कोरोना वायरस और हमारी जिम्मेदारी
इतिहास के अनुसार है लगभग 100 वर्षो में कोई ऐसी बीमारी आती है जिसमें बहुत सारे लोग प्रभावित हो जाते हैं।
अभी 2019 में कोरोनावायरस सक्रिय हो गया और दुनिया के लगभग सभी देशों को अपनी चपेट में ले लिया। जिसमें लाखों लोग मारे गए एक बार ऐसा लगा कि कोरोनावायरस से लोगों को मुक्ति मिल गई। लोगों ने ढिलाई दे दी और कोरोना की दूसरी वेब आई जो पहली है ज्यादा शक्ति शाली थी और लोगों को अपनी चपेट में ले लिया।
आज कोरोनावायरस बढनें के अनेक ऐसे कारण है। जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि इन पर ध्यान नहीं दिया गया तो निश्चित है कि स्थिति और भी भयावह हो सकती है।
(1) सोशल मीडिया पर अधूरा ज्ञान बाटना और लोगों का उस पर विश्वास करना।
(2) सुने सुनाये आधार पर स्वयं चिकित्सा करना ।
(3) नेताओं द्वारा वैक्सीन का विरोध करने के कारण उनके फॉलोअर्स का वैक्सीन न लगवाना ।
(4) वैक्सीन के प्रति दुष्प्रचार करना।
(5) बदनामी के डर से बीमारी को छुपा लेना।
(6) सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइन का पालन न करना।
(7) विभिन्न तर्को के आधार पर सोशल मीडिया पर पोस्टे डालना और लोगों को गुमराह करना।
(8) अनक्वालिफाइड चिकित्सकों द्वारा ट्रीटमेंट व सलाह देना।
(9) समय रहते सरकारी चिकित्सालय न जाना सोशल मीडिया तथा सुने सुने आधार पर चिकित्सा करते रहना।
(10) सरकारी हॉस्पिटल की चिकित्सा का दुष्प्रचार करना ।
(11) अपनी औषधियों बेचने व प्रचार करने के लिए लोगों को गुमराह करना।
(12) कोरोना के प्रति सरकारी संसाधनो की जानकारी न होना ।
(13) कोरोना की आड़ लेकर सरकार पर निशाना साधना ।
कोरोना के संभावित प्रमुख लक्षण
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(1) खांसी जुकाम बुखार के लक्षण आना।
(2) खाने का टेस्ट न मिलना ।
(3) किसी प्रकार की गंध न मिलना।
(4) ऑक्सीजन की लेवल का गिरना ।
(5) थकान महसूस होना ।
(6) उल्टी मचली होना।
(7) सर दर्द व डायरिया होना।
(8) सांस लेने में दिक्कत होना
(9) फेफड़े टाइट हो जाने के कारण सीने में दर्द वह सांस न खींच पाना।
(10) चलने में दिक्कत होना।
(11) डाइट कम हो जाना।
(12) कभी-कभी कोई लक्षण नहीं भी महसूस होते हैं फिर भी रिपोर्ट पोजिटिव जाती है।
कोरोना के मरीजों लिए सरकार की सहूलते
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आज आम लोगों के दिमाग में एक धारणा बन गई है कि सरकार खोखले वादे करती है और करती कुछ नहीं इसलिए वह सरकारी योजनाओं को न जानना चाहता है और न उस पर विश्वास करना चाहता है। इसलिए सरकारी योजनाओं से वह दूर रहते है।
(1) सरकार के प्रत्येक हॉस्पिटल में कोरोना का ट्रीटमेंट फ्री किया जाता है किसी प्रकार का कोई पैसा नहीं देना पड़ता है।
(2) सरकार भर्ती हुए मरीजों को खाना भी देती है जिसका कोई पैसा नहीं पडता है।
यदि भर्ती हुए मरीज की अस्पताल में ही इलाज के दौरान मृत्यु हो जाती है तो सरकार उसके अंतिम संस्कार तक का खर्चा स्वयं उठाती है।
सरकारी अस्पतालों में मृतकों की संख्या अधिक होती है
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जब कोई बीमार होता है तो सबसे पहले वह घर में ट्रीटमेंट करता है। जब वह ठीक नहीं होता है तो आसपास के लोगों से पूछ कर अपना इलाज करता है। जब वहां भी ठीक नहीं होता तो पास पड़ोस के डॉक्टर के पास जाता है। जब वहां भी नहीं ठीक होता तब वह कोरोना टेस्ट करवाता है। पाजिटिव होने पर वह अस्पताल जाता है। तब तक काफी देर हो जाती है करोना काफी मात्र में अपना प्रभाव जमा लेता है अर्थात CT वैल्यू कम हो जाती है। ऐसी स्थिति में चिकित्सा करना चिकित्सक के लिए आसान नहीं होता है। लिहाजा रिजल्ट अच्छे नहीं मिलते है।
