फादर मुल्लर और उनकी सिद्धौषधियां

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फादर मुल्लर और उनकी सिद्धौषधियां


डॉक्टर फादर मुल्लर का जन्म 13 मार्च 18 41 ई0 में के जर्मनी के वेस्टफेलिया नामक स्थान में हुआ था। इनकी मृत्यु 1 नवम्बर सन 1910 में हुई थी । फादर मुल्लर बचपन से ही चिकित्सा के क्षेत्र में रुचि रखते थे। एक बार 18 61 ई0 के आसपास इन्हें डिसेंट्री हो गई तब यह जर्मनी से अमेरिका चले गए और सोसायटी आफ जीजस हॉस्पिटल में भर्ती हो गए। वहां इनकी हालत काफी गंभीर हो गई। उस समय वहां चिकित्सा के उत्तम प्रबंध नहीं थे। इन्हें केवल जुलाब देकर पेट साफ किया जाता था लेकिन बचाने वाले को कौन मार सकता है।


डॉक्टरों ने भरसक प्रयास किया और इन्हें बचा लिया गया । यह अपने जीवन में कई बार अनेक प्रकार की बीमारियों से बीमार हुए लेकिन ठीक होते रहे। इसलिए इनकी मन में यह इच्छा जागी कि जो दर्द हम झेल रहे हैं वह कोई दूसरा न झेले। इसलिए इन्होंने एक हॉस्पिटल बनाने की सोची जिसमें लोगों को फ्री इलाज दिया जाए। उस समय यह बहुत बड़ा काम था। उस समय एलोपैथी का चलन शुरू हो गया था लेकिन उसके परिणाम बहुत अच्छे नहीं थे। फादर मुल्लर का इलाज होम्योपैथी से ही हुआ था। 

इसलिए उनका होम्योपैथी पर अधिक विश्वास बना था। उन्होंने होम्योपैथी का अध्ययन करना शुरू कर दिया और इन्होंने भारत में "दि होम्योपैथिक पुअर डिस्पेंसरी" कंकनाडी मंगलूर-2 में स्थापित किया। यहां उस समय 200 से 300 तक मरीज बाहर से प्रतिदिन दवा लेने आते थे। पत्र व्यवहार द्वारा भी लोगों की चिकित्सा की जाती थी। वह समय आज का समय नहीं था दवाइयों की सप्लाई होना और दवा प्राप्त करना बहुत कठिन काम था ।
 
उसी समय फादर मुल्लर की मुलाकात काउंट सीजर मैटी से हुई और उनकी औषधियां भी फादर मुल्लर को प्राप्त हुई। फादर मुल्लर ने मुख्यतः  स्क्रूफोलासो और एंजियाटिको  ग्रुप की दवाएं प्रयोग की थी। उसी में फादर मुल्लर की काउंट सीजर से दोस्ती हो गई थी। फादर मुल्लर के हॉस्पिटल में काउंट सीजर ने निर्माण के लिए लगभग ढाई हजार (2365) रुपए की धनराशि भी दी थी। दोस्ती बढ़ती गई। एक बार फादर मूलर ने काउंट सीजर मैटी से बात बात मे कहा औषधि बनाने के फार्मूले मुझे बता दो। काउंट सीजर मैटी ने दोस्ती में हां कर दिया था लेकिन 6 महीने बाद काउंट सीजर मैटी की मृत्यु हो गई थी । फार्मूले नहीं बता पाए। यह बात कुछ लोगों को पता भी थी कि फार्मूले बताने की बात कांउट सीजर मैटी ने कही है ।
फादर मुल्लर की दवाएं उन्ही की डिस्पेंसरी में बनती थी जिनके फार्मूले गुप्त थे जैसे मैटी की दवाओं के फार्मूले गुप्त थे । जब मैटी की  दवाओं की चर्चा संसार में फैलने लगी तो फादर मुल्लर कहने लगे मेरी दवाएं ही मैटी की दवाएं हैं। उन्होंने दवाओं के फार्मूले हमें बताया था। (  क्योंकि मैटी और फादर मुल्लर  दोनों की दवाओं के फार्मूले गुप्त थे ) यह खबर जब जर्मनी पहुंची जहां पर मैटी  दामाद ने मैटी की दवाओं के फार्मूले दे (मैटी की मृत्यु के बाद) रखे थे तो उन्होंने इलेक्ट्रो होम्योपैथी के फार्मूले Jso-Complex- Mode of Medical Treatment and it's medicaments में ओपन कर दिए।

