मेरी प्रथम पुस्तक

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मेरी प्रथम पुस्तक 

हर व्यक्ति यह चाहता है कि उसका दुनिया में नाम हो जाय । उसको बहुत सारे लोग जानने लगें । उसकी आर्थिक स्थिति ऐसी हो जाए कि लोग उसे सम्मान से देखने लगे । आज इसी में हर व्यक्ति लगा हुआ है। 


व्यक्ति को कभी इन चीजों से संतुष्टि नहीं मिलती है । बचपन में मैं भी यही सोचता था लेकिन मेरे सोचने का तरीका बिल्कुल अलग था। मैं यह तो चाहता था कि दुनिया में मेरा नाम हो लेकिन मैंने कभी यह नहीं सोचा कि मेरी आर्थिक स्थिति धोखे की नीव पर मजबूत हो जाए और लोग पैसे से मुझे पहचाने। मेरा हमेशा यह उद्देश्य रहा है कि मेरे काम ऐसे हो उसके कारण लोग मुझे पहचाने ।



मेडिकल जगत में मैंने एम.बी.ई.एच और एम.डी.ई.एच करने के बाद मैंने सोचा कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी  एक ऐसा विषय है जिस में अभी बहुत भ्रम फैला हुआ है इस भ्रम को दूर करना चाहिए। इसलिए मैंने इलेक्ट्रोपैथी पर काम करने की ठान लिया । 


सबसे पहले मैंने पौधों की स्टडी करना शुरू किया उसके बाद ओडफोर्स ,कोहोबेशन, स्पैजेरिक , डायलूशन ,इलेक्ट्रिसिटी आदि अनेक विषयों पर मैंने कार्य करना शुरू कर दिया और मुझे सफलता मिलती चली गई मैंने सोचा कि इसे फैलाना चाहिए बहुत सारे लोगों से मिला उन्हें बताया लेकिन मेरी बात किसी को समझ में नहीं आई। मैंने बहुत सारा लिटरेचर छपवा कर भी बांटा। यह उस समय की बात है जब सोशल मीडिया का प्लेटफार्म नहीं था। 

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मैंने औषधियां बनाना शुरु कर दिया और जब उसका वितरण समाज में होने लगा तो लोगों ने हमारी बात को सराहा और हमें कुछ संतुष्टि प्राप्त होने लगी पर जो संतुष्टि हमें मिलनी चाहिए थी वह अभी तक नहीं मिल पाई आयु बढ़ जाने के कारण जीवन में नीरसता भी आने लगी।

सन् 2014 में मेरा एक्सीडेंट होने के कारण काम ही बंद हो गया मैंने सोचा शायद परमात्मा को यही मंजूर हो क्योंकि हमारे बाद इस काम को करने वाला कोई नहीं है। अभी कुछ दिन पहले मेरी मुलाकात डॉक्टर  "ललित मौर्य" से हुई इत्तेफाक से वे मेरे एक सत्संग प्रोग्राम में आए थे। सत्संग के बाद मेरी उनसे बात हुई । बहुत दिनों के बाद हम दोनो मिले थे। पुरानी रिश्तेदारी ताजी हो रही थी और ललित मौर्य जो छोटा बच्चा था। अब बड़ा हो गया है और अब उसे योगेंद्र कुशवाहा के नाम से जाना जाने लगा  है । 


बातचीत में यह पता चला कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी में वह काफी रुचि रखता है और उसकी जानकारी में वह इधर-उधर जाता रहता है। मैंने कहा यदि तुम्हें काम करना है, सीखना है तो हम आपको सिखा सकते हैं। आप काम करना शुरू कर दो क्योंकि मेरा काम बंद पड़ा है । उसने  स्वीकार कर लिया । 

सन् 1993 में मैंने फार्मेसी पर एक पुस्तक लिखी थी जिसकी पांडुलिपि मेरे पास पड़ी है जब वह मैंने उसे दिखाया तो बहुत खुश हुआ और कहा अब यह पुस्तक छपनी चाहिए ।मैने कहा इस पुस्तक को अब हम तीन भागों में अब छापना चाहते हैं।


पुस्तक का पहला भाग

फार्मेसी की पांडुलिपि का पहला भाग हम इलेक्ट्रिसिटी के रूप में हम छापना चाहते हैं । आप सभी जानते हैं कि 5 इलेक्ट्रिसिटी हैं और सभी पुस्तकों में यह लगभग 5 पन्नों में ही सिमट कर रह गई हैं । बहुत कम इलेक्ट्रिक सिटी के विषय में लोगों को जानकारी है। किसी भी लेखक ने इलेक्ट्रिक सिटी पर विस्तृत लेख नहीं लिखा है इसलिए हमने यह उचित समझा कि सबसे पहले इलेक्ट्रिक सिटी पर पुस्तक लिखनी चाहिए।

