सीजोफ्रेनिया ( schizophrenia )
यह एक मानसिक बीमारी है जो विश्व में बहुत तेजी से फैल रही है। सिजोफ्रिनिया ग्रीक भाषा का शब्द है और यह दो शब्दों से मिलकर बना है । Schizo का अर्थ होता है " split " और phrenia का अर्थ होता है दिमाग या " mind " । सन् 1911 में एक स्विस मनोवैज्ञानिक Eugen Bleuler ने यह नाम दिया था । यह बीमारी व्यक्ति की सोचने ,काम करने और क्या वास्तविक है क्या नही हैं । यह समझने की क्षमता को प्रभावित कर देती है । यह स्त्री पुरुष दोनों को समान रूप से प्रभावित करती है । इसके लक्षण तो एक दूसरे से अलग हो सकते हैं। यह समय के साथ कम ज्यादा भी हो सकते है । पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा जल्दी लक्षण विकसित होते हैं ।
प्रारंभिक लक्षण
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(1) व्यक्ति उन चीजों पर विश्वास करता है जो वास्तविकता में नहीं होते है और उसे लगता है कि लोग उसके विचारों को पढ़/समझ रहे हैं।
(2) व्यक्ति उन चीजों को देखता सुनता और महसूस करता है । जिन्हें कोई और नहीं कर सकता।
(3)व्यक्ति अव्यवस्थित रूप से बोलता है और व्यवहार करता है।
(4) व्यक्ति अपने विचारों को व्यवस्थित करने में परेशान होता है ।
(5) सामाजिक या व्यवसायिक दुष्क्रियाएं होती हैं।
(6) व्यक्ति को लगता है कि लोग उसके खिलाफ लोग साजिश कर रहे हैं।
कुल मिलाकर व्यक्ति को काल्पनिक चीजें दिखती हैं । कानों में आवाज आती हैं । उसे ऐसा लगता है कि हमारे विचारों को कोई पढ़ रहा है । टी वी रेडियो पर जो आ रहा है वह सब मेरे विषय में आ रहा । यही सोच सोच कर रोगी परेशान रहता है । सबसे बड़ा डर यह रहता है कि कानों में जो आवाज आ रही है वह किस समय क्या रोगी को गाइड करदेे जिससे वह जीवन के लिए खतरनाक कदम उठा ले। यही इस रोग में सबसे बड़ा डर बना रहता है ।
सिज़ोफ्रेनिया होने के कारण
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सिजोफ्रेनिया होने के कारणों पर अभी तक चिकित्सकों की एक राय नहीं है लेकिन फिर भी कुछ ऐसे कारण हैं जो सिजोफ्रिनिया होने में योगदान दे सकते हैं।
(1) अनुवांशिक कारण
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इसके अंतर्गत माता पिता भाई बहन में से किसी को यदि यह रोग पहले रहा है तो 10% संभावना बनी रहती है।
(2) वातावरण संबंधी कारण
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उच्च स्तरीय तनाव, विषाणु संक्रमण का प्रसव पूर्व संपर्क जन्म से पहले कुपोषण एवं बच्चे के दौरान ऑक्सीजन की कमी से यह विकार हो सकता है।
(3) मस्तिष्क की सामान्य संरचना
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मस्तिष्क की असामान्य संरचना की भूमिका भी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों के मामलों में होती है।
(4) भांग का नशा
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भांग के नशे से सीजोफ्रेनिया होने की संभावना बढ़ जाती है । इसके लक्षणों की अवधि लंबी हो जाती है और इससे सुधार की संभावना में कमी आ जाती है ।
सीजोफ्रेनिया और मादक द्रव्यों का सेवन
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जब किसी को सीजोफ्रेनिया हो और वह मादक द्रव्यों का भी सेवन कर रहा हो तो उसका निर्धारण या डायग्नोसिस बहुत कठिन हो जाती है और उस पर दवाओं का असर भी बहुत कम होता है।
आमतौर पर प्रयोग होने वाले मादक द्रव्यों में हेरोइन शराब कोकीन एम्फेटामिन्स से मनोरोग संबंधी लक्षण बढ़ते है।
आहार एवं व्यायाम
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सिजोफ्रेनिया से ग्रसित व्यक्ति को अच्छा संतुलित आहार करना चाहिए ।
पर्याप्त नींद और नियमित व्यायाम करना चाहिए
कैफीन व निकोटिन (चीनी चाय बडी सिगरेट आदि ) से परहेज करना चाहिए शराब एवं अन्य नशीली दवाओं से बचना चाहिए अध्यात्म से जुड़ना चाहिए ।
तमीरदार या अटेंडेंट के कर्तव्य
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तमीरदार को चाहिए कि वह रोगी से किसी बात में उलझे नहीं । उसकी बात का विरोध न करें। जहां तक विरोध करने वाली बात हो सीधे तौर पर विरोध न कर उसे बहला-फुसलाकर रखे
। रोगी की हरकत को नजर में रखें और रोगी पर पूरी नजर बनाकर रखें क्योंकि सीजोफ्रेनिया के रोगी अधिकतर आत्महत्या कर लेते हैं । हमेशा इसी बात का डर बना रहता है । अटेंडेंट रोगी को दवा अपने हाथ से खिलाएं या उस पर नजर रखें रोगी सही ढंग से सही समय पर सही मात्रा में दवा ले रहा है या नहीं ।
नोट -----
यदि मनुष्य के अंदर बिना दवा लिए कम से कम 6 महीने तक उपरोक्त लक्षणों में से कोई दो लक्षण दिखाई देते हो तो सीजोफ्रेनिया हो सकती है । ऐसी स्थित मे तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए । उचित चिकित्सा और उचित देखभाल से रोगी पूरी लाइफ चल सकता है ।
सिजोफ्रेनिया के और आध्यात्मिक ज्योति नाद में अंतर
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सिजोफ्रेनिया मे भी चीजें दिखाई देती है और आवाजें सुनाई देती है और आध्यात्मिक जगत में अध्यात्म का जानकार चीजों को देखता है और आवाजों को सुनता है दोनों में केवल एक ही व्यक्ति देख और सुन सकता है साथ में दूसरा कोई इन दृश्यो और आवाजो को देख सुन नही पाता है ।
यह दोनों में एक यह समानता है लेकिन सिजोफ्रेनिया में व्यक्ति दृश्योऔर आवाजो को देख सुन कर परेशान होता है और रोता चिल्लाता भागता है अजीबो गरीब हरकतें करता है । यहाँ तक कि आत्महत्या भी कर सकता है लेकिन आध्यात्मिक में जब किसी जानकार को आवाज सुनाई देती है और दृश्य दिखाई देते हैं तो वह खुश होता है और उसे कोई परेशानी नहीं होती है।
इतना ही नहीं सिजोफ्रेनिया में व्यक्ति जो देखता है और सुनता है वह किसी दूसरे को दिखा और सुना नहीं सकता लेकिन आध्यात्मिक जगत का जानकार उस आवाज को और प्रकाश को दूसरे को भी सुना और दिखा सकता है
यही सिजोफ्रिनिया और आध्यात्मिक जगत की आवाज में अंतर है । सिजोफ्रिनिया की आवाजों और दृश्यों को औषधि द्वारा बंद किया जा सकता है लेकिन आध्यात्मिक जगत के ज्योति और नाद को किसी औषधि से द्वारा बंद नही किया जा सकता है।
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