हमारे पास जो फादर मुल्लर  की जो पुस्तक है वह दूसरे संस्करण की है तब उन्होंने अपनी बात को छुपाने के लिए इलेक्ट्रो होम्योपैथी वा मैटी के विषय में गोल मोल बातें लिखने लगे। फादर मुल्लर की पुस्तक का दूसरा संस्करण  संस्करण 1953 में छपा है। जबकि जर्मनी की पुस्तक का पहला संस्करण 3 नवंबर 1952 को छपा है।

फादर मूलर की औषधियां शुसलर बायोकेमिक  और होम्योपैथिक औषधियों को मिलाकर तैयार की गई हैं। जिनके नाम  मैटी की औषधियों की तरह नंबर मे  नाम है । जैसे Specific. No 1-2-3-4-5 आदि हिंदी में इन औषधियों को सिद्धौषधि नंबर 1-2-3-4-5 नाम है। इनमे  कुछ औषधियां गोलियों में है और कुछ डिस्केट में हैं।

अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां


डॉक्टर एब्बे. गौडेन्सिसस सेलोरी जो ट्यूरिन के निवासी थे और एक दरबार में दान अधिकारी थे इन्होंने वैदिक शास्त्र का बहुत गहराई से अध्ययन किया था इन होम्योपैथी के  शास्त्र से बड़ी रुचि थी वे होम्योपैथिक शास्त्र का अध्ययन कर लोगों को दवाएं देने लगे थे एक दिन एक बीमार आदमी उनके पास आया उन्होंने कई दवाओं की अलग-अलग पोटलिया बांधी और बता दिया इस दवा के बाद यह दवा खाना इसके बाद यह दवा खाना जब यह समाप्त हो जाए तब यह दवा खा लेना लेकिन वह व्यक्ति घर जाकर इन सारी दवाओं को एक में मिलाकर खा गया कुछ दिनों बाद जब वह व्यक्ति स्वस्थ होकर डॉक्टर साहब को धन्यवाद करने आया तो डॉक्टर सोलेरी उसे देख कर चौक गए मुझसे पूछा इतनी जल्दी कैसे ठीक हो गए।

तो उसने बताया मैंने आपकी दी हुई औषधियों को सेवन किया है डॉक्टर ने पूछा उन सबको आपने खा लिया उत्तर मिला हां उसने बताया मैं घर जाकर सारी दवाइयों को एक दिन भर मे खा लिया अब मैं बिल्कुल ठीक हूं फादर मूलर कहते हैं कि सैलरी से मेरी भेंट हुई है और मैंने पूरी बात उनसे सुनाइ थी इसी तरह के कई उदाहरण सामने आए जिससे होम्योपैथी में काम्प्लेक्स  होम्योपैथी का सिद्धांत डिवेलप हुआ ।

होम्योपैथी में सिंगल रिमेडी का फार्मूला था लेकिन 1877 ई0 में डॉक्टर से फिनेल्ला होम्योपैथी का मिश्रित सिद्धांत रखा था जिस पर एक पुस्तक लिखी गई थी। जिस पुस्तक में औषधियों की रचना तत्व और उसके गुणों के विषय में लिखा गया है। यह 390 पृष्ठो की पुस्तक थी । उसका संपादन काउंट सीजर मैटी ने किया था।

ध्यान दें!
उपरोक्त लेख फादर मुल्लर के होम्योपैथिक पुअर डिस्पेंसरी कंकनाडी द्वारा छपी पुस्तक 1953 के आधार पर लिखा गया है।
डॉक्टर सैमुअल हैनीमैन का जीवनकाल 1755 से 1843 तक रहा है।
होम्योपैथी में काम्प्लेक्स होम्योपैथी का सिद्धांत जब डॉक्टर पिनैल्ला ने रखा था । उससे पहले ही डॉक्टर हनीमैन का स्वर्गवास हो चुका था । तो आज जो कहा जाता है कि आर्गनान के छठे भाग में काम्प्लेक्स होम्योपैथी का सिद्धांत है। तो क्या होम्योपैथी का आर्गनान डा 0 हनीमैन के देहांत के बाद लिखी गई है ?

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2 comments

  1. Very nice thanks i m crazy to read your post
  2. भैया जी मान्यता इससे मिलेगी क्या गड़े मुर्दे मत खोदो
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