जब हमने पुस्तक का एडवर्टाइज  शुरू किया तो लोगों ने एडवर्टाइज पर ही उंगली उठाना शुरू कर दिया । इसलिए मुझे यह लेख लिखना पड़ा है। सबसे पहले आपको पुस्तक के विषय में स्पष्ट कर दूं किस पुस्तक में क्या-क्या होगा।

(1) पुस्तक पॉकेट साइज में होगी और अच्छे पेज और अच्छे कवर के साथ होगी।

(2) पुस्तक की भाषा हिंदी होगी जहां जहां आवश्यक समझेंगे इंग्लिश शब्दों का प्रयोग किया जाएगा । 

(3) पुस्तक में इलेक्ट्रिसिटी में प्रयोग हुए पौधों का वर्णन होगा, चित्र नहीं होंगे।

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(4) पौधों के विषय में नाम, फैमिली, परिचय, औषधीय गुण, औषधीय भाग, रासायनिक संगठन व अन्य आवश्यक जानकारी लिखी होगी ।

(5) इलेक्ट्रिसिटी के नाम के साथ में लाल ,हरे नीले, पीले ,सफेद रंग लगे होते हैं। यह किस आधार पर नाम रखे गए हैं। इसका विवरण प्राप्त होगा।

(6) इलेक्ट्रिसिटी का आंतरिक प्रयोग व शरीर के किन अंगो में वाह्य प्रयोग करने से अधिक लाभ मिलता है।

(7) विश्व में कई नामों से इलेक्ट्रिसिटी को जाना जाता है वे कौन-कौन से नाम है ।

(8) इलेक्ट्रो होम्योपैथी में जिन भाषाओं के शब्दों का प्रयोग हुआ है उसका विवरण प्राप्त होगा।

(9) इलेक्ट्रिसिटी में प्रयोग हुए संक्षिप्त शब्दो का अर्थ स्पष्ट होगा ।


(10) पुस्तक लगभग 50 पन्नो की होगी । आवश्यकतानुसार पन्नों की संख्या घट बढ़ सकती है।

(11) पुस्तक का मूल्य निर्धारण लगभग 65-70 फीसद काम हो जाने के बाद किया जाएगा। उसकी सूचना आपको दी जाएगी तभी आपसे पैसे की मांग की जाएगी ।

(12) अभी आपसे केवल नाम पता फोन नंबर इसलिए मांगे जा रहे हैं ताकि हमें पता चल सके कितने लोगों को पुस्तक की आवश्यकता है। उसी हिसाब से पुस्तक छपवाई जाएगी । अभी हमारा 500 पुस्तक छपवाने का लक्ष्य है। आप की डिमांड पर यह संख्या बढ़ाई जा सकती है अधिक छपने पर पुस्तक का मूल्य कम हो जाता है।

(13) आप या तो हमें या डॉक्टर योगेंद्र कुशवाहा को फोन पर ,मैसेंजर पर, व्हाट्सएप , फेसबुक पर कहीं भी पता और फोन नंबर लिखा सकते हो ताकि हमें यह पता चल सके कितनी पुस्तकों की डिमांड है ।

(14) पुस्तक लिखने का काम तेजी से चल रहा है आशा है दो-तीन महीने में पुस्तक आ जाएगी ।


(15) हम इस बात का आपको विश्वास दिलाते हैं कि आपके हाथ में जो पुस्तक होगी उसका विवरण बिल्कुल नवीन होगा जो आपने कहीं नहीं पढ़ा होगा न सुना होगा लेकिन वह इलेक्ट्रो होम्योपैथी के सिद्धांतों पर कसा हुआ होगा । शायद आपको यह कहने का मौका नहीं मिलेणगा कि कोई चीज छूट गई है । हां आपको इस बात को ध्यान में रखना होगा कि हमारी पहली पुस्तक है गलतियां होना स्वभाविक है ।

Dr Ashok kumar Maurya


2 comments

  1. बहुत ही उम्दा प्रयास अप दोनो मिलकर अच्छे परिणाम देंगे ऐसा विश्वास है
  2. हम मिले है योगेंद्र जी लुधियाना में अच्छे कदम का स्वागत है नेता लोगों से दूर रहें प्रैक्टिकनर का सहयोग करें धन्यवाद
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