फार्मेसी (भेषजी ) का इतिहास
प्राचीन भारतीय दर्शन में अमृत का वर्णन मिलता है । जब इस दर्शन को विदेशों में अध्ययन किया तो उन्होंने सोचा क्यों न हम अमृत को ढूंढ ले ताकि अमर हो जाए क्योंकि अमृत में यह गुण भारतीय दर्शन में बताया गया हैं । इसके लिए लोगों ने खोज करना शुरू कर दिया । इसमें लोग रुचि लेने लगे लेकिन यह काम बहुत बड़ा था इसलिए सफलता मिलना भी बहुत कठिन था।
अमृत ढूंढने के लिए लोग जंगलों में जाते पेड़ पौधों का ध्यान करते उनका रस निकालते उन्हें चखते सूघते स्पर्श करते उनका अनेक तरीके से परीक्षण करते । ऐसा करने में उन्हें काफी समय लग गया लेकिन उन्हें अमृत तो नहीं मिला बल्कि दूसरी बहुत सारी रोगों को ठीक करने की दवाएं मिल गई ।
जो अमृत ढ़ूने का काम करते थे उस समय इन लोगों को कीमियागार कहते थे और यह परीक्षण करने की यह विधि किमियागारी कहलाती थी ।
वैसे तो यह लोग बहुत बड़ी संख्या में थे जो किमियागारी करते थे लेकिन उन सब में है Paracelsus का नाम बहुत मशहूर हुआ है । क्योंकि उन्होंने अपने जीवन काल में Spagyric द्वारा बहुत से लोगों को स्वास्थ्य प्रदान किया था । इसीलिए आज भी विश्व के शब्दकोशो में जहां Spagyric शब्द आता है वहां शब्द का स्पष्ट करने के लिए Paracelsus का नाम लिया जाता है। कहीं-कहीं तो पर Paracelsus को Spagyrist भी कहा जाता है।
बाद में इसी से फार्मेसी का निर्माण और कार्य हुए है ।
नोट :---
(1) यह लेख कई पुस्तकों के आधार पर लिखा गया है ।
(2) कई शब्दकोश में Paracelus को Spagyrict कहा गया है।