रिएक्शन ,साइड इफ़ेक्ट और एग्रीवेशन
(1) रिएक्शन
चिकित्सा में चिकित्सक विभिन्न प्रकार की औषधियों को , विभिन्न प्रकार के रोगियों पर प्रयोग करता है लेकिन कुछ औषधियों को शरीर ग्रहण कर लेता है और कुछ को ग्रहण नहीं करता तुरंत बाहर फेक देता है। शरीर यह क्रिया मुख व मल, मूत्र , त्वचा के द्वार से करता है।
आप लोगों ने देखा होगा कभी-कभी कोई इंजेक्शन या दवा देने के तुरंत बाद उल्टी हो जाती है या दस्त / यूरिन आ जाता है अथवा स्किन पर चकत्ते आ जाते हैं। या पसीने से तरबतर हो जाता है। या चक्कर खा कर पेशेंट गिर जाता है
इसका मतलब है जो दवा दी गई है बॉडी उसे स्वीकार नहीं कर रही है। ऐसी स्थिति में कहा जाता है की दवा "रिएक्शन" कर गई है । यह क्रिया दवा देने के 1 घंटे के अंदर ही हो जाती है।
ऐसा अधिकतर एलोपैथी दवाओं में होता है। दूसरी चिकित्सा पद्धतियों में ऐसा बहुत कम या न के बराबर होता है।
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(2) साइड इफेक्ट
कभी-कभी लोग कुछ दवाएं अपने आप खाते रहते हैं, लाभ मिलता रहता है या चिकित्सक लिखता रहता है और खाते रहते हैं। लाभ मिलता जाता है लेकिन दो ,चार, पांच साल बाद पता चलता है कि किडनी खराब होने लगी या आंखों की रोशनी कम हो गई, या डायबिटीज हो गई , या लीवर खराब हो गया , आदि अनेको समस्याएं हो सकती हैं । पता ही नहीं चलता कि कैसे हो रहा है और दवा को बराबर खाते जा रहे हैं। शरीर धीमे-धीमे डैमेज होता जा रहा है । जब कभी किसी योग्य चिकित्सक के पास पहुंचे तो वह डायग्नोस्टिक सा है कि इस दवा के कारण यह समस्या हो रही है तब दवा बंद होती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है दवा का पूरा प्रभाव शरीर पर आ चुका होता है ऐसी स्थिति को दवा का साइड इफेक्ट कहते हैं जो तुरंत नहीं पता चलता बाद में पता चलता है।
इस तरह के साइड इफेक्ट एलोपैथिक , आयुर्वेदिक ,यूनानी दवाओं में देखने को मिलते हैं। क्योंकि इनमें जो दवाएं दी जाती हैं उनमें में एल्केलाइड्स आदि अनेक चीजें होती हैं जो क्रूड या रिफाइंड होते जिनका साइड इफेक्ट शरीर पर पड़ता है । इसीलिए खतरनाक दवा की शीशी पर एक निर्देश लिखा होता है इसे डॉक्टर की सलाह से प्रयोग करें या उसके संरक्षण में प्रयोग करें ।
(3) एग्रीवेशन
कभी-कभी चिकित्सक औषधि के डायलूशन नंबर के चुनाव में गलती कर जाता है । ऐसी स्थिति में जिस रोग के शमन के लिए दवा दी गई है वह रोग शमन न होकर उग्र हो जाता है।
जैसे एक्जिमा को ठीक करने के लिए कोई औषधि दी गई और उसका डायलूशन नंबर सटीक नहीं बैठा और एग्जिमा ठीक होने के बजाय और बढ़ गया और रोगी को परेशानी होने लगी ।
ऐसी स्थिति में कहा जाता है की दवा एग्रीवेट कर गई या दवा का एग्रीवेशन हो गया है।
इस तरह की घटनाएं होम्योपैथिक मेडिसिन में होती हैं क्योंकि होम्योपैथिक मेडिसिन में अधिकतर नंबर सिलेक्शन की गलती हो जाती है और दवाओं के उचित डायलूशन प्रयोग किए जाते हैं। निम्न डायलूशन में एग्रवेशन बहुत कम होता है। दवा सटीक होने के बाद भी यदि नंबर सटीक नहीं है। तो रोग को बढ़ा देती है।
बढ़े हुए रोग को ठीक करने के लिए उसी दवा का नंबर ठीक से चुनाव कर पुनः दे देने से रोग का शमन (ठीक) हो जाता है। कई इलेक्ट्रो होम्योपैथिक चिकित्सकों ने फेसबुक पर इस बात का उल्लेख किया है कि यदि कोई दवा देने से रोगसे बढ़ जाए तो उसी दवा का डायलूशन नं बदल देना चाहिए तो रोग ठीक हो जाता है।
यदि इलेक्ट्रो होम्योपैथिक दवा से ऐसा हो रहा है तो इसका मतलब है दवा 100% होम्योपैथिक विधि से बनी है।
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