मरीजों को अस्पताल में भर्ती न मिलना
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प्रत्येक हॉस्पिटल में सीमित संख्या में डॉक्टर नर्स और संसाधन होते ऐसी स्थिति में गंभीर मरीज को छोड़ा नहीं जा सकता है । इसलिया जो नए मरीज आते हैं उनको भर्ती नहीं किया जाता और वे भटकते रहते हैं।
उपाय
(1) थोड़े से लक्षण दिखाई देने पर तुरंत अपनी दवा न कर क्वालिफाइड डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
(2) बिना झिझक कोरोना टेस्ट करवाना चाहिए ।
(3) बदनामी से नहीं डरना चाहिए क्योंकि बीमारी की किसी को भी हो सकती है। इसमें किसी प्रकार की कोई बदनामी नहीं होती है।
(4) सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइन का पालन करना चाहिए।
क्या सरकार केवल हमारे लिए गाइडलाइन बनाती है
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कभी-कभी ऐसा लगता है कि सरकार ही कोरोनावायरस फैला रही है और हमारे लिए गाइडलाइन बनाती है ऐसी स्थिति में लोग तरह-तरह की बातें करते हैं। यहां ध्यान देने की बात यह है कि कुछ चीजें ऐसी होती है जो रोकी नहीं जा सकती है। एक बार उनकी यदि शुरुआत हो गई तो करना ही है और फिर वह सरकार के हाथ में भी नहीं होती है । उसका नियंत्रण किसी दूसरे के हाथ में होता है।
उदाहरण के लिए अभी चुनाव चल रहे हैं लोगों का कहना है कि इतनी बड़ी बड़ी रैलियां हो रही है । क्या उनसे कोरोना नहीं फैलता है। हमारे लिए लॉक डाउन मांस्क आदि तमाम बंदिश लगाई जाती है। सरकार ऐसा क्यों नहीं करती है । बात सही है लेकिन जिस समय चुनाव की घोषणा की गई थी। उस समय कोरोनावायरस कम था । चुनाव , चुनावआयोग के अंडर में होता है । वह जैसा कहेगा वैसा ही पार्टियों को करना पड़ेगा । चुनाव आयोग की भी अपनी मजबूरी होती है उसे भी संविधान के दायरे में रहकर चुनाव कराना पड़ता है।
धर्म का काम
किसी के जीवन को बचाना संसार में सबसे बड़ा धर्म माना जाता है। यदि हमारा जीवन खतरे में है और हम से दूसरे को खतरा हो सकता है। तो हम दूसरे को अपने जीवन से खतरा न बनने दें। यह सबसे बड़ा धर्म है और इसके लिए हमें उन सारे साधनों को अपनाना चाहिए जिससे कोरोनावायरस हम से दूसरे को न लगने पाए ।
नोट:---
(1) यदि समय रहते लोग हॉस्पिटल पहुंच जाते हैं तो ऑक्सीजन जैसी गंभीर समस्याओं से बच जाएंगे और शीघ्रता से ठीक होकर वापस आ जाएंगे।
(2) प्रभावशाली लोगों को चिकित्सक के ऊपर दबाव नहीं बनाना चाहिए ताकि सभी को आसानी से सुविधा मिल सके।
(3) आम लोगों की शिकायत होती है कि अस्पताल में भर्ती होने के बाद मरीज का कोई हाल नहीं पता चलता है। इसके लिए सरकार को चाहिए कि सीसीटीवी कैमरा लगाए ताकि अपने मरीज की स्थिति घर वाले बाहर उसे देख सके ।
(4) जब डॉक्टर के ऊपर भरोसा कर मरीज को अस्पताल में भर्ती किया है। तो सीसीटीवी को देख कर डॉक्टर के ऊपर इल्जाम नहीं लगाना चाहिए। शायद इसी इल्जाम के डर से सरकार ने ऐसी व्यवस्था को नहीं की है नहीं तो इसमें कोई बडा खर्चा नहीं होता है।
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Dr Ashok Kumar Maury, Lucknow