Electro Homeopathy Medicine ड्रग्स, मेडिसिन तथा रिमेडी में अंतर

Please wait 0 seconds...
Scroll Down and click on Go to Link for destination
Congrats! Link is Generated

ड्रग्स, मेडिसिन तथा रिमेडी में अंतर


ड्रग्स , मेडिसिन और रिमेडी यह तीनों शब्द एक जैसे ही लगते हैं लेकिन इन तीनों में मूलभूत अंतर होता है इसलिए आज हम  इसे समझने का प्रयास करेंगे :-

(1) ड्रग्स


इसे औषधि-मूल भी  कहते हैं । इलेक्ट्रो होम्योपैथी में इसके अंतर्गत पौधों के फल , फूल, पत्ती, जड़ तना आदि भाग आते हैं।  जिनसे औषधियां तैयार की जाती हैं।


ड्रग्स अपनी मूल (क्रूड) अवस्था में स्वस्थ तथा अस्वस्थ दोनों प्राणियों की शारीरिक तथा मानसिक अवस्था में परिवर्तन ला सकती है । अर्थात स्वस्थ शरीर को रोगी बना सकती है और रोगी शरीर को स्वस्थ बना सकती है । 

इलेक्ट्रो होम्योपैथी में  रोगी पर सीधे ड्रग्स का प्रयोग नहीं किया जाता है ।

(2) मेडिसिन


इलेक्ट्रो होम्योपैथिक फार्मेसी  सिद्धांत के अनुसार जब स्पेजिरिक एसेंस पुटेन्टाइज कर उसकी गतिशील (डायनेमिक) पावर (एनर्जी) को जागृत कर लिया जाता है तब उसे मेडिसिन कहा जाता है।

यह मेडिसिन केवल अस्वस्थ शरीर की शारीरिक तथा मानसिक अवस्था में परिवर्तन ला सकती है। स्वस्थ शरीर पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

(3) रिमेडी


वह विशिष्ट औषधि (मेडिसिन) है जो इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के सिद्धांतों के आधार पर रोगी के उपचार के लिए चुनी जाती है। वह रिमेडी कहलाती है।

इसे हम एक उदाहरण देकर समझाने का प्रयास करते हैं :----


मान लो एक कंपनी है जिसमें इलेक्ट्रो होम्योपैथिक औषधि तैयार की जाती है औषधि तैयार करने के बाद कंपनी में उपस्थित चिकित्सक रोगियों को दवा वितरित करता है।

कंपनी के कर्मचारी औषधि तैयार करने के लिए पेड़ पौधों की तलाश कर कच्चा माल कंपनी में एक स्थान पर एकत्र कर उसकी साफ सफाई करते हैं।  औषधि तैयार करने के लिए उसे माल को तैयार कर देते हैं। इस अवस्था में जो एकत्र किए हुए पेड़ पौधे( कच्चा माल) होते हैं वह ड्रग्स कहलाएंगे।

जब कच्चे माल का फर्मेंटेशन व कोहोबेशन कर स्पेजिरिक एसेंस तैयार कर उसे पुटेंटाइज कर लेते हैं और रोगी को देने योग्य तैयार कर लेते हैं तब उसे मेडिसिन कहा जाता है। यहां एक बात और स्पष्ट कर देना चाहता हूं, कि मेडिसिंस की संख्या बहुत होती है सारी मेडिसिंस एक रोगी को नहीं दी जा सकती है । रोगी को मेडिसिन उसके रोग की तीव्रता, रोग के प्रकार लक्षण और डॉक्टर के विवेक के आधार पर दी जाती है। इसमें वे सारी इलेक्ट्रो होम्योपैथिक  औषधियों आती हैं ।

जब कोई रोगी डॉक्टर के पास जाता है तो डॉक्टर उसका परीक्षण करता है उसके लक्ष्ण और चिन्ह देखता और पूछता है उसके आधार पर जिस मेडिसिन का वह चुनाव करता है । वह मेडिसिन ही रिमेडी कहलाती है।


नोट:-

(1) इलेक्ट्रो होम्यो पैथिक चिकित्सा पद्धति में क्रूड हर्ब सूखा (प्लान्ट) से लेकर पौध निष्कर्ष (Plant Extract) व स्पेजिरिक एसेन्स तक के पदार्थ की स्थिति को औषधि- मूल (Drugs) कहते हैं।

(2) होम्योपैथी मे क्रूड हर्ब सूखा प्लांट होता है मदर टिंचर औषधी मूल या ड्रग कहलाता है।

(3) कोहोबेशन के बाद तैयार "काम्प्लेक्स स्पेजिरिक एसेन्स" से जब डाइल्यूशन तैयार होता है तब वह मेडिसिन कहलाता है। "सिंगल प्लांट स्पेजिरिक एसेन्स" को भी ड्रग की श्रेणी में रखा जा सकता है।

Click here to Join»  WhatsApp  Telegram 


Dr Ashok kumar Maurya

1 comment

  1. Good
Please donot enter any spam link in the comment box.
Oops!
It seems there is something wrong with your internet connection. Please connect to the internet and start browsing again.
AdBlock Detected!
We have detected that you are using adblocking plugin in your browser.
The revenue we earn by the advertisements is used to manage this website, we request you to whitelist our website in your adblocking plugin.
Site is Blocked
Sorry! This site is not available in your country.