह करने का काम करती हैं।
(3) पोस्ट कर्ता किसी भी प्रकार से अपने को विद्वान नहीं साबित करता है लेकिन यह अवश्य साबित करता है कि उसके द्वारा तैयार की गई औषधियां इलेक्ट्रो होम्योपैथिक ही हैं । इन औषधियों को वह इलेक्ट्रो होम्यो पैथिक औषधियां सिद्ध कर सकता है।
(4) पोस्ट कर्ता इस बात का भी विश्वास दिलाना चाहता है कि वह जिस प्रकार से औषधियां तैयार करता है। 100% प्रतिशत वही लिख रहा है।
(5) पोस्ट कर्ता 2012 तक औषधियां तैयार करता था अब वह किसी प्रकार की औषधियां नहीं तैयार करता है। केवल मार्गदर्शन करता है।