भेषजवह ,औषधि वाहक ,Vehicles
उन अधिकतम औषधीय गुण विहीन एवं उदासीन पदार्थों को ,जो औषधि के औषधीय गुणों को अपने में समाहित (Absorb) करके, अपनी तथा औषधियों की संरचना (Composition) एवं औषधीय गुण (Medical properties) को , कम से कम प्रभावित करते हुए , औषधियों को अधिकतम समय तक लगभग यथावत सुरक्षित रखने की सामर्थ रखते हैं । वह भेषजवह (Vehicles) कह कहलाते हैं।
इलेक्ट्रो होम्योपैथिक फार्मेसी के अंतर्गत आने वाले वही कल ही निम्नलिखित विशेषताएं होती है:---
(1) वेहिकल के औषधि गुण न्यूनतम होनी चाहिए।
(2) वहिकल अधिक से अधिक उदासीन होना चाहिए।
(3) वहिकल उत्तम घोलक होना चाहिए।
(4) वहिकल सामान्य ताप और दाब पर सुरक्षित रहना चाहिए।
(5) वहिकल सुगमता से सुलभ होना चाहिए ।
Classifications of Vehicle
इलेक्ट्रो होम्योपैथिक भेषजवह का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है :----
(1) ठोस (Solid)
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इसे कई भागों में बांटा जा सकता है जैसे:----
(1) गन्ने की शकर sugar of cane
(2) दूध की शकर sugar of milk
(3) अंगूर की शकर या ग्लूकोज़
(4) गोलियां--- गोलियां मुख्यता तीन प्रकार की होती हैं:
- 20 नंबर ,
- 30 नंबर ,
- 40 नंबर
(5) टैबलेट्स -----इन्हें डिस्केट कहा जाता है यह कई साइज में आती है चिकित्सक अपनी सुविधा अनुसार इनका प्रयोग करते हैं। यह वजन के हिसाब से तैयार की जाती है ।
(6) पाउडर
(7) अन्य उपयुक्त ठोस पदार्थ
(2) अर्धठोस (Semisolid)
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इसके मुख्यता 3 भाग होते हैं:-----
(1) मोम ------
(2) वैसलीन (पेट्रोलियम जेली)
(3) अन्य वे पदार्थ जो औषधि बनाने का Vehicle बन सके
(3) द्रव (Liquid)
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इसे कई भागों में बांटा जा सकता है:------
(1) एल्कोहल---- एल्कोहल मुख्यतः दो प्रकार प्रकार का होता है। औषध बनाने में इथाईल एल्कोहल ही प्रयोग किया जाता है। मिथाइल एल्कोहल औषधि में प्रयोग नहीं होता है । इथाईल एल्कोहल में खुशबू तीखी नहीं होती है जबकि मिथाइल अल्कोहल में खुशबू बहुत तीखी होती है । मेथाईल एल्कोहल वह लाल रंग के प्रकाश के साथ जलता है। जबकि इथाइल एल्कोहल नीले प्रकाश के साथ जलता है।
(2) डिस्टिल वाटर----- यह मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है ।
( A ) साल्ट रहित डिस्टिल वाटर
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यह डिस्टिल्ड वाटर बैटरी में प्रयोग किया जाता है औषधियों में प्रयोग नहीं करते है।
(B) आयरन युक्त डिस्टल वाटर
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इस डिस्टल वाटर से कैल्शियम मैग्नीशियम के साल्ट निकाल दिए जाते हैं लेकिन आयरन नहीं निकाला जाता है । जिससे पानी टेस्टी बना रहता है । इसे औषधियों में सीरप बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। कैल्शियम मैग्नीशियम के साल्ट न होने के कारण सीरप अपने स्थान पर शीशी में लेयर नहीं बनाता है।
(3) साल्ट व जीवाणु रहित वाष्पित डिस्टिलवाटर
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इस प्रकार का डिस्टिल वाटर मशीनों से तैयार कर पैक किया जाता है । यह एम्पुल के अंदर बंद होता है । इस प्रकार के डिस्टल वाटर से वे दवाएं तैयार की जाती हैं जो बहुत शुध्द रूप में प्रयोग की जाती है जैसे आंख में डालने की ड्रॉप ।
(4) ग्लिसरीन
(5) सिरप -----आजकल बाजार में कई तरह के सीरप उपलब्ध हैं जिनमें औषधियां डालकर लोग प्रयोग करते हैं।
(A) कैन शुगर का सीरप
----------------------- आधुनिक समय में यह सीरप अच्छा नहीं माना जाता क्योंकि इस सीरप में बहुत अच्छी सफाई नहीं हो पाती है । अधिकतर लोग डायबिटीज के पेशेंट होते हैं जिन्हें यह सीरप नहीं दिया जा सकता है ।
(B) लिक्विड ग्लूकोस का सीरप
--------------------------------- कैन शुगर सीरप की अपेक्षा यह सिरप ज्यादा साफ और चमकदार होता है और कम मीठा होता है लेकिन इसे भी डायबिटीज के पेशेंट को नहीं दिया जा सकता है।
(C) सॉर्बिटोल का सीरप
------------------------- सॉर्बिटाल का सीरप पहले दोनों सीरप की अपेक्षा ज्यादा मीठा
टेस्टी और साफ होता है लेकिन यह शुगर के पेशेंट को कुछ हद तक दिया जा सकता है।
(6) पैराफीन
(7) वनस्पति तेल
----------------- Vehicle के रूप में कई प्रकार के वनस्पतिक तेलों का प्रयोग किया जाता है जो जिस औषधि के लिए अनुकूल हो। जैसे सरसों का तेल, बिनौले का तेल , नीम का तेल , अंडी का तेल , तुबरक का तेल, धूप का तेल , नारियल का तेल बाकुची का तेल , तिल का तेल, बदाम का तेल, जैतून का तेल, चंदन का तेल अलसी का तेल , महुआ का तेल आदि अनेक तेल है।
(8) सोर्बीटाल
(9) लिक्विड ग्लूकोस
(10) व्हाइट आयल (लाइट पैट्रोलियम जेली)
(10)अन्य उपयुक्त द